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कांसाबेल विकासखंड के गोठान से जुड़कर 5 स्व-सहायता समूह की महिलाएं बना रही छिंद-कासा से सुंदर टोकरी

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जशपुर जिला प्रशासन के अंतर्गत ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान से महिलाओं को गोठानों से जोड़कर रोजगार देने के लिए जिले में बेहतर कार्य किया जा रहा है। सभी विकासखंडों में स्व-सहायता समूह की महिलाओं को गोठानों में कई प्रकार की गतिविधियों में शामिल करके काम उपलब्ध कराया गया है। 


कासांबेल विकासखंड के कोटानपानी की 5 महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं छिंद-कासा से टोकरी बनाने का कार्य कर रही है। समूह में स्माईल आरती समूह, पूजा समूह, हरियाली समूह, ज्ञानगंगा समूह और तुलसी समूह शामिल है। कांसाबेल विकासखंड के जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एल.एन.सिदार के मार्गदर्शन में गोठानों को स्वावलम्बी बनाने के लिए सार्थक कार्य किया जा रहा है। 


NRLM के ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजर कमलेश श्रीवास ने बताया कि महिलाएं छिंद-कासा से टोकरी बनाने के लिए पांच महिला समूह को वन विभाग के द्वारा एक महीने का प्रशिक्षण दिया गया है। इसके साथ ही जनपद पंचायत कांसाबेल के द्वारा आरएफ से 15 हजार की राशि और CIF से 60 हजार रुपए की राशि की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है।  उन्होंने बताया कि महिलाओं के द्वारा हाथों से बनाई गई सुंदर और आकर्षक टोकरी और अन्य सामानों का बाजारों में काफी मांग है और हाट-बाजारों में समूह का सामान, हाथों हाथ विक्रय हो जाता है।


महिलाएं स्थानीय हाट-बाजारों के साथ ही रायपुर के हाट-बाजारों में भी विक्रय करने के लिए टोकरी भेजती है, जिससे उनको अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है। समूह की महिलाओं ने बताया कि रायपुर के हाट-बाजार में विक्रय करने से दो दिन में लगभग 20 हजार रुपए का लाभ कमा लेती है। और प्रत्येक समूह को महीने में लगभग 10-10 हजार का लाभ हो जाता है। उन्होंने बताया कि रोजगार से जुड़ने से उनको आर्थिक लाभ होने के साथ ही अपने परिवार की सहायता कर पा रही है। टोकरी बनाने के लिए कच्चा माल उन्हें स्थानीय स्तर पर ही आसानी से मिल जाता है।


कांसाबेल विकासखंड के आजीविका गतिविधियों के संचालनकर्ता बलराम सोनवानी बताया कि जशपुर जिला वनांचल जिला होने के कारण यहां बड़ी संख्या में छिंद और कांसा शिल्प का पौधा आसानी से मिल जाता है। जिसका उपयोग टोकरी बनाने के लिए किया जाता है। महिलाओं को बाजार से कच्चा माल खरीदने के लिए बहुत कम आवश्यकता होती है। खर्च कम होने के कारण टोकरी विक्रय करने से बाजार से अच्छा खासा लाभ उनको मिल जाता है। सभी समूह की महिलाओं ने छत्तीसगढ़ शासन और जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा उन्हें आर्थिक लाभ उपलब्ध कराया है। जिसके कारण वे आगे बढ़ सकी है।


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