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सुलोचना देवी के नेत्रदान का सर्वत्र यशगान, अब परिजन भी करेंगे नेत्रदान

महासमुन्द। ग्राम लाफिनखुर्द निवासी सुलोचना देवी साहू के देहावसान के बाद की गई नेत्रदान का सर्वत्र यशगान हो रहा है। इससे प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध सेंड आर्टिस्ट हेमचंद साहू ने रेत से उनकी छवि उकेरी। जहां पुष्पांजलि अर्पित करने वालों का तांता लगा रहा। इससे बड़ी संख्या में लोगों ने नेत्रदान का संकल्प भी लिया है। 


इधर, सुलोचना देवी के सुपुत्र लोकेश्वर साहू ने बताया उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने भी मरणोपरांत नेत्रदान करने की इच्छा जताई है। गांव में पहली बार नेत्रदान होने से जनमानस ने अंगदान की प्रेरणा ली है।

लोकेश्वर की पहल से अनेक सामाजिक कुरीतियां भी हुई दूर

बता दें कि लोकेश्वर ने न केवल अपनी माता सुलोचना देवी का  नेत्रदान किया। मरणोपरांत शव पर कफन (कपड़े डालने) की परंपरागत तरीके में बदलाव लाने दानपेटी रखवाया। यह सामाजिक बदलाव की प्रकिया साहू समाज द्वारा प्रेरित है। दशगात्र कार्यक्रम में प्रचलित कलेवा प्रथा (बड़ा, पूड़ी, लड्डू परोसने) को भी बंद किया। 

गौरतलब है कि गोवर्धन पूजा के दिन उनकी माता सुलोचना साहू का  निधन हो गया था। सूचना मिलते ही मित्रमंडली के महेन्द्र पटेल, आनंदराम साहू, गोवर्धन साहू ने अथक प्रयास कर  स्वास्थ्य विभाग की टीम को गांव तक लाकर ही दम लिया था।  टीम द्वारा तत्परता से नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी कराई गई। इससे दो लोगों की दुनिया में उजियारा आया। जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। 

दानपेटी रखकर दिया जागरूकता का संदेश

प्रायः देखा जाता है कि हर समाज में मरणोपरांत शव पर कफन के तौर पर कपड़े डालने की परंपरा है। उन कपड़ों को तुरंत ही निकाल कर फेंक देते हैं या जला दिया जाता है। इस पर लोकेश्वर साहू ने जिला व तहसील साहू समाज के पहल का अक्षरशः पालन करते हुए अपनी माता के शव में केवल परिवार के लोगों को ही कपड़े डालने कहा। अन्य आगंतुकों के लिए दानपेटी रखा गया। जिसमें बाहर से आए रिश्तेदार, मित्र मंडली ने कपड़े के जगह सहयोग राशि दान पेटी में डाला।  दानपेटी में दानराशि डालकर, पुष्प अर्पित कर मृतात्मा को श्रद्धांजलि दी।

दशगात्र में प्रचलित कलेवा प्रथा को बंद करने पहल

लोकेश्वर ने तहसील और जिला साहू समाज द्वारा बनाए गए नियमावली का अक्षरशः पालन करते हुए ग्राम लाफिनखुर्द में मृत्युभोज में प्रचलित कलेवा प्रथा को बंद कर दिया। उन्होंने बताया कि पहले इसके लिए समाज की बैठक आहूत किया । जहां सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया। इस तरह ग्राम में पहली बार मृत्यु भोज में कलेवा नहीं परोसने का निर्णय की सहमति बनी। अब ग्राम में किसी के भी मृत्यु होने पर केवल सादा भोजन ही कराया जाएगा।

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