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शिक्षक बेचारे : काम के बोझ के मारे, पूछ रहे CM से नौकरी करें किसके सहारे

रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों पर काम का ऐसा बोझ लादा जा रहा है कि गधा भी थर्रा जाए। यह हम नहीं शिक्षक ही कह रहे हैं। इन दिनों सोशल मीडिया में एक संदेश खूब वायरल हो रहा है। जिसमें मुख्यमंत्री कका से पूछा जा रहा है कि एक साथ 29 काम शिक्षकों पर लादने वाले अधिकारियों पर लगाम कब लगेगा ? छत्तीसगढ़ प्रदेश के अधिकांश शालाओं में शिक्षकों की कमी है। लेकिन अनावश्यक कामकाज का भार भारी है। शिक्षक कह रहे हैं कि 'कका ये का होवत हे तोर राज म?'  


शिक्षकों पर इन कामों का है लोड 

  • पुनः आकलन का आदेश- पांच दिन में प्राथमिक शाला मे पांच कक्षा, पूर्व माध्यमिक मे तीन कक्षा का परीक्षा संपन्न करना है। अर्थात कक्षा 8 परीक्षा लेने के लिए 5 दिन।
  • कोरोना प्रोटोकाल मे 50%बच्चों की उपस्थिति होना चाहिए और 100% बच्चों का आंकलन करना है, यह कैसा विरोधाभास है।
  • शिक्षकों को बच्चों का जाति, मूल निवासी, आय प्रमाण पत्र भी बनवाना है।
  • इस बीच अंगना म शिक्षा कार्यक्रम भी संचालित करने का फरमान जारी किया गया है।
  • गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ कार्यक्रम तो चलाना ही है।
  • कबाड़ से जुगाड़ कार्यक्रम भी पहली प्राथमिकता में है 
  • राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे करने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर ही है।
  • नवोदय परीक्षा की तैयारी भी शिक्षकों को कराने की नैतिक जिम्मेदारी है।
  • इंस्पायर अवार्ड के लिए प्रेरित करने और प्रविष्टि बनवाने की जिम्मेदारी शिक्षक पर है।
  • छात्रवृत्ति की प्रक्रिया पूरी करना ही है।
  • रोजाना ऑनलाइन गूगल फॉर्म पर अपडेट जानकारी अपलोड करना है।
  • छात्रवृत्ति के लिए नया खाता खुलवाना भी शिक्षक की जिम्मेदारी।
  • रोजाना मध्यान्ह भोजन को चखना, कोई गड़बड़ी न होने पावे। 
  • प्रत्येक बच्चों के आकलन की ऑनलाइन एंट्री भी करना है।
  • शाला प्रबंधन समिति की मीटिंग लेना, उनके निर्देशों का पालन करना।
  • माता उन्मुखीकरण कार्यक्रम का क्रियान्वयन।
  • एक पृथ्वी-एक घर कार्यक्रम का संचालन।
  • बस्ता विहीन विद्यालय की व्यवस्था करना।
  • सौ दिन-सौ कहानियाँ कार्यक्रम के लिए अतिरिक्त मगजमारी।
  • हस्तपुस्तिका निर्माण।
  • बच्चों की पठन कौशल सहित अन्य प्रतियोगिताएं आयोजित करना।
  • विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में ड्यूटी करने शिक्षकों को बाध्य किया जाता है।
  • खिलौना बनाना कार्यक्रम की जिम्मेदारी।
  • विद्यार्थी विकास सूचकांक।
  • अटल टिंकरिंग लैब तैयार करना।
  • महापरीक्षा अभियान में भागीदारी सुनिश्चित करना।
  • कोरोना वेक्सीनेशन कार्य में भूमिका निभा रहे हैं।
  • कोरोना वेक्सीन लगवाने जन जागरूकता प्रचार प्रसार के लिए गलियों में चक्कर लगाना।

शिक्षकों की अफसरों को चुनौती 

वातानुकूलित कक्ष मे बैठे आईएएस अफसरों और नीति निर्माताओं को चुनौती देते हुए शिक्षक लिखते हैं कि  किसी सुदूर गांव के शाला में कुछ दिन शिक्षकीय कार्यों का वे खुद निर्वहन करें। तो दिक्कतें समझ में आएगी। नियम बनाते समय ग्रामीण शिक्षको के प्रतिनिधियो को भी शामिल करना चाहिए। कोरोना काल के चलते अभी शिक्षकों के पास केवल फरवरी तक का समय ही अध्यापन के लिए शेष बचा है। इसलिए मन लगाकर पढ़ाने देवें। ताकि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न हो।

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