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छत्तीसगढ़ में सुपोषण अभियान को बड़ी सफलता, ढाई साल में करीब एक लाख 60 हजार बच्चे हुए कुपोषण मुक्त

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में शुरू हुए कुपोषण मुक्ति अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के 2020-21 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 5 साल तक बच्चों के वजन के आंकड़े देखें जाएं तो कुपोषण की दर 6.4 प्रतिशत कम होकर 31.3 प्रतिशत हो गई है। ये दर कुपोषण की राष्ट्रीय दर 32.1 प्रतिशत से भी कम है। साल 2015-16 में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 5 साल तक के बच्चों में वजन के अनुसार कुपोषण की दर 37.7 प्रतिशत और राष्ट्रीय कुपोषण दर 35.8 प्रतिशत थी। 

साल 2020-21 के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय कुपोषण की दर में जहां सिर्फ 3.7 प्रतिशत की कमी आई और कुपोषण 32.1 प्रतिशत है। वहीं छत्तीसगढ़ ने 6.4 प्रतिशत कमी लाने में सफलता पाई है। बता दें कि CM भूपेश बघेल ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 से प्रदेशव्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की थी। इसके तहत विभिन्न योजनाओं को  एकीकृत करने के साथ समन्वित प्रयास किए गए, जिससे परिणामस्वरू प्रदेश के लगभग एक लाख 60 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं।

प्रदेश में महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया के निर्देशन में जुलाई 2021 में आयोजित वजन त्यौहार के आंकड़े देखें तो राज्य में सिर्फ 19.86 प्रतिशत बच्चे कुपोषित पाए गए हैं। वजन त्यौहार में लगभग 22 लाख बच्चों का वजन लिया गया, जिसके आधार पर कुपोषण के स्तर का आंकलन किया गया है। डाटा की गुणवत्ता परीक्षण और डाटा प्रमाणीकरण के लिए बाह्य एजेंसी की सेवाएं ली गई थी। छत्तीसगढ़ में जनवरी 2019 में हुए वजन त्यौहार में  लगभग 4 लाख 33 हजार 541 कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया गया था। इनमें से नवंबर 2021 की स्थिति में लगभग एक तिहाई 36.86 प्रतिशत मतलब एक लाख 59 हजार 845 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए है। जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है। 

बहुत ही कम समय में ही प्रदेश में कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी आई है। बता दें कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के प्रदेश में शुरू होने के बाद से लगभग  4 लाख 39 हजार बच्चों और 2 लाख 59 हजार महिलाओं को गरम भोजन और पूरक पौष्टिक आहार से लाभांवित किया गया है। स्थानीय उपलब्धता के आधार पर महिलाओं और बच्चों को फल, सब्जियों सहित सोया और मूंगफली की चिक्की, पौष्टिक लड्डू, अंडा समेत मिलेट्स के बिस्कुट और स्वादिष्ठ पौष्टिक आहार दिया गया। इससे बच्चों में खाने के प्रति रूचि जागी और तेजी से कुपोषण की स्थिति में सुधार आया। महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सुपोषण को प्राथमिकता क्रम में रखते हुए इसके लिए राज्य में डीएमएफ, सीएसआर और अन्य मदों की राशि का उपयोग किए जाने की अनुमति मुख्यमंत्री बघेल ने दी और जनसहयोग लिया गया। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर बीते साल कोरोना काल में प्रदेश में घर-घर जाकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने पूरक पोषण आहार और रेडी-टू-ईट वितरण कर महिलाओं और बच्चों के पोषण का ख्याल रखा। वहीं वर्तमान में कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए मुख्यमंत्री ने 4 प्रतिशत से अधिक कोरोना पॉजिटिविटी दर वाले ऐसे जिले जहां कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिए आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद किया गया है। वहां सभी श्रेणी के पात्र हितग्राहियों को रेडी-टू-ईट वितरण जारी रखने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही गर्भवती माताओं और 3 से 6 साल के बच्चों को घर-घर जाकर टिफिन व्यवस्था के माध्यम से गरम भोजन प्रदान करने कहा है।

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