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कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजन को 4 लाख मुआवजा देने की मांग, CM भूपेश ने PM मोदी को लिखा पत्र

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजा के रूप में 4 लाख रूपए की राशि देने की मांग की है। प्रधानमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में CM बघेल ने लिखा है कि केंद्र सरकार गृह मंत्रालय द्वारा 14 मार्च 2020 को जारी अपने पहले आदेश को लागू करें, जिसमें सरकार ने प्रति मृतक 4 लाख रूपए की राशि देने की घोषणा की थी।

फाइल फोटो

मुख्यमंत्री बघेल ने चिट्ठी में ये भी अवगत कराया है कि केंद्र सरकार ने बाद में इस अधिसूचना में संशोधन किया और मुआवजे की राशि को घटकार 50 हजार रूपए कर दिया। हमें लगता है कि ऐसे संकट के समय में मृतक के परिवार को 4 लाख रूपए की राशि प्रदान करना जरूरी है। हमारा ऐसा मानना है कि SDRF मानदंडों के मुताबिक मुआवजा राशि 4 लाख रूपए में से 75 प्रतिशत जो कि 3 लाख होते हैं, केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाना है। जबकि सिर्फ 25 प्रतिशत जो कि एक लाख रूपए है, राज्यों की जिम्मेदारी होगी। 

4 लाख मुआवजे की मांग

CM भूपेश बघेल ने कहा कि 'हम कुल 4 लाख रूपए मुआवजे की राशि में से राज्य के हिस्से की राशि देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें हम आपके सहयोग की अपेक्षा करते हैं, ताकि संकट की इस घड़ी में हम अपने नागरिकों के साथ खड़े हो सकें और उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन जीने में अपना योगदान दे सकें।'

NDMA से मुआवजा राशि भुगतान करने की मांग

मुख्यमंत्री बघेल ने चिट्ठी में ये भी अवगत कराया है कि हमारे संविधान में निहित जनकल्याण भाव-हमारे नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यक सेवाओं का मूल अधिकार प्रदान करता है। इसके साथ ही हमारा संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार देता है कि जो राज्य से अपने संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करा सके। 11 सितंबर 2021 को भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया कि वह राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के माध्यम से कोविड-19 महामारी से प्रभावित लोगों के परिवारों को मुआवजा राशि के रूप में 50 हजार रूपए का भुगतान करेगा। 

कोरोना महमारी ने तोड़ी हर वर्ग की कमर: CM

NDMA के तहत मुआवजे की राशि को केंद्र और राज्य की ओर से 75 प्रतिशत से 25 प्रतिशत के अनुपात में साझे रूप से वहन किया जाता है। मुख्यमंत्री बघेल ने चिट्ठी में अवगत कराया है कि कोविड-19 महामारी ने इस देश की अधिकांश आबादी को बुरी तरह प्रभावित किया है। लोगों की असमय मौत हुई है, व्यवसाय बंद हो गए हैं, लोग पलायन को मजबूर हो गए हैं। परिवारों ने अपने कमाऊ सदस्यों को खो दिया है और महामारी के दौरान निजी अस्पतालों में इलाज के खर्च ने उन्हें सड़कों पर ला दिया है। 

SC के सामने दिया तर्क

परिवारों ने अपनी सारी बचत गंवा दी है और वो भारी कर्ज में डूब गए हैं। ऐसे कठिन समय में मुआवजे के रूप में सिर्फ 50 हजार रूपए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ये तर्क दिया है कि 4 लाख रूपए मुआवजा देने के बाद केंद्र सरकार के पास कोविड-19 से निपटने के लिए सरकार के खजाने में पर्याप्त धन नहीं बचेगा। जबकि सरकार द्वारा लगातार महंगा पेट्रोल, डीजल बेच कर जनता से कर एकत्रित करना जारी है और दूसरी तरफ कार्पोरेट मिलों को लगातार कर में रियायत दी जा रही है। वहीं सरकार देश के आम नागरिकों को कोई राहत देने से इनकार करती है।

केंद्र से जिम्मेदारी साझा करने की उम्मीद: CM भूपेश

मुख्यमंत्री बघेल ने चिट्ठी में कहा है कि एक लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर आधारित राष्ट्र की यह जिम्मेदारी है कि वह जरूरत के समय अपने नागरिकों की देखभाल करें। हमने अपने राज्य में इस कठिन समय में लोगों की मदद करने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की है। हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार भी इस जिम्मेदारी को साझा करेगी।

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