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छत्तीसगढ़ में IGKV में 175 पदों पर होगी भर्ती, जानें कब जारी होगा नोटिफिकेशन

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 रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (IGKV) में सहायक प्राध्यापक, सहायक ग्रेड-3 के 175 पदों पर भर्ती निकाली जाएगी। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन की तरफ से प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है। शासन से मंजूरी मिलते ही विश्वविद्यालय प्रबंधन विज्ञापन जारी करेगा। ये सभी पद कृषि कालेज, कृषि इंजीनियरिंग कालेज और शोध केंद्र के लिए हैं।


आइजीकेवी में सहायक प्राध्यापक, वैज्ञानिक और सहायक ग्रेड-3 के लगभग एक हजार पद खाली है। इन पदों में से 300 पदों को भरने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था, लेकिन इस प्रस्ताव को शासन की तरफ से अनुमति नहीं मिली। अब नए सिरे से पदों की संख्या कम करे फिर से विश्वविद्यालय ने प्रस्ताव भेजा है।

गौरतलब है कि प्रदेश में कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध 28 कॉलेज हैं। इनमें 25 एग्रीकल्चर, दो एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग और एक फूड टेक्नोलाजी के हैं। पुराने कॉलेजों में टीचिंग और नान टीचिंग के ज्यादा पद खाली हैं। अभी जो प्रस्ताव भेजा गया है उनमें 105 सहायक प्राध्यापक व वैज्ञानिक के हैं। जबकि अन्य पोस्ट नान टीचिंग में ग्रेड-2 से लेकर ग्रेड-4 तक के हैं।

तीन कालेजों में 32 सहायक प्राध्यापकों की होगी भर्ती

आइजीकेवी से संबद्ध तीन शासकीय कॉलेज मर्रा-पाटन, साजा और नारायणपुर में सहायक प्राध्यापक के 32 पदों पर भर्ती होगी। 11 विषयों में भर्ती के लिए पिछले वर्ष आवेदन मंगाए गए थे। अलग-अलग विषयों के लिए लगभग सात सौ आवेदन मिले थे। प्राप्त आवेदनों का सत्यापन हो चुका है। पात्र-अपात्र अभ्यर्थियों की सूची भी जारी की जा चुकी है। अंतिम सूची जारी करने की तैयारी चल रही है।


इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में जैव विविधता की प्रदर्शनी और संगोष्ठी का आयोजन

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महासमुंद। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में छग बायोवर्सिटी इंटरनेशनल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में जैव विविधता संरक्षण एवं पारंपरिक किस्मों के फसलों के प्रचार-प्रसार के लिये विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । संगोष्ठी में महासमुंद जिले से प्रगतिशील कृषक एवं बीज अनुसंधान समिति के सदस्य दाऊलाल चंद्राकर और कृषक प्रतिनिधियों का शाल श्रीफल, प्रशस्ति पत्र से सम्मान किया गया। 

कार्यक्रम में संगोष्ठी के साथ छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों- बीजापुर, दंतेवाड़ा, जांजगीर चांपा, सरगुजा, कोरिया एवं दुर्ग के कृषकों ने विभिन्न प्रकार के दुर्लभ प्रजाति के फसलों का प्रदर्शन किया। उसकी विशिष्टता को बताया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सेंगर थे। अध्यक्षता  प्रदीप शर्मा, मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार डॉ. जे.सी. राणा नेशनल को-आर्डीनेटर, बायोवर्सिटी इंटरनेशनल विशिष्ट अतिथि डॉ. दीपक शर्मा विभागाध्यक्ष आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, कृषि वैज्ञानिक गण, बीज अनुसंधान समिति के कृषक प्रतिनिधि दाऊलाल चंद्राकर, भूपेन्द्र चंद्रा, भूषण वर्मा, कृष्णा देवांगन और राजेन्द्र चंद्रवंशी थे।

बोनस से किसानों की जीविका में परिवर्तन

संगोष्ठी के प्रारंभ में संचालक डा. दीपक शर्मा ने छ.ग. सरकार के सफलतापूर्वक तीन वर्ष पूर्ण होने पर कृषकों को शुभकामनाएं दी।  परंपरिक किस्मों के फसलों की विशिष्ठता के संबंध में जानकारी दी। कृषि वैज्ञानिक डॉ. जे.सी. राणा ने कहा कि छत्तीसगढ़ जैव विविधता का केन्द्र है इसे व्यापारीकरण से जोडक़र मुख्यधारा में लाना होगा । मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार प्रदीप शर्मा ने कहा कि लघु और सीमांत कृषकों को सरकार द्वारा दिये जा रहे समर्थन मूल्य और बोनस से किसानों की जीविका में परिवर्तन आया है। उन्होंने राज्य के कृषि संबंधित सरकारी योजनाओं नरवा गरवा घुरवा बारी एवं गोधन न्याय योजना का उल्लेख किया।

