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छत्तीसगढ़ में बिजली की दरों में बढ़ोतरी के साथ कुछ बदलाव, एक क्लिक में जानिए किसे होगा फायदा और किसे लगेगा झटका

छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग ने बिजली बिल की दरों में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। 3 साल के बाद छत्तीसगढ़ में बिजली की कीमत बढ़ी है। विद्युत नियामक आयोग ने नए टैरिफ का ऐलान किया है। नए टैरिफ के मुताबिक अब बिजली दरों में औसत 6 प्रतिशत की वृद्धि की गई। नई दरें एक अगस्त से लागू मानी जाएगी। बता दें कि बिजली वितरण कंपनी के प्रस्ताव पर जुलाई महीने में नियामक आयोग ने जनसुनवाई की थी, जिसके बाद ये बढ़ोतरी तय माना जा रहा था।


बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञों के मुताबिक अभी दर नहीं बढ़ी, तो आने वाले दिनों बिजली कंपनी को दिवालिया होने से नहीं रोका जा सकेगा। नियामक आयोग के पूर्व सचिव पीएन सिंह के मुताबिक बिजली की लागत लगभग 5.90 रुपए प्रति यूनिट पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक औसत 48 पैसे प्रति युनिट बिजली की कीमत बढ़ी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए आयोग ने औसत दर 6. 41 निर्धारित की है। बीते साल ये दर 5. 93 प्रति यूनिट थी, जो पिछले साल की तुलना में 48 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा है।

घाटे में चल रही कंपनी: विशेषज्ञ

विशेषज्ञों का कहना है कि वितरण कंपनी घाटे में चल रहा है।  इसलिए दरों में बढ़ोतरी किया गया है। बता दें कि नियामक आयोग को भेजे गए प्रस्ताव में वितरण कंपनी को लगभग 4000 करोड़ रुपए के घाटा होना बताया है। चेयरमैन हेमंत शर्मा के मुताबिक राजस्व में लगातार कमी की वजह से ये बढ़ोत्तरी की जानी जरूरी थी। पिछले साल भी इसमें बढ़ोत्तरी किया जाना था, लेकिन नहीं किया जा सका। बिजली नियामक आयोग ने कहा है कि घरेलू उपभोक्ताओं से फिक्सड चार्ज लिया जायेगा। बिजली नियामक आयोग ने निर्देश दिया है कि अब 5000 रूपये से ज्यादा बिजली बिल का भुगतान आनलाइन किया जायेगा। गैर सब्सिडी वाले कृषि पंप को उर्जा प्रभार में 10 प्रतिशत की छूट को 20 प्रतिशत किया गया है।

किसानों को राहत

आयोग के चेयरमैन हेमंत वर्मा ने बताया कि किसानों को खेतों में लगे विद्युत पम्पों और खेतों की रखवाली के लिए पम्प कनेक्शन के अंतर्गत वर्तमान में पम्प के समीप 100 वॉट के भार उपयोग की सुविधा प्रभावशील है। किसानों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए आयोग ने 100 वॉट तक लाइट और पंखे की स्वीकृति जारी रखी है। वहीं गैर सब्सिडी वाले कृषि विद्युत पंप वाले उपभोक्ताओं को ऊर्जा प्रभार वर्तमान में प्रभावशील 10 प्रतिशत की छूट को बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया गया है।

चेयरमैन हेमंत वर्मा ने दी जानकारी

चेयरमैन हेमंत वर्मा ने कहा कि पिछले तीन सालों से कोई वृद्धि नहीं हुई थी। 2018-19 में राजस्व प्राप्ति अनुमान से अधिक था। इसलिये वृद्धि नहीं हुई थी। इसके बाद राजस्व प्राप्ति में कमी आई थी। पिछले साल कमी की भरपाई के लिए औसत तीन फीसदी की बढ़ोतरी की जानी थी, लेकिन कोरोना की वजह से नहीं की जा सकी थी। उन्होंने कहा कि देश में अब महामारी सामान्य हो रही है। सभी वर्गों में थोड़ी वृद्धि की गई है, जिसका औसत 6 फीसदी है। हेमंत वर्मा ने कहा कि घरेलू दरों में मामूली वृद्धि के साथ टैरिफ का पुनर्संरचना की गई है. ग्रामीण क्षेत्रों के गौठानों को भी घरेलू दरों की सीमा में रखा गया है। पांच हजार से ज्यादा बिल का भुगतान ऑनलाइन किए जाने पर छूट दिया जाएगा। इससे ज्यादा बिल आने पर भुगतान ऑनलाइन करना अनिवार्य किया गया है।

इन्हें मिली 7 फीसदी छूट 

उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिये पॉवर आफ आवर्स को प्रतिमाह 30 घंटे के स्थान पर 36 घंटा निर्धरित किया गया। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों, बस्तर और दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, सरगुजा और उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण में संचालित हॉस्पिटल, नर्सिंग होम में प्रचलित विद्युत दरों के ऊर्जा प्रभार में छूट को 5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी की गई।

बिजली की दरों में बदलाव



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