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नहीं रहे 'बाबूजी' कल्याण सिंह, कल अलीगढ़ में नरौरा घाट पर होगा पूर्व CM का अंतिम संस्कार, राजनीतिक जगत में शोक का माहौल

उत्तर प्रदेश के पूर्व CM और BJP के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह का कल रात लखनऊ में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 89 साल के थे। कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार 23 अगस्त यानी सोमवार को नरौरा में गंगा तट पर किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल्याण सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। उन्होंने प्रदेश में 23 अगस्त को एक दिन के सार्वजनिक अवकाश की भी घोषणा की है।


PM नरेंद्र मोदी ने सिंह के निधन पर शोक जताया और कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई और आने वाली पीढ़ियां इसके लिए उनकी आभारी रहेंगी। उन्होंने कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह से बात की और संवेदनाएं प्रकट कीं। मोदी ने ट्वीट कर कहा 'दुख की इस घड़ी में मेरे पास शब्द नहीं हैं। कल्याण सिंह जमीन से जुड़े बड़े राजनेता और कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ एक महान व्यक्तित्व के स्वामी थे। उत्तर प्रदेश के विकास में उनका योगदान अमिट है। शोक की इस घड़ी में उनके परिजनों और समर्थकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।'

राष्ट्रपति कोविंद ने जताया दुख

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताया और कहा कि उनका जनता के साथ अद्भुत जुड़ाव था। वहीं उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया और उन्हें राष्ट्रवादी और बेमिसाल नेता बताया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के बाहर पत्रकारों से कहा, 'हम सबके लिए दुखद समाचार है, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह जी हमारे बीच नहीं रहें। बीते दो महीने से कल्याण सिंह अस्वस्थ थे, आज रात सवा नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।' उन्होंने कहा, ' हम सब दुखी हैं, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री और एक जननेता के रूप में कल्याण सिंह ने शासन में शुचिता, दृढ़ता और मूल्यों के प्रति अपने कार्यकाल के दौरान जो आदर्श प्रस्तुत किए, वे आज भी मानक बने हुए हैं।'

'दिवगंत आत्मा की शांति की प्रार्थना'

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ' श्री रामजन्मभूमि मंदिर आंदोलन के वह अग्रणी नेता थे। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम के पावन स्थल पर भव्य राम मंदिर के निर्माण का कार्य आगे बढ़े, इसके लिये आवश्यकता पड़ी तो सत्ता छोड़ने में भी उन्हें कोई संकोच नहीं था। छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिरने के बाद इस बात की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने तत्काल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। कल्याण सिंह जी का जाना न केवल समाज का और भारतीय राजनीति का अपितु भारतीय जनता पार्टी की भी अपूरणीय क्षति है। मैं दिवगंत आत्मा की शांति की प्रार्थना करता हूं।'

अमित और राजनाथ सिंह ने भी जताया शोक

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सिंह के निधन पर शोक जताया और कहा कि वह एक ऐसे 'विराट वटवृक्ष' थे। जिनकी छाया में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का संगठन पनपा और उसका विस्तार हुआ। शाह ने कहा कि कल्याण सिंह के निधन से पार्टी में ऐसी रिक्तता आई है जिसे लंबे समय तक भर पाना संभव नहीं है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा कि 'कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश ही नहीं भारतीय राजनीति की वह कद्दावर हस्ती थे, जिन्होंने अपने व्यक्तित्व और कृतित्व से देश और समाज पर एक अमिट छाप छोड़ी। उनका लंबा राजनीतिक जीवन जनता-जनार्दन की सेवा में समर्पित रहा। वे उत्तर प्रदेश के अत्यंत लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में जाने गए।'

अखिलेश यादव ने भी जताया दुख 

वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कल्याण सिंह के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में तीन दिन के राजकीय शोक के साथ ही पार्टी का भी कोई कार्यक्रम आगामी तीन दिन नहीं होगा। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि ' उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह जी का निधन ह्रदय विदारक है। भगवान दिवगंत आत्मा को शांति और शोक संतप्त परिवार को दुख सहने की शक्ति दें। विनम्र श्रद्धांजलि।'

