छत्तीसगढ़ हादसों का गढ़ बनता जा रहा है। प्रदेश में किसी न किसी दुर्घटना की खबर रोजाना सामने आ रही है। ताजा मामला धमतरी का है, जहां रविवार की रात हुए एक सड़क हादसे में मगरलोड जनपद अध्यक्ष ज्योति दिवाकर ठाकुर के बेटे की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक कार की रफ्तार बहुत तेज थी। मोड़ के दौरान वह नियंत्रण खो बैठा और हादसे का शिकार हो गया। ASI दक्ष कुमार साहू ने बताया की रांकाडीह का रहने वाला सौरभ ठाकुर रविवार को कार से निजी काम के चलते मगरलोड आया था। काम खत्म होने के बाद वो अपने घर रांकाडीह के लिए निकला था।
वहीं रात 9.30 बजे भरदा से तीन सौ मीटर परसवानी मार्ग में कार अनियंत्रित होकर सड़क किनारे दो पेड़ में टकरा गई, जिससे वाहन बुरी क्षतिग्रस्त हो गया। वहीं कार सवार जनपद अध्यक्ष के बेटे सौरभ ठाकुर घायल हो गए। घटना की सूचना मिलते ही मगरलोड पुलिस ने घायल सौरभ ठाकुर को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टर ने रात में ही उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टर्स के मुताबिक सौरभ ठाकुर के सिर में गंभीर चोट लगने से उसकी मौत हुई है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।
मौत के मामले में 11वें नंबर पर छत्तीसगढ़
इस साल नवंबर में सड़क दुर्घटनाओं (Road accidents) में 408 लोगों की मौत और 884 लोग घायल हुए है। प्रदेश में 11 महीनों में 10 हजार 126 सड़क दुर्घटनाओं में 395 लोगों की मौत हुई और 9 हजार 270 लोग घायल हुए है। वहीं सड़क हादसे से होने वाली मौत के मामले में छत्तीसगढ़ देश भर में 11 वें नंबर पर पहुंच गया है।
इस साल नवंबर में सड़क दुर्घटनाओं (Road accidents) में 408 लोगों की मौत और 884 लोग घायल हुए है। प्रदेश में 11 महीनों में 10 हजार 126 सड़क दुर्घटनाओं में 395 लोगों की मौत हुई और 9 हजार 270 लोग घायल हुए है। वहीं सड़क हादसे से होने वाली मौत के मामले में छत्तीसगढ़ देश भर में 11 वें नंबर पर पहुंच गया है।
सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या
सड़क हादसों (Road Accident in Chhattisgarh) में मौत के मामले में छत्तीसगढ़ के आंकड़ों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में करीब 14 हजार सड़क हादसों में 4 हजार 556 लोगों ने अपनी जान गवांई है। इसमें करीब 3 हजार 200 मृतक ऐसे हैं, जो दो पहिया वाहनों में थे।
सड़क हादसों (Road Accident in Chhattisgarh) में मौत के मामले में छत्तीसगढ़ के आंकड़ों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में करीब 14 हजार सड़क हादसों में 4 हजार 556 लोगों ने अपनी जान गवांई है। इसमें करीब 3 हजार 200 मृतक ऐसे हैं, जो दो पहिया वाहनों में थे।
दिन-ब-दिन बढ़ रहा सड़क हादसों का ग्राफ
इन 3 हजार 200 में से करीब 2450 लोगों की मौत सिर में चोट लगने की वजह से हुई है। इसके कारण प्रदेश में सड़क हादसों का ग्राफ दिन ब दिन बढ़ता ही जा रह है, इसके कारण सड़क हादसों में जान गवांने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती ही जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक सड़क हादसों में सबसे ज्यादा हादसे राजधानी रायपुर में हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक राजधानी रायपुर के टाटीबंध चौक पर हर महीने 4 से 5 लोगों की मौत होती है। ऐसा नहीं है कि सरकार सड़क हादसों को कम करने के लिए कोई उपाय नहीं कर रही है।
