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सर्व आदिवासी समाज का 16 को जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन, मांग पूरी नहीं होने पर छत्तीसगढ़ में रेल रोको आंदोलन

महासमुंद। अधिकार वंचित आदिवासी संघर्ष समिति के बैनर तले आदिवासी समाज का प्रतिनिधि मंडल दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं। राष्ट्रीय राजधानी नईदिल्ली के जंतर मंतर में 16 दिसम्बर को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर अपनी मांग बुलंद करेंगे। उनकी एक सूत्रीय मांग करीब 18 वर्षों से लंबित है। मात्रात्मक त्रुटि सुधार नहीं होने से छत्तीसगढ़ के 12 जन जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। निरंतर राज्य और केन्द्र सरकार का ध्यानाकर्षण कराने के बावजूद निराकरण नहीं होने से अब आदिवासी समाज उग्र आंदोलन की रणनीति पर काम कर रहा है। इसी क्रम में 16 दिसम्बर को सांकेतिक प्रदर्शन करने दिल्ली जा रहे हैं। वहां भी समस्या समाधान नहीं होने पर 'रेल रोको आंदोलन' करने की चेतावनी दी गई है।

प्रेस क्लब महासमुन्द में आज आयेजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ सवर सवरा समाज के संरक्षक जयदेव भोई, जिलाध्यक्ष सुरेश मलिक, कोषाध्यक्ष युवराज रावल, युवा प्रभाग के अध्यक्ष रमाकांत भोई और सचिव चिंतामणी भोई ने बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में अधिसूचित 42 अनुसूचित जनजातियों में से 12 अनुसूचित जनजातियों सवरा, भूमिया, धनवार, नगेशिया, उरांव और धांगड़, पंडो, गोंड, बिंझिया, कोड़ाकू, कोंध, गदबा, भारिया को आरक्षण के लाभ से वंचित कर दिया गया है। इन जनजातियों से संबंधित राजस्व अभिलेखों में मात्रात्मक त्रुटि बताया जा रहा है। उच्चारण और लिपिबद्ध करने में हुई त्रुटि का खामियाजा अनुसूचित जनजाति के एक बड़े वर्ग को भुगतना पड़ रहा है। 

न्याय के लिए निरंतर उठा रहे आवाज

उन्होंने बताया कि सामाजिक न्याय के लिए निरंतर आवाज उठा रहे हैं। ज्ञापन सौंपने और 1 नवम्बर 2017 को राज्योत्सव का बहिष्कार कर सराईपाली में जंगी प्रदर्शन करने के बाद तत्कालीन डॉ रमनसिंह की नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने मात्रात्मक त्रुटि सुधार के लिए संशोधन का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजकर अपना पल्ला झाड़ लिया। जबकि, यह राज्य सरकार स्तर का मामला है। केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2016 में और 2019 में 12 जनजातियों को केंद्रीय मंत्री मंडल में इसे अनुमोदित भी किया जा चुका है। केंद्रीय जनजाति आयोग ने भी सिफारिश की है। बावजूद दोनों सदनों (लोकसभा  और राज्यसभा) में इसे प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है। इससे छत्तीसगढ़ के करीब 40 लाख परिवारों का अहित हो रहा है।जो मात्रात्मक त्रुटि के मामले को नए आरक्षण जैसी प्रकिया से गुजारा जा रहा है। इस वजह से अनावश्यक विलंब हो रहा है। इससे पिछड़ी हुई इन जनजातियों का समन्वित विकास नहीं हो पा रहा है। 

सरकार जानबूझकर कर रही है आदिवासीयों के साथ अन्याय !

सामाजिक कार्यकर्ताओ ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार जानबूझकर छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के साथ अन्याय कर रही है। सरकारी कामकाज में इतना विलंब होने का दुष्परिणाम यह हुआ है कि इन अनुसूचित जनजातियों की जमीन को गैर जनजाति वर्ग के लोग आसानी से खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। इससे इनका जीवन स्तर सुधरने के बजाय, बदतर हो रहा है। जंतर मंतर में एक दिवसीय शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे,  ज्ञापन सौंपकर ध्यानाकर्षण कराएंगे। इसके बावजूद वर्षों से लंबित हमारी एक सूत्रीय  मांग को अविलंब पूरी नहीं किया गया तो सपरिवार छत्तीसगढ़ में उग्र आंदोलन करने बाध्य होंगे। फरवरी 2022 में रेल रोको आंदोलन करने की रणनीति तैयार कर ली गई है। इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी।

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