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रेलवे ओवरब्रिज निर्माण : जमीन ले लिया, न मुआवजा दिया और न रजिस्ट्री कराई, अफसर मांग रहे ढाई लाख रुपये !

महासमुंद। तुमगांव रेलवे क्रॉसिंग ओवरब्रिज निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में मनमानी की शिकायतें लगातार मिल रही है। अफसरों की मनमानी से चार साल बाद भी यह महत्वाकांक्षी परियोजना अधूरा पड़ा है। एक निजी भूमिस्वामी रामकुमार निषाद की जमीन का रजिस्ट्री कराने 16 अगस्त 2021 को आदेश हुआ है। महीनेभर से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अधिग्रहित भूमि की रजिस्ट्री नहीं कराया गया है। इससे परेशान होकर भूमिस्वामी रामकुमार निषाद ने आज प्रेसवार्ता आयोजित कर दुखड़ा सुनाई। 


प्रेसवार्ता में उपस्थित संतोष बंजारे, भरत बुंदेला, भूपेंद्र निषाद ने बताया कि शासन द्वारा आपसी सहमति से क्रय नीति में पुनर्वास अनुदान राशि प्रभावित परिवार के लिए 5 लाख रुपये नियत है। इसमें स्वेच्छाचारिता बरतते हुए 3.27लाख रुपये कर दिया गया है।

पुर्नवास की राशि का निर्धारण गलत 

इस तरह से पुर्नवास की राशि का निर्धारण गलत किया गया है। जिला प्रशासन के द्वारा मुआवजा राशि नही देने और मकान को जबरिया अधिग्रहित कर ब्रिज निर्माण प्रारंभ करने की शिकायत मुख्यमंत्री के महासमुंद प्रवास के दौरान करने की बात कही। 

मुआवजा देकर रजिस्ट्री नहीं कराई

प्रेस वार्ता में राम कुमार निषाद ने बताया कि अंबेडकर चौक रेलवे फाटक के पास उनका भूखण्ड है। जिस पर बने मकान को तोड़कर ब्रिज के लिए पिल्लर बनाने का काम प्रारंभ किया जा चुका है। बावजूद मुआवजा देकर रजिस्ट्री नहीं कराई जा रही है। 

अनुविभागीय अधिकारी पर लगाया गंभीर आरोप

उन्होंने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) महासमुंद एवं अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण सेतु विभाग के द्वारा एक माह व्यतीत हो जाने के बाद भी रजिस्ट्री की कार्यवाही नहीं करने और रुपये की अनुचित मांग करने का गंभीर आरोप लगाया है।

प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू से की शिकायत

उन्होंने बताया कि इस संबंध में  4 सितंबर को कलेक्टर महासमुंद को रजिस्ट्री कराने ज्ञापन सौंपा।  लेकिन पखवाड़े भर  बीत जाने के बाद भी अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है। इससे व्यथित होकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, लोक निर्माण  मंत्री और महासमुन्द जिला के प्रभारी मंत्री ताम्रध्वज साहू से शिकायत किया  है। 

 कोर्ट में चल रहा केस 

इस संबंध में पूछने पर सेतु निर्माण विभाग के एसडीओ एल डी महाजन ने मीडिया को बताया कि अधिग्रहित भूखण्ड में बने मकान और मलमा को लेकर दो पक्षों में विवाद था। प्रकरण जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय में चल रहा था।  रामकुमार के प्रतिद्वंद्वी दाऊलाल वर्षो से काबिज थे। उनसे जमीन का कब्जा लेकर कार्य में प्रगति लायी गयी है। मलमा का मुआवजा उक्त काबिज व्यक्ति को मिल जाए और कोई विवाद न रहे यही सबका प्रयास है। लगाया जा रहा आरोप निराधार और गलत है। हमारी कोशिश यही है कि किसी भी हितग्राही का अहित न होने पाए।

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