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इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में जैव विविधता की प्रदर्शनी और संगोष्ठी का आयोजन

महासमुंद। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में छग बायोवर्सिटी इंटरनेशनल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में जैव विविधता संरक्षण एवं पारंपरिक किस्मों के फसलों के प्रचार-प्रसार के लिये विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । संगोष्ठी में महासमुंद जिले से प्रगतिशील कृषक एवं बीज अनुसंधान समिति के सदस्य दाऊलाल चंद्राकर और कृषक प्रतिनिधियों का शाल श्रीफल, प्रशस्ति पत्र से सम्मान किया गया। 

कार्यक्रम में संगोष्ठी के साथ छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों- बीजापुर, दंतेवाड़ा, जांजगीर चांपा, सरगुजा, कोरिया एवं दुर्ग के कृषकों ने विभिन्न प्रकार के दुर्लभ प्रजाति के फसलों का प्रदर्शन किया। उसकी विशिष्टता को बताया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सेंगर थे। अध्यक्षता  प्रदीप शर्मा, मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार डॉ. जे.सी. राणा नेशनल को-आर्डीनेटर, बायोवर्सिटी इंटरनेशनल विशिष्ट अतिथि डॉ. दीपक शर्मा विभागाध्यक्ष आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, कृषि वैज्ञानिक गण, बीज अनुसंधान समिति के कृषक प्रतिनिधि दाऊलाल चंद्राकर, भूपेन्द्र चंद्रा, भूषण वर्मा, कृष्णा देवांगन और राजेन्द्र चंद्रवंशी थे।

बोनस से किसानों की जीविका में परिवर्तन

संगोष्ठी के प्रारंभ में संचालक डा. दीपक शर्मा ने छ.ग. सरकार के सफलतापूर्वक तीन वर्ष पूर्ण होने पर कृषकों को शुभकामनाएं दी।  परंपरिक किस्मों के फसलों की विशिष्ठता के संबंध में जानकारी दी। कृषि वैज्ञानिक डॉ. जे.सी. राणा ने कहा कि छत्तीसगढ़ जैव विविधता का केन्द्र है इसे व्यापारीकरण से जोडक़र मुख्यधारा में लाना होगा । मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार प्रदीप शर्मा ने कहा कि लघु और सीमांत कृषकों को सरकार द्वारा दिये जा रहे समर्थन मूल्य और बोनस से किसानों की जीविका में परिवर्तन आया है। उन्होंने राज्य के कृषि संबंधित सरकारी योजनाओं नरवा गरवा घुरवा बारी एवं गोधन न्याय योजना का उल्लेख किया।

फसलों को संरक्षित करने की आवश्यकता

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सेंगर ने बताया कि जैव विविधता का संबंध मानव सभ्यता से है । जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये छत्तीसगढ़ राज्य में फसलों की अनेक विविध प्रजाति उपलब्ध है। इन प्रजाति के फसलों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। इन फसलों के लिये बाजार उपलब्ध कराना होगा । नहीं तो यह प्रजाति विलुप्त हो जायेगी। संगोष्ठी में किसानों की ओर से कृषक प्रतिनिधि दाऊलाल चंद्राकर ने कहा कि इन तीन वर्षों में छ.ग. सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों के आर्थिक उत्थान को प्राथमिकता दी है।

ये रहे उपस्थित

ऋण माफी राजीव गांधी किसान न्याय योजना, मछली पालन को खेती का दर्जा, सिंचाई कर (टैक्स) माफी एवं बिजली बिल हाफ, गोधन न्याय योजना और वन अधिकार अधिनियम का क्रियान्वयन कर किसानों को समृद्घ बनाया है। नवाचार के अंतर्गत कृषि वैज्ञानिक किसानों को आधुनिक खेती एवं नगद फसलों की पैदावारी के प्रेरित कर सकते हैं। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी निर्देशक, विभागाध्यक्ष एवं कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।

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