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पत्नी मानने से इनकार करने पर बच्ची का DNA टेस्ट कराने के निर्देश

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने शास्त्री चौक रायपुर स्थित आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित प्रकरणों पर जनसुनवाई आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने नवनियुक्त सदस्यगण  शशिकांता राठौर,  नीता विश्वकर्मा,  अर्चना उपाध्याय के साथ की। सुनवाई के एक प्रकरण में उपस्थित अनावेदक गणों ने बताया कि थाना पटेवा, जिला महासमुंद में अनावेदिका महिला ने आवेदिका महिला के खिलाफ FIR दर्ज कराया है। जबकि आवेदिका ने FIR दर्ज होने के बाद आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में FIR दर्ज होने की सूचना आयोग को दिया गया, जिसमें आवेदिका और उसके पति के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इसके बाद आवेदिका ने आयोग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया है। 


महिला आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। साथ ही आवेदिका ने निवेदन किया कि इन अनावेदकगणों के खिलाफ  उनकी ओर से किसी भी प्रकार से FIR दर्ज नहीं किया जा रहा है और किसी भी प्रकार से सुनवाई नहीं हो पा रही है। आयोग द्वारा समझाइश दिया गया कि भविष्य में इन अनावेदकगणों के द्वारा अगर कोई आपराधिक घटना किया जाता है और थाना में आवेदन करने पर भी FIR नहीं करते हैं, तब ऐसी दशा में आयोग के समक्ष थाना प्रभारी और अनावेदकगणों को पक्षकार बनाते हुए आयोग के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।

15 दिन के अंदर  रिपोर्ट पेश करने के आदेश

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका और एक अनावेदक उपस्थित बाकी अनावेदक की उपस्थिति के लिए थाना प्रभारी, खरोरा को अलग से सूचना भेजने के निर्देश दिए गए। पुलिस अनावेदक की तफ्तीश कर जैसे ही मिले उसे आयोग के समक्ष उपस्थित करने निर्देशित किया गया है, ताकि आवेदिका और उसके पति को 9 लाख रुपये की प्रक्रिया का समाधान किया जा सके। थाना प्रभारी खरोरा को 15 दिन के अंदर अपना रिपोर्ट भेजने कहा गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक द्वारा घर से बेघर किए जाने की बात कही है। 

मकान का कब्जा

वह पिछले कई दिनों से भटक रही है और उनके स्वयं के मकान में ताला लगा है। इस पर अनावेदक ने बताया कि उसने मकान का ताला बंद करके चाबी दे दिया है और किसी भी तरह से कब्जा नहीं किया है। अनावेदक को समझाइश दिया गया कि वह आवेदिका और उसके अन्य बच्चों के आस-पास पहुंचकर उन्हें परेशान न करे। आवेदिका पुलिस थाने में और आयोग के समक्ष भी शिकायत कर सकेगी। हालांकि अभी आवेदिका को मकान का कब्जा मिल जाने के बाद प्रकरण को निराकृत किया जाएगा। 

6,500 भरण पोषण राशि देने का उल्लेख

आवेदिका पहले अपने घर का कब्जा ताला तोड़कर ले। आयोग की इसकी सूचना देने कहा गया आगामी सुनवाई में थाने के माध्यम से आवश्यक रूप से उपस्थित कराने कहा गया, जिससे ऐसी घटना पर कार्रवाई किया जा सके। इसी तरह एक प्रकरण में अनावेदक ने बताया कि  BEMBA तक शिक्षित है और कोरबा में CSEB में बाबू के पद पर कार्यरत हैं। उसका मासिक वेतन 30 हजार रुपये है। साथ ही उन्होंने बताया कि उसके और पत्नी का मामला न्यायालय में लंबित है। न्यायालय के आदेश से 6,500 भरण पोषण राशि देने का उल्लेख है। 

अनावेदक के खिलाफ FIR कर सकती है पीड़िता 

उच्चतम न्यायालय में भरण पोषण देने का स्टे लगा है कहकर अनावेदक ने जो कागज दिखाया उसमें स्थगन आदेश को कोई उल्लेख नहीं है और कभी भी उच्चतम न्यायालय भरण पोषण राशि के लिए स्थगन आदेश नहीं देता है। इस स्तर पर अनावेदक से उच्चतम न्यायालय के आदेश की प्रति मांगी गई, जिसमें स्टे दिए जाने का कोई उल्लेख नहीं है। इससे स्पष्ट है कि अनावेदक आवेदिका को भरण पोषण देने से बचने की कोशिश कर रहा है। आयोग के समक्ष भी झूठा बयान दे रहा है। इस कारण प्रकरण को निराकृत नहीं किया जाएगा। साथ आवेदिका अनावेदक के खिलाफ थाने में जाकर FIR दर्ज कर सकती है। 

DNA टेस्ट  रिपार्ट पेश करने के निर्देश

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक ने अपने आवेदिका पत्नी और बेटी को पहचानने से इनकार कर दिया। अनावेदक ने कहा कि यह तो न मेरी पत्नी है और न मेरी बेटी है