वन मंत्री मोहम्मद अकबर के निर्देशानुसार वन विभाग हाथियों से आमजन की सुरक्षा के लिए अर्लट मोड पर काम कर रही है। इसी कड़ी में कवर्धा के आदिवासी बैगा बाहुल बोड़ला विकासखंड के अंतिम गांव में जंगली हाथियों के दल विचरण की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन के निर्देश पर वन अमला हाई अलर्ट हो गया है। कवर्धा कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा के निर्देश पर वन विभाग द्वारा जंगली हाथियों की धमक को देखते हुए आम जनता के जान-माल की सुरक्षा के लिए एडवाइजरी जारी की है।
वनमंडलाधिकारी दिलराज प्रभाकर ने बुधवार सुबह बोड़ला विकासखंड के अंतिम प्रभावित गांवों का निरीक्षण किया। ग्रामीणों से भेंट कर उन्होंने जंगली हाथियों द्वारा किसानों के खेतों में पहंचाई गई क्षति का मुआयना किया गया। प्रभावित किसानों को वन विभाग द्वारा तत्कालिक सहायाता राशि दी गई। DFO ने बताया कि सर्वे के बाद प्रभावित किसानों को नियमानुसार आर्थिक सहायता राशि दी जाएगी। वन मंडलाधिकारी ने हाथी के आने पर क्या करें और क्या न करें उपशीर्षक से जारी सलाह में लोगों से सतर्क और सावधान रहने की अपील की है। वन मंडलाधिकारी ने आमजनों की सुविधा के लिए अधिकारियों के मोबाइल नंबर जारी किए हैं और मुख्यालय में कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।
विभाग ने की आमजनों से अपील
विभाग की ओर से आमजनों से अपील करते हुए कहा गया है कि जंगली हाथियों से कम से कम 200 मीटर की दूरी बनाकर रखें और जंगली हाथियों की फोटो और सेल्फी नहीं ले। वन मंडलाधिकारी ने बताया कि वन अमले द्वारा कवर्धा जिले के अंतिम गांव से कुछ दूरी पर मध्यप्रदेश की सीमा क्षेत्र में 14 सदस्यीय हाथियों को देखा गया है। हाथियों ने बांधी गांव के किताब का 3 एकड़, चंद्रपति यादव का आधे एकड़ और गजपति यादव का आधे एकड़ रक्बा को रौंदा दिया है। जिसमें धान की फसल लगी थी।
पीड़ितों को दी गई तत्काल क्षतिपूर्ति
वहीं रामचरण बैगा की आधा एकड़ की कटी हुई धान की फसल में से कुछ को हाथियों का दल खाकर चला गया है। पीड़ितों को तत्काल क्षतिपूर्ति करते हुए 500 रुपये प्रति प्रकरण में नगद प्रदान किया गया है। बाकी की क्षतिपूर्ति फसल नुकसान के परीक्षण के बाद दी जाएगी। हाथियों का ये दल कटघोरा से अचानकमार, लोरमी में, चांड़ा, बजाग, उमरिया, अनूपपुर, मवई, लम्पटी, झामुल (मध्यप्रदेश) में विचरण कर रहा है। यह दल कवर्धा के बांधी गांव जो ढिंढोरी जिला से लगा है, उसमें आकर धान की फसल के थोड़े से क्षेत्र में नुकसान पहुंचाया है और तुरंत वापस ढिंढोरी वन मंडल, जिला ढिंढोरी के झामुल परिसर में चला गया। आशंका है कि यह दल वापसी करते हुए अचानकमार होते हुए कोरबा जिला चला जाएगा।
हाथी द्वारा नुकसान पहुंचाने पर क्षतिपूर्ति का है प्रावधान
DFO प्रभाकर ने बताया कि वन अपराध संबंधित सूचना प्राप्त होने पर जिला कवर्धा का जागरूक नागरिक वन विभाग को सूचित कर वन अपराध से बचाव और नियंत्रण में शासन का सहयोग कर सकता है। अगर किसी कारणवश वन विभाग से संपर्क नहीं हो पाता है, तो तत्काल स्थानीय थाना या पुलिस चौकी में सूचना दी जा सकती है। हाथी द्वारा नुकसान पहुंचाने पर वन विभाग द्वारा क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। मृत्यु होने की स्थिति में 6 लाख रूपए, स्थाई रूप से अंग भंग होने की स्थिति में 2 लाख रूपए, घायल होने पर इलाज कराने पर प्रस्तुत बिल के आधार पर अधिकतम 59 हजार 100 रूपए तक, पशु हानि पर अधिकतम प्रति पशु 30 हजार रूपए तक, फसल नुकसानी पर फसल का मूल्यांकन कर अधिकतम 10 हेक्टेयर तक की फसल नुकसानी की नियमानुसार क्षतिपूर्ति का प्रावधान है।
क्या करें-
वन मंडलाधिकारी प्रभाकर ने जिलेवासियों को एडवायजरी जारी करते हुए बताया कि हाथी आने की सूचना निकटवर्ती वन कर्मचारी को तुरंत दें। रात मे निकलना अगर आवश्यक हो जाए तो, मशाल जलाकर झुंड में शोर मचाते हुए निकले, सभी घरो के बहार पर्याप्त रौशनी करके रखे ताकी हाथी के आने से पहले ही दूर से पता चल जाए। अगर हाथी दिन मे गाव मे आ जाता है तो उससे पर्याप्त दूरी बना कर रखे, हाथी प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक होने पर गावों मे रात्री में दल बनाकर मशाल के साथ पहरा दें, हाथी द्वारा कान खड़े कर सूंड ऊपर उठाकर आवाज देना इस बात का संकेत है की वो आप पर हमला करने आ रहा है तो तत्काल सुरक्षित स्थान पर चले जाए।