कल्याण सिंह के निधन की खबर अति दुखद: मायावती  

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर कहा कि ' बीजेपी के कद्दावर नेता व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह के निधन की खबर अति दुखद है। उनके परिवार व समर्थकों आदि के प्रति मेरी गहरी संवेदना। कुदरत उन सबको इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।' उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, राम मंदिर आंदोलन से जुड़े चंपत राय, राम विलास वेंदाती, विनय कटियार, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत कई नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है।



अलीगढ़ जिले के मढ़ौली गांव में तेजपाल सिंह लोधी और सीता देवी के घर पांच जनवरी 1932 को जन्मे कल्‍याण सिंह पहली बार 1967 में जनसंघ के टिकट पर अलीगढ़ जिले की अतरौली सीट से विधानसभा सदस्य चुने गये और इसके बाद 2002 तक दस बार विधायक बने। कल्याण सिंह के निधन से दुखी उनके पौत्र और राज्य में मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि कई बार ऐसा लगता था कि बाबू जी की सेहत में सुधार हो रहा है, लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। शनिवार रात यहां अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए संदीप सिंह ने रुंधी आवाज में कहा कि 'हम सब ने बाबू जी (कल्याण सिंह) के बेहतर इलाज का पूरा प्रयास किया और कई बार ऐसी स्थिति भी बनी और लगा कि बाबू जी का स्वास्थ्य ठीक हो रहा है और उन्हें घर लाने पर भी बात होने लगी।'

'ईश्वर बाबू जी की आत्मा को शांति दें'

संदीप सिंह ने कहा कि 'आज ईश्वर ने हमसे बाबू जी को छीन लिया है। देश भर में जितने भी लोग उनसे जुड़े है, और जिन लोगों ने उनके स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना की थी, उन्हें मैं ह्रदय से धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह बाबू जी की आत्मा को शांति दें।' प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित और उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी कल्याण सिंह के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया।  

4 जुलाई को कराया गया था भर्ती

बता दें कि संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान  द्वारा शनिवार रात जारी बयान में बताया गया कि कल्याण सिंह लंबे समय से बीमार थे और उनके अंगों ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया। इसके बाद शनिवार शाम उनका निधन हो गया।  कल्याण सिंह को 4 जुलाई को संक्रमण और हल्की बेहोशी की वजह से SGPGI के ICU में भर्ती कराया गया था। इससे पहले उनका इलाज डॉक्टर राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में चल रहा था।

राममंदिर आंदोलन मिली पहचान

90 के दशक में भाजपा के राममंदिर आंदोलन को कल्याण सिंह ने ही अलग पहचान दी। अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने की जिम्मेदारी ली और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को अलीगढ़ में अतरौली तहसील के मढ़ौली ग्राम के एक सामान्य किसान परिवार में हुआ। बचपन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। कल्याण सिंह ने विपरीत परिस्थितियों में कड़ी मेहनत कर अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद अध्यापक की नौकरी की। साथ-साथ वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर राजनीति के गुण भी सीखते रहे। कल्याण सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में रहकर गांव-गांव जाकर लोगों में जागरूकता पैदा करते रहे।

21 महीने जेल में रहे कल्याण

कल्याण सिंह 1967 में अपना पहला विधानसभा चुनाव अतरौली से जीतकर उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे। कल्याण सिंह 1967 से लगातार 1980 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। इस बीच देश में आपातकाल के समय 1975-76 में 21 महीने जेल में रहे। इस बीचकल्याण सिंह को अलीगढ़ और बनारस की जेलों में रखा गया। आपातकाल समाप्त होने के बाद 1977 में रामनरेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। उनकी सरकार में कल्याण सिंह को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। 1980 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कल्याण सिंह विधानसभा का चुनाव हार गये। भाजपा के गठन के बाद कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश का संगठन महामंत्री बनाया गया।

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