फसलों को संरक्षित करने की आवश्यकता

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सेंगर ने बताया कि जैव विविधता का संबंध मानव सभ्यता से है । जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये छत्तीसगढ़ राज्य में फसलों की अनेक विविध प्रजाति उपलब्ध है। इन प्रजाति के फसलों को संरक्षित करने की आवश्यकता है। इन फसलों के लिये बाजार उपलब्ध कराना होगा । नहीं तो यह प्रजाति विलुप्त हो जायेगी। संगोष्ठी में किसानों की ओर से कृषक प्रतिनिधि दाऊलाल चंद्राकर ने कहा कि इन तीन वर्षों में छ.ग. सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों के आर्थिक उत्थान को प्राथमिकता दी है।

ये रहे उपस्थित

ऋण माफी राजीव गांधी किसान न्याय योजना, मछली पालन को खेती का दर्जा, सिंचाई कर (टैक्स) माफी एवं बिजली बिल हाफ, गोधन न्याय योजना और वन अधिकार अधिनियम का क्रियान्वयन कर किसानों को समृद्घ बनाया है। नवाचार के अंतर्गत कृषि वैज्ञानिक किसानों को आधुनिक खेती एवं नगद फसलों की पैदावारी के प्रेरित कर सकते हैं। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी निर्देशक, विभागाध्यक्ष एवं कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ के किसानों को मौसम आधारित कृषि की सलाह, होगा लाभ

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रायपुर. राज्य के कृषि एवं मौसम विज्ञान विभाग और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ में मानसून आगमन को ध्यान में रखते हुए किसानों को मौसम आधारित कृषि सलाह दी है। उन्होंने खरीफ फसलों और फल-सब्जियों की बुवाई के साथ ही पशुपालन के संबंध में और आवश्यक वैज्ञानिक सलाह दी है।





कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि खेत की साफ-सफाई एवं मेड़ों की मरम्मत आवश्यक रूप से इस समय करना चाहिए। खरीफ फसल लगाने के लिए बीज एवं उर्वरक का अग्रिम व्यवस्था कर ले। धान की जैविक खेती के लिए हरी खाद फसल जैसे ढेंचा/सनई की बुवाई शीघ्र करें। खरीफ फसल लगाने के लिए बीज एवं उर्वरक का अग्रिम व्यवस्था कर लें। धान का थरहा डालने या बोवाई से पूर्व स्वयं उत्पादित बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल से उपचारित करें। प्रमाणित या आधार श्रेणी के बीजों को पैकेट में प्रदाय किए गए फफूंद नाशक से अवश्य उपचारित कर लें। धान की नर्सरी के लिए गोबर खाद की व्यवस्था कर लें।





सुनिश्चित सिंचाई के साधन उपलब्ध होने की स्थिति में धान का थरहा तैयार करने के लिए धान की रोपाई वाले कुल क्षेत्र के लगभग 1/10 भाग में नर्सरी तैयार करें इसके लिए मोटा धान वाली किस्मों की मात्रा 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या पतला धान की किस्मों की मात्रा 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज डालें। सोयाबीन, मक्का, मूंगफली आदि फसलों की बुवाई के लिए खेतों को गहरी जुताई कर तैयार करें जिससे बहुवर्षीय घास नष्ट हो जाएं। गन्ने की नई फसल में आवश्यकतानुसार निंदाई-गुडाई एवं सिंचाई करें।





कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि जो किसान भाई फलदार पौधे लगाना चाहते हैं वे वर्तमान में खेतों की तैयारी करें तथा साथ ही साथ खेतों में वर्षा ऋतु में पौधे लगाने के लिए गड्डे खोदने का कार्य प्रारंभ करें। गड्डों में मिट्टी के साथ सड़ी हुई गोबर खाद, दीमक मारने की दवा एवं अनुशंसित उर्वरक की मात्रा मिलाकर पुनः जमीन से 10 सेंटीमीटर ऊंचा भर दें। सीधे बुवाई वाली सब्जियों के उन्नत किस्मों के बीजों की व्यवस्वथा रखें एवं योजना अनुसार खेत की तैयारी करें। खरीफ की लतावली सब्जी जैसे लौकी, कुम्हड़ा को बैग में पौध तैयार करें व करेला, बरबट्टी लगाने हेतु अच्छी किस्म का चयन कर मेड नाली पद्धति से फसल लगाना सुनिश्चिित करें, कुंदरू व परवल लगाने हेतु खेत तैयार करें। अदरक एवं हल्दी की रोपित फसल में पलवार (मल्चिंग) करें और जल निकास को वर्षा पूर्व ठीक कर लें।





कृषि वैज्ञानिकों ने मुर्गियों को रानीखेत बीमारी से बचाने के लिए पहला टीका एफ-1 सात दिनों के अंदर एवं दूसरा टीका आर-2बी आठ सप्ताह की उम्र में लगवाएं। गर्मी के मौसम में मुर्गियों के लिए पीने के पानी की मात्रा 3-4 गुना बढ़ा दें। पशुओं को 50 से 60 ग्राम नमक पानी में मिलाकर अवश्य खिलाएं तथा दुधारू पशुओं के आहार में दाना मिश्रण की मात्रा बढ़ा दें। गलघोटू एवं लंगड़ी रोग से बचाव के लिए मवेशियों का टीकाकरण करवाएं।


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