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जीतें ₹ 3100 तक नगद इनाम, क्या आप जानते हैं हाथी हिंसक वन्य जीव नहीं है ?

"हांथी मानव द्वंद प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता /जनजागरण अभियान 2021 के लिए नियम/शर्तें" 

प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। 25 सवालों का जवाब भरकर submit करें। ऑनलाइन ड्रा से विजेता की घोषणा 1 अक्टूबर 2021 को किया जाएगा। 30 सितम्बर की रात 12 बजे तक ही प्रविष्टि स्वीकार्य होगी। 

https://forms.gle/1QvsCPHR1LvzkR2M6

हाथियों से बचाव और जनमानस को सचेत करने के उद्देश्य से पटेल समाज के युवाओं द्वारा यह अनूठा प्रयास किया जा रहा है। मीडिया24मीडिया इसमें मीडिया पार्टनर है। इन 25 आसान प्रश्नों का घर बैठे ऑनलाइन उत्तर देकर आप जीत सकते हैं 3100 रुपये तक नगद पुरस्कार। साथ ही मिलेगा आकर्षक प्रशस्ति पत्र। प्रतियोगिता में सभी आयु वर्ग के लोग भाग ले सकते हैं। प्रतियोगिता में भाग लेने के पूर्व व्यक्तिगत प्रोफाइल की जानकारी ऑनलाइन भरना होगा।  25 प्रश्न हाथियों से संबंधित हैं। सभी प्रश्नों में चार विकल्प दिया गया है। जिसमें से एक सही विकल्प चुनना है। 


सभी प्रतिभागियों को  आकर्षक ई- सर्टीफिकेट मिलेगा

  • प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को क्रमशः 3100, 2100 एवं 1100 रुपये का नगद पुरस्कार गांधी जयंती पर दो अक्टूबर को आरंग (रायपुर) में आयोजित एक समारोह में ससम्मान प्रदान किया जाएगा।
  • हाथी से बचने जनजागरण कार्यक्रम 24/09/2021 को प्रातः 9:00 बजे से प्रारंभ हुआ है। अब तक हजारों लोग इसमें भाग ले चुके हैं। 30/9/2021 की मध्य रात्रि 12 बजे तक यह चलेगा। इसके बाद प्रविष्टि स्वीकार्य नहीं होगा।

टीप- यह प्रतियोगिता छत्तीसगढ़ राज्य के केवल रायपुर संभाग में निवासरत नागरिकों के लिए है। अन्य  जिले,राज्य, देश के नागरिक अपना सामान्य ज्ञान बढ़ाने के लिए प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। परंतु प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान/ पुरस्कार के लिए उनकी प्रविष्टि स्वीकार्य नहीं की जाएगी। उन्हें केवल ई-सर्टिफिकेट प्राप्त होगा। 


न्यायालयीन कार्रवाई स्वीकार्य नहीं 

समान अंक प्राप्त करने की स्थिति में (टॉपर) अधिकतम अंक अर्जित करने वाले प्रतिभागियों में से विजेता का चयन ऑनलाइन ड्रा निकालकर प्रथम, द्वितीय, तृतीय पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। प्रतियोगिता संबंधी अंतिम निर्णय का सर्वाधिकार आयोजक मंडल के पास सुरक्षित है। इस पर किसी प्रकार की दावा-आपत्ति, न्यायालयीन कार्रवाई स्वीकार्य नहीं है। यह जनजागरण कार्यक्रम है। किसी प्रकार का दावा/विवाद अमान्य है।

हाथी इंसान के दुश्मन नहीं, हाथी से रहें दूर 

छत्तीसगढ़ के महासमुन्द, गरियाबंद, बलौदाबाजार, सूरजपुर आदि जिलों में जंगली हाथियों का विचरण आबादी क्षेत्र में होने से हाथी-मानव द्वंद चिंताजनक स्थिति में है। जनजागरण से मानव को हाथियों के संबंध में जानकारी देने का प्रयास जागरूक युवाओं और मीडिया24मीडिया की टीम द्वारा की जा रही है। इसके लिए आयोजित ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी-2021 प्रविष्टि का 30 सितम्बर अंतिम तिथि है। रात 12 बजे के बाद लिंक बंद हो जाएगा।

हाथियों की चाल और व्यवहार

विशेषज्ञों का कहना है कि हाथियों की चाल और व्यवहार से स्पष्ट हो चुका है कि हाथी हिंसक वन्यजीव नहीं है। बल्कि वे अपने लिए सुरक्षित स्थान और भोजन पानी की तलाश में भटक रहे हैं। इस बीच वन विभाग, ग्रामीण हाथियों को अपने क्षेत्र से खदेड़ कर अन्य क्षेत्र में भेजते हैं और अन्य परिक्षेत्र के अफसर पुनः हाथियों को वापस  खदेड़ देते हैं। इस तरह खदेड़े जाने, मानव द्वारा परेशान, छेड़छाड़ करने से हाथी हिंसक हो उठते हैं। कर्नाटक से यहां आए हुल्ला पार्टी के द्वारा एमई-1 पर भाला से किए गए वार की वजह से यह इंसान के जान का दुश्मन बन गया है। 