इन 3 हजार 200 में से करीब 2450 लोगों की मौत सिर में चोट लगने की वजह से हुई है। इसके कारण प्रदेश में सड़क हादसों का ग्राफ दिन ब दिन बढ़ता ही जा रह है, इसके कारण सड़क हादसों में जान गवांने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती ही जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक सड़क हादसों में सबसे ज्यादा हादसे राजधानी रायपुर में हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक राजधानी रायपुर के टाटीबंध चौक पर हर महीने 4 से 5 लोगों की मौत होती है। ऐसा नहीं है कि सरकार सड़क हादसों को कम करने के लिए कोई उपाय नहीं कर रही है।
लोगों की लापरवाही बन रही हादसों का कारण
बता दें कि सड़क हादसों और इन हादसों में घायल लोगों को जल्द इलाज मुहैया करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने हर जिले के पुलिस को पेट्रोलिंग वाहन सौंपा है. साथ ही सड़क हादसों को कम करने और लोगों को जागरूक करने के लिए कई तरह के जागरुकता अभियान भी चलाएं जा रहे है, लेकिन लोगों की लापरवाही के कारण सड़क दुर्घटना कम होने का नाम नहीं ले रहा है। लोग अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट नहीं पहनते है, बल्कि पुलिस से बचने के लिए हेलमेट पहनते है। वहीं लोग हर काम जल्दी करना चाहते है, कई बार लोगों की यहीं जल्दबाजी सड़क हादसों का कारण बनता है।
बता दें कि सड़क हादसों और इन हादसों में घायल लोगों को जल्द इलाज मुहैया करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने हर जिले के पुलिस को पेट्रोलिंग वाहन सौंपा है. साथ ही सड़क हादसों को कम करने और लोगों को जागरूक करने के लिए कई तरह के जागरुकता अभियान भी चलाएं जा रहे है, लेकिन लोगों की लापरवाही के कारण सड़क दुर्घटना कम होने का नाम नहीं ले रहा है। लोग अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट नहीं पहनते है, बल्कि पुलिस से बचने के लिए हेलमेट पहनते है। वहीं लोग हर काम जल्दी करना चाहते है, कई बार लोगों की यहीं जल्दबाजी सड़क हादसों का कारण बनता है।
इन कारणों की वजह से हो रहा सबसे ज्यादा हादसा
- शराब पीकर वाहन चलाने के कारण।
- गलत साइड में ड्राइविंग करने के कारण।
- बिना हेलमेट वाहन पहने गाड़ी चलाने के कारण।
- मोबाइल फोन का उपयोग करते-करते ड्राइविंग करने के कारण।
- नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने जैसे कारणों के कारण सबसे ज्यादा दुर्घटना और मौत हो रही है।
- शराब पीकर वाहन चलाने के कारण।
- गलत साइड में ड्राइविंग करने के कारण।
- बिना हेलमेट वाहन पहने गाड़ी चलाने के कारण।
- मोबाइल फोन का उपयोग करते-करते ड्राइविंग करने के कारण।
- नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने जैसे कारणों के कारण सबसे ज्यादा दुर्घटना और मौत हो रही है।
साल दर साल बढ़ रहा आंकड़ा
बीते तीन साल के सड़क हादसों के रिपोर्ट के आधार पर पुलिस मुख्यालय ने रिपोर्ट तैयार की हैं। वहीं साल 2016 से अगस्त 2020 तक के मौतों के आंकड़ों को देखा जाए तो हर साल सड़क हादसों होने वाले मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा हैं। बता दें कि कोरोना के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन में सड़क हादसों की संख्या में कमी आई थी, लेकिन अनलॉक के बाद प्रदेश में सड़क हादसों की संख्या में लगातार तेजी आई है। अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में बीते साल के मुकाबले सबसे ज्यादा 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी सितंबर में हुई है।
