वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ में हाथी-मानव द्वंद पर नियंत्रण के उद्देश्य से विभाग द्वारा चलाए जा रहे महत्वपूर्ण अभियान के तहत 24 अक्टूबर को सूरजपुर वनमंडल के मोहनपुर में एक मादा हाथी का सफलतापूर्वक रेडियो कॉलर लगाया गया। रेडियो कॉलरिंग किए गए इस हाथी को 'मैत्री' नाम दिया गया है। राज्य में इस दौरान विचरण कर रहे हाथियों की अनुमानित संख्या 291 है। इनमें सरगुजा वन वृत्त अंतर्गत 193, बिलासपुर वन वृत्त अंतर्गत 69, दुर्ग वन वृत्त अंतर्गत 22 और रायपुर वन वृत्त के अंतर्गत 07 हाथी शामिल है।
गौरतलब है कि वन विभाग और भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की संयुक्त परियोजना के तहत मानव-हाथी द्वंद को कम करने के उद्देश्य से हाथियों के विचरण की जानकारी प्राप्त करने के लिए हाथियों का रेडियो कॉलरिंग करने का अभियान जारी है। इसके तहत 24 अक्टूबर 2021 को सरगुजा वृत्त के सूरजपुर वनमंडल के मोहनपुर, कक्ष क्रमांक 2552 में एक मादा हाथी को सफलतापूर्वक रेडियो कॉलर लगाया गया।
नोडल अधिकारी नियुक्त
वन मंत्री मोहम्मद अकबर के निर्देश और प्रधान मुख्य वन संरक्षक के मार्गदर्शन में वन विभाग की स्थानीय टीम, साइंटिस्ट-एफ, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून डॉ. पराग निगम और उनकी टीम, तामिलनाडू के डॉ. मनोहरन द्वारा रेडियो कॉलरिंग अभियान शुरू किया गया। इस अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एलीफेंट रिजर्व सरगुजा डॉ. के. मेचियो को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
मादा हाथी को लगाया गया रेडियो कॉलर
अभियान के तहत 23 अक्टूबर को सूरजपुर वनमंडल के बंशीपुर बीट के कक्ष क्रमाक 1682 में हाथी दल की पहचान की गई। इस दल में 09 हाथी थे। नियमित रूप से ट्रेकर और विशेषज्ञ अमलों द्वारा दल की ट्रेकिंग की गई। प्रदेश का कुमकी हाथी राजू और दुर्योधन को इस अभियान में शामिल किया गया। भौगोलिक परिस्थिति अनुकूल नहीं बन पाने और हाथियों का दल घनी झाड़ियों में होने के कारण उस दिन रेडियो कॉलरिंग नहीं हो पाया। हाथी का दल रातों-रात बीट मोहनपुर के कक्ष क्रमांक 2552 में पहुंच गए। दल के 09 हाथी में से एक मादा हाथी को रेडियो कॉलर करने के लिए चिन्हित किया गया। इसके बाद 24 अक्टूबर को सुबह से ही दल का ट्रेकिंग किया जाता रहा। अंत में दोपहर 12.40 बजे चिन्हित मादा हाथी जिसकी उम्र लगभग 20 से 25 साल है। उसको ट्रैंक्यूलाइज कर रेडियो कॉलर लगाने में सफलता प्राप्त हुई।
इनका रहा योगदान
24 अक्टूबर 2021 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) पी.वी. नरसिंग राव पूरे अभियान के दौरान मौके पर ही मौजूद रहे और सफलतापूर्वक रेडियो कॉलर लगाने के बाद समीक्षा बैठक लेकर अन्य हाथियों के रोडियो कॉलर की रणनीति तैयार की गई। इस अभियान में मुख्य वन संरक्षक सरगुजा वृत्त अनुराग श्रीवास्तव, वन संरक्षक (वन्यप्राणी) और फील्ड डायरेक्टर (एलीफेंट रिजर्व) सरगुजा डॉ. के. मेचियो, संचालक गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर रंगनाथा रामाकृष्णा वाई, उप निदेशक एलीफेंट रिजर्व सरगुजा प्रभाकर खलखो, संचालक अचानकमार-अमरकंटक बायोस्फियर रिजर्व विष्णु नायर, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून डॉ. पराग निगम और उनकी टीम, प्रभारी वनमंडलाधिकारी सूरजपुर बी.एस. भगत, डॉ.पी. के. चंदन, डॉ.सी.के. मिश्रा, डॉ. राकेश वर्मा, लक्ष्मी नारायण, अंकित, समर्थ मंडल, अमलेन्दु मिश्रा, प्रभात दुबे और वन विभाग के मैदानी अमले समेत कुमकी हाथी के महावतों का योगदान सराहनीय रहा।