ढलान की ओर दौड़े
अगर हाथी से सामना हो जाए तो तुरंत उसके लिए रास्ता छोड़े, पहाड़ी स्थानों में सामना होने की स्तिथि मे पहाड़ी की ढलान की ओर दौड़े ऊपर की ओर नहीं क्योंकि हाथी ढलान में तेज गति से नहीं उतर सकता, लेकिन चढाई चढ़ने में वह दक्ष होता है, सीधे न दौड़ कर आड़े तिरछे दौड़े, कुछ दूर दौड़ने के बाद गमछा, पगड़ी, टोपी और अन्य कोई वस्त्र फेक दे, ताकि कुछ समय तक हाथी उसमें उलझा रह सके और आपको सुरक्षित स्थान पर जाने का समय मिल जाए।
मुआवजा राशि की प्रक्रिया करवाने में करें सहयोग
हाथियों के सूंघने की शक्ति प्रबल होती है ऐसे में हवा की दिशा का ध्यान रखे। अगर हवा का बहाव हाथियों की तरफ से आपकी तरफ हो तो सुरक्षित दूरी में रहा जा सकता है, लेकिन अगर हवा का बहाव आपकी और से हाथी की और जा रहा हो तो आपके लिए खतरा हो सकता है, क्योंकि हवा आपके शरीर की गंध हाथी तक आसानी से पहुंचा सकती है। वन विभाग द्वारा बताए गए सुरक्षा संबंधित निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करें। वन विभाग के कर्मचारियों का समय समय पर रेस्क्यू ऑपरेशन मे सहयोग करे और किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी न करें। जनधन हानि होने की स्तिथि में बदले की भावना से प्रेरित होकर हाथियों के पास न जाए बल्कि वन विभाग को सूचित कर मुआवजा राशि की प्रक्रिया करवाने में सहयोग करें।
भंडारण कक्ष का निर्माण
हाथियों की सूचना अगर मिलती है तो अपने पड़ोस के गांवों और क्षेत्र के रिश्तेदारों, दोस्तों को तत्काल सचेत करें ताकि वे भी उन क्षेत्रों मे न आए और अगर क्षेत्र मे है तो वह इलाका छोड़ सके। फसल कटाई के बाद खुद के खाने लिए संगृहीत अनाज को सुरक्षित स्थानों में रखे, इसके लिए एक तैखानेनुमा भंडारण कक्ष का निर्माण किया जा सकता है, जिसमें अनाज को प्लास्टिक के हवा टाइट बंद डिब्बों में भरकर रखा जा सकता है, जिससे अनाज की गंध हाथियों तक नहीं पहुंचे।
हाथियों को रहने दें स्वतंत्र
हाथियों की सूंघने की शक्ति बहुत तेज रहती है। गांव के नवयुवक स्वयं जागृत होकर अन्य लोगों को जागरुक कर सकते हैं। समय-समय पर जागरूकता के लिए वन विभाग के साथ ताल मेल बनाकर चले। समय-समय पर स्कूल के बच्चों को हाथियों से संबंधित जागरूकता का पाठ पढ़ाएं, हमें और आने वाली पीढ़ियों को हाथियों के साथ रहना सीखना पड़ेगा, कैसे रहा जाए इसका इन तथ्यों का संदेश दिया जाए। गांव के मुखिया की मदत से जागरुकता अभियान चलाया जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग हाथियों से सुरक्षा संबंधित निर्देशों से अवगत हो सकें। खुद भी सुरक्षित रहे और बिना किसी नुकसान पहुंचाए हाथियों को भी अपने क्षेत्र मे स्वतंत्र रूप से सुरक्षित रहने दें।
आमजनों के सुविधा के लिए मुख्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित
कवर्धा वन मंडल कार्यालय के द्वारा वन अपराधों की रोकथाम के लिए सभी अधिकारियों के मोबाइल नंबर जारी किए गए हैं और मुख्यालय में कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। वन मंडल के कंट्रोल रूम का मोबाइल नंबर 7999326127, वन मंडल स्तरीय उड़नदस्ता के सहायक प्रभारी का 9425576857, अधीक्षक भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण का 9424132297, परिक्षेत्र अधिकारी भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण का 7828853500, उप वनमंडल अधिकारी कवर्धा का 8269327097, परिक्षेत्र अधिकारी कवर्धा का 9589035132, परिक्षेत्र अधिकारी अधिकारी तरेगांव 9981893808 और परिक्षेत्र अधिकारी पश्चिम पंडरिया का 8770976735, उप वनमंडल अधिकारी पंडरिया का 9131029448, परिक्षेत्र अधिकारी पूर्व पंडारिया का 9752617147, उप वनमंडल अधिकारी सहसपुर लोहारा का 7587055836, परिक्षेत्र अधिकारी सहसपुर लोहारा एवं परिक्षेत्र अधिकारी रेंगाखार का 9406324045 और परिक्षेत्र अधिकारी खारा का मोबाइल नंबर 7999761848 है। वन मंडल अधिकारी जिला कवर्धा का संपर्क नंबर 9479105168 है।