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कृषि के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की ऊंची छलांग, अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने हुए 2 जरूरी MoU

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में गोबर से बिजली उत्पादन और खाद्य विकिरण परियोजना के MoU कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि अब तक विद्युत उत्पादन का कार्य सरकारें और बड़े औद्योगिक घराने करते रहे हैं। ये मिथक छत्तीसगढ़ राज्य में टूटने जा रहा है। राज्य सरकार की मदद से अब गांव की महिलाएं विद्युत उत्पादक बनने जा रही है। राज्य के गौठानों में क्रय किए जा रहे गोबर से स्व-सहायता समूहों की ग्रामीण महिलाएं बिजली बनाएंगी। इसके लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ट्राम्बे मुंबई से गोबर से विद्युत उत्पादन की आधुनिक तकनीक निसरगुरना के हस्तांतरण के लिए छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण के साथ MoU हुआ है। 

गौठानों में गोबर और कृषि अपशिष्ट से बिजली समेत जैव ईंधन के उत्पादन के लिए संयंत्र लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बीते 3 सालों में छत्तीसगढ़ ने कृषि के क्षेत्र में तेजी से प्रगति करते हुए पूरे देश को रास्ता दिखाया है। कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए कई नए कदम उठाए गए हैं और नए-नए नवाचार हुए है। कृषि क्षेत्र के विकास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं की सफलता की चर्चा आज पूरे देश में हो रही है। किसानों की आय में बढ़ोत्तरी के लिए फसल उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने या मूल्य संवर्धन करने और उनके सुरक्षित भंडारण पर जोर दिया है। 

मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य में खाद्य विकिरण केंद्र की स्थापना के लिए बोर्ड ऑफ रेडियेशन और आइसोटोप टेक्नोलॉजी (BRIT) परमाणु ऊर्जा विभाग भारत सरकार और छत्तीसढ़ राज्य बीज कृषि विकास निगम के मध्य हुए समझौते पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इस आधुनिक तकनीक के जरिए खाद्य पदार्थों विशेषकर फल, सब्जी और दालों को जल्दी से खराब होने से बचाने में और किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने में मदद मिलेगी। छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादन और लघु वनोपजों को देश-दुनिया से मार्केट में जगह और अच्छा मूल्य मिलेगा। 

मुख्यमंत्री ने इस मौके पर वैज्ञानिकों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे जनजीवन से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए लगातार प्रयासरत है। ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण की देश-दुनिया के सामने चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वैदिक काल से हमारी परंपरा प्रकृति से लेने और फिर उसे वापस लौटाने की रही है। छत्तीसगढ़ राज्य में बीते 3 सालों में इस परंपरा को मजबूती के साथ हम आगे बढ़ा रहे हैं। गोधन न्याय योजना के माध्यम से हमने पैरादान की परंपरा की शुरूआत की है। इससे खेतों में पराली जलाने और कार्बन उत्सर्जन पर रोक लगी है। 

देश को 16 प्रतिशत ऑक्सीजन की सप्लाई

मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में वनों के संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों का भी उल्लेख किया और कहा कि राज्य का 44 प्रतिशत भू-भाग वनाच्छादित है। हमने जंगलों को बचाकर रखा है, राज्य का बड़ा भू-भाग वनाच्छादित होने के कारण वहां अपेक्षाकृत विकास के कार्य नहीं हो पाते हैं। विकास के लिए बड़े प्रोजेक्ट जैसे सिंचाई के लिए बांध, उद्योग, कारखाने की स्थापना में दिक्कत आती है, लेकिन राज्य को इसकी कहीं से कोई भी प्रतिपूर्ति नहीं मिलती है। जबकि छत्तीसगढ़ देश को 16 प्रतिशत ऑक्सीजन की सप्लाई करता है। प्रकृति को कैसे बचाएं और उससे कैसे लाभ लें, इस दिशा में छत्तीसगढ़ सरकार काम कर रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य में फूड रेडियेशन टेक्नोलॉजी के उपयोग से किसानों और वनवासियों के आय में और बढ़ोतरी होगी। 

सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहा छत्तीसगढ़ 

कार्यक्रम को कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने भी संबोधित किया और कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर राज्य के गौठानों में रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क की स्थापना तेजी से की जा रही है। यहां बेहतर उत्पादन और लाभ के लिए तकनीक की जरूरत है। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र से हुए MoU के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहा है।

परमाणु वैज्ञानिकों ने गोधन न्याय योजना को सराहा

इस अवसर पर BRC के डायरेक्टर डॉक्टर AP तिवारी, ब्रिट के CEO डॉक्टर प्रदीप मुखर्जी ने गोबर से विद्युत उत्पादन और खाद्य रेडियेशन तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना की सराहना की और कहा कि गौठान और गोधन न्याय योजना के जरिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कई उद्दश्यों की पूर्ति की है और कई ज्वलंत समस्याओं का निदान का रास्ता भी दिखाया है। परमाणु वैज्ञानिक डॉक्टर AP तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में गोबर और कचरा अब धन बन गया है। इससे मिथेन गैस और विद्युत ऊर्जा का उत्पादन होगा। 

यूरोप के देशों में निर्यात करने में मदद

BARC बॉयो साईंस डायरेक्टर डॉक्टर तपन कुमार घंटी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार दो रूपए में गोबर खरीदकर उसका अच्छा उपयोग कर रही है। कृषि उत्पादन आयुक्त डॉक्टर कमलप्रीत सिंह ने विकिरण टेक्नोलॉजी का खाद्य उत्पादों की सेल्फ-लाइफ बढ़ाने, उनकी गुणवत्ता की सुरक्षा और सुधार के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग आलू, प्याज, सब्जी, दलहन, अदरक और मसालें समेत उद्यानिकी फसलों की सेल्फ-लाइफ बढ़ाने के लिए किया जाता है। इससे छत्तीसगढ़ के उत्पादों का अमेरिका, यूरोप के देशों में निर्यात करने में मदद मिलेगी। 

लोगों को दिया जाएगा प्रशिक्षण 

उन्होंने बताया कि बोर्ड ऑफ रेडिएशन एंड आइसोटॉप टेक्नोलॉजी द्वारा छत्तीसगढ़ के विशेष उत्पादों जैसे इमली और महुआ की सेल्फ-लाइफ बढ़ाने के लिए इस तकनीक के उपयोग पर अनुसंधान किया जाएगा। BRIT द्वारा छत्तीसगढ़ को टेक्नोलॉजी देने के साथ यहां के लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। विकिरण टेक्नोलॉजी से संसाधित उत्पादों का सर्टिफिकेशन भी किया जाएगा। ऊर्जा विभाग के सचिव अंकित आनंद ने कहा कि MoU से बायो एनर्जी के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और ये तकनीक राज्य के इच्छुक निजी उद्यमियों को भी दी जा सकेगी। 

गोबर से विद्युत उत्पादन की तकनीक हस्तांतरण 

कार्यक्रम का संचालन सचिव कृषि एस भारतीदासन ने किया। गोबर से विद्युत उत्पादन की तकनीक हस्तांतरण के लिए BRIT के डायरेक्टर AP तिवारी और छत्तीसगढ़ बायो फ्यूल विकास प्राधिकरण के CEO सुमित सरकार ने  फूड रेडियेशन परियोजना के लिए  BRIT के  CEO डॉक्टर प्रदीप मुखर्जी और छत्तीसगढ़ बीज एवं कृषि विकास निगम के प्रबंध संचालक भुवनेश यादव ने MoU पर हस्ताक्षर किए।

कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित

इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति  गिरीश चंदेल, कृषि उत्पादन आयुक्त कमलप्रीत सिंह, कृषि सचिव  एस. भारतीदासन, सचिव ऊर्जा अंकित आनंद, BARC बॉयो साईंस डायरेक्टर तपन कुमार घंटी, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर एंड कोलेबोरेशन डिविजन के प्रमुख अमर बनर्जी, वैज्ञानिक एसटी मेहत्रे, फूड टेक्नोलॉजी के प्रमुख  एस गौतम समेत अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, विकिरण बोर्ड और आइसोटोप प्रौद्योगिकी के प्रतिनिधि अधिकारी कार्यक्रम में मौजूद रहे।

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