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सभी धर्मों का एक समान सम्मान करना चाहिए: राज्यपाल उइके

रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके बालोद जिले के ग्राम बघमार में अंतर्राष्ट्रीय समाजवाद आदिवासी किसान सैनिक संस्था नई दिल्ली द्वारा आयोजित क्रांतिवीर कंगला मांझी स्मृति दिवस और सम्मान समारोह में शामिल हुई। उन्होंने क्रांतिवीर कंगला मांझी के छायाचित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित कर उन्हें नमन किया। इस अवसर पर राजमाता फूलवा देवी कांगे ने समारोह की अध्यक्षता की। समारोह में राज्यपाल ने सम्मानित सभी प्रबुद्धजनों को शुभकामनाएं दी।

राज्यपाल उइके ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब कभी भी विभिन्न मौकों पर किसी महत्वपूर्ण कार्यक्रम में खाकी वर्दी तथा बिल्ला-स्टार पहने वर्दीधारी सैनिकों को देखते हैं तो देखकर लोगों के मन में जिज्ञासा होती है कि वे कौन हैं, जो अनुशासित ढंग से बिना किसी अपेक्षा के कार्य कर रहे हैं। वास्तव में वे कंगला मांझी के सैनिक हैं। इनका अनुशासन देखकर उनके प्रति सम्मान का भाव जाग उठता है और यह गर्व भी होता है कि ऐसे लोग हमारे समाज में कार्य कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि क्रांतिवीर कंगला मंाझी का स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में प्रमुख योगदान रहा है। उनका जन्म कांकेर जिला स्थित ग्राम तेलावट में हुआ था। उनमें अद्भुत संगठन कौशल था। वे सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते थे, लेकिन उनका दृष्टिकोण बड़ा व्यापक था। वे सन् 1913 में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े। सन् 1914 में वे महात्मा गांधी से मिल चुके थे। इस दौरान वे राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। उन्होंने सैनिकों का एक संगठन बनाया, जिन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। परन्तु इन सैनिकों का स्वरूप अलग था। ये शांति और अहिंसा पर विश्वास करते थे। उनकी क्षमता और योग्यता को देखते हुए  स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों घनश्याम सिंह गुप्त, डॉ. खूबचंद बघेल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, विश्वनाथ तामस्कर, चंदूलाल चंद्राकर ने उन्हें भरपूर सहयोग दिया।

क्रांतिवीर कंगला मांझी राष्ट्र के प्रति पूर्णतः समर्पित थे। उन्होंने आदिवासी समाज को एकता का पाठ पढ़ाया। कंगला मांझी संपूर्ण विकास को सर्वोपरि मानते थे और राष्ट्र हित के लिए कार्य करने के लिए हमेशा तत्पर रहे। इस राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत महापुरूष ने 05 दिसंबर 1984 को अपने प्राण त्यागे। उनकी याद में आज हम सब एकत्र हुए हैं। आज आजादी के 75वें वर्ष में मनाए जा रहे अमृत महोत्सव के अवसर पर उनके साथ शहीद वीर नारायण सिंह, गुंडाधुर, गैंदसिंह जैसे महानायकों को भी नमन करते हैं।

 पेसा कानून को लागू करने के लिए तैयार हो रहा प्रारूप 

राज्यपाल ने कहा कि पेसा कानून को लागू करने के लिये प्रारूप तैयार किया जा रहा है। पिछले दिनों में प्रधानमंत्री जी से आग्रह किया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में अगर बड़े उद्योग लगाते हैं तो अधिग्रहित जमीन के बदले शेयर होल्डर बनाया जाए, 22 जनजाति की मात्रात्मक त्रुटि का शीघ्र समाधान किया जाए। राज्यपाल ने कहा कि आप सभी धर्म और राष्ट्र विरोधी विघटनकारी तत्वों से सावधान रहें। उन्होंने कहा कि जनजातीय सलाहकार परिषद का अध्यक्ष गैर राजनीतिक और समाज को समझने वाला हो। गोंडी भाषा को आठवीं सूची में जोड़ा जाना चाहिए।

इन्हें मिला कंगला मांझी शौर्य सम्मान 

राज्यपाल ने कहा कि हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए। कार्यक्रम में कंगला मांझी शौर्य सम्मान से साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा, स्व. जोइधा खुसरो, महाजन राम अठभेया और वस्तु सिंह को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की समाप्ति पर राज्यपाल उइके को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर  राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य नीतिन पोटाई, कलेक्टर जनमेजय महोबे, पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार सहित जिले के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, गणमान्य नागरिकगण, आयोजन समिति के सदस्य और बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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