देखिए वीडियो : मानव हाथी से कैसे करते हैं छेड़छाड़ 


बीते दो-तीन दिनों से हाथी पटेवा, रैतुम, खल्लारी, सिरपुर क्षेत्र में आबादी क्षेत्र में भ्रमण कर रहा है। इससे ग्रामीणों की चिंता बढ़ी है। मंगलवार की शाम पटेवा के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग 53 में हाथी मदमस्त चाल से चलते हुए पार किए। कुछ देर के लिए हाइवे पर आवाजाही थम गई। हाथी ने किसी भी राहगीर को ना रोका और ना ही हमला किया। दो  हाथियों के हाइवे के किनारे खड़े होने की जानकारी वन विभाग को मिलते ही पूरा वन अमला और पटेवा पुलिस बल मौके पर पहुंच गई। आम लोगो की सुरक्षा के लिए अलर्ट किया गया।

प्रभारी रेंजर एस आर डड़सेना ने दी जानकारी

महासमुन्द के प्रभारी रेंजर एस आर डड़सेना बताते हैं  कि चार हाथी विगत तीन दिन पहले सिरपुर क्षेत्र में गए थे। इनमे से दो हाथी वापस लौट आये हैं। ये हाथी सड़क पार कर अरण्ड जंगल की ओर जाना चाहते थे। इसके आधार पर हाथी के स्थान से आधा आधा किलोमीटर दूर ट्रैफिक रुकवा दिया गया। ट्रैफिक रुकते ही 5 मिनट के अंदर दोनों हाथियों ने  सड़क पर कर ली और सड़क के किनारे  स्थित बोडरा विश्राम गृह में घुस गए ।यहां हाथियों  ने रेस्ट हाउस में लगे केले के पेड़ों से केले तोड़ के खाये और बगैर किसी हिंसक हरकत के ही आगे बढ़ गए।

हाथी हिंसक नहीं होने की हो रही पुष्टि 

हाथियों के शांत रवैये से यह तो तय हो गया है कि हाथी  हिंसक नहीं है। वे सड़क किनारे साईकिल सवार से लेकर पैदल चलने वालों को भी देखते रहे परन्तु किसी पर हमला नहीं किया। और ना ही नुकसान पहुँचाया। जिससे ऐसे लगता है कि हाथी हिंसक नहीं हैं बल्कि वे अपने कॉरिडोर पर आगे बढ़ते विचरण करते हैं और अपनी भूख मिटाने के लिए धान या फल खा कर लौट जाते हैं। इस बीच लापरवाही बरतने, हाथी के नजदीक जाने, छेड़छाड़ करने, नशे में मदमस्त रहने पर ही हाथी कुचलकर मरता है।

हाथी उन्मूलन के लिए कोई ठोस योजना नहीं 

हाथियों के लिए कारीडोर बनाने सरकार और वन विभाग के पास कोई ठोस कार्ययोजना अब तक दिखाई नही दे रही है। वन विभाग एक ही योजना पर कार्य कर रहा है, वह भी हाथियों को अपने क्षेत्र से खदेड़ने की। अब विभाग के अफसर हाथियों को अपने क्षेत्र से खदेड़ कर अन्य क्षेत्र में भेजते हैं और अन्य परिक्षेत्र के अफसर पुनः हाथियों को वापस भेजने में ही मशगूल है। जिससे अब तक शांति से विचरण कर रहे हाथी कभी भी अपने रौद्र रूप में दिखाई पड़ सकते है। जिससे मानव-हाथी दोनों को नुकसान हो सकता है। फसल को नुकसान होने से किसान व्यथित हैं।

स्पेशल टास्क फोर्स का गठन 

प्रदेश में  हाथियों की बढ़ती संख्या और मानव-हाथी द्वंद को रोकने प्रदेश सरकार द्वारा मरवाही, कटघोरा जशपुर ,धरमजयगढ़, गौरेला पेंड्रा मरवाही में स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया है। यह  स्पेशल टास्क फोर्स हाथी प्रभावित क्षेत्रों में जाकर उसके रहवास और वातावरण का अध्ययन करके स्थाई निदान निकालने योजना बनाएगी।  परन्तु हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित महासमुन्द और बलौदाबाजार जिला में इसकी कोई तैयारी नहीं है। इन जिलों की उपेक्षा आश्चर्यजनक है। क्षेत्र के ग्रामीण  हाथियों के विगत पांच वर्षों से इस क्षेत्र में लगातार विचरण और जान माल को नुकसान पहुंचाने का स्थाई हल चाहते हैं। जिससे हाथी-मानव द्वंद पर विराम लग सके।

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