बीते तीन साल के सड़क हादसों के रिपोर्ट के आधार पर पुलिस मुख्यालय ने रिपोर्ट तैयार की हैं। वहीं साल 2016 से अगस्त 2020 तक के मौतों के आंकड़ों को देखा जाए तो हर साल सड़क हादसों होने वाले मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा हैं। बता दें कि कोरोना के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन में सड़क हादसों की संख्या में कमी आई थी, लेकिन अनलॉक के बाद प्रदेश में सड़क हादसों की संख्या में लगातार तेजी आई है। अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में बीते साल के मुकाबले सबसे ज्यादा 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी सितंबर में हुई है।
हेलमेट नहीं पहनने की वजह हो रही सबसे ज्यादा मौतें
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि सड़क हादसों में हर 100 में से 95 लोगों की मौत हेलमेट नहीं पहनने की वजह से हुई है। पुलिस मुख्यालय ने इसके लिए सभी जिलों में अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। इन साल दस महीनों में सड़क हादसों के आंकड़ों में कमी आई थी , लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद जैसे-जैसे आवाजाही बढ़ी वैसे-वैसे हादसों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि सड़क हादसों में हर 100 में से 95 लोगों की मौत हेलमेट नहीं पहनने की वजह से हुई है। पुलिस मुख्यालय ने इसके लिए सभी जिलों में अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। इन साल दस महीनों में सड़क हादसों के आंकड़ों में कमी आई थी , लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद जैसे-जैसे आवाजाही बढ़ी वैसे-वैसे हादसों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है।
इन जिलों में आई मृत्यु दर में कमी
आंकड़ों के मुताबिक रायपुर, गरियाबंद, मुंगेली, दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर में हादसों में मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है,जबकि बाकी जिलों में मृत्यु दर में कमी आई है। प्रदेशभर के सड़क हादसों के रिपोर्ट के मुताबिक 67% दोपहिया वाहन सवारों की मौत हुई है। दोपहिया वाहन सवार 2359 लोग हादसे के शिकार हुए, जिनमें 2361 की मौत हो गई। इनमें से 2257 की मौत हेलमेट नहीं पहनने से हुई है। इस साल दस महीने में 9097 सड़क हादसे हुए हैं । इसमें 3543 लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा 8388 लोग घायल हुए हैं।
आंकड़ों के मुताबिक रायपुर, गरियाबंद, मुंगेली, दंतेवाड़ा, बीजापुर और नारायणपुर में हादसों में मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है,जबकि बाकी जिलों में मृत्यु दर में कमी आई है। प्रदेशभर के सड़क हादसों के रिपोर्ट के मुताबिक 67% दोपहिया वाहन सवारों की मौत हुई है। दोपहिया वाहन सवार 2359 लोग हादसे के शिकार हुए, जिनमें 2361 की मौत हो गई। इनमें से 2257 की मौत हेलमेट नहीं पहनने से हुई है। इस साल दस महीने में 9097 सड़क हादसे हुए हैं । इसमें 3543 लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा 8388 लोग घायल हुए हैं।
सबसे ज्यादा युवा हो रहे हादसे का शिकार
बता दें कि 40 प्रतिशत सड़क दुर्घटना फ्लाई ओवर के आस-पास होता हैं। इसके बाद सबसे ज्यादा हादसा क्रॉसिंग पर होता है, आंकड़ों के मुताबिक क्रॉसिंग पर होने वाले सड़क हादसों का प्रतिशत 30 है। इनमें सबसे ज्यादा हादसों के शिकार बाइक सवार और पैदल यात्री होते है। वहीं हादसों के शिकार होने वाले लोगों में ज्यादातर लोग युवा हैं।
बता दें कि 40 प्रतिशत सड़क दुर्घटना फ्लाई ओवर के आस-पास होता हैं। इसके बाद सबसे ज्यादा हादसा क्रॉसिंग पर होता है, आंकड़ों के मुताबिक क्रॉसिंग पर होने वाले सड़क हादसों का प्रतिशत 30 है। इनमें सबसे ज्यादा हादसों के शिकार बाइक सवार और पैदल यात्री होते है। वहीं हादसों के शिकार होने वाले लोगों में ज्यादातर लोग युवा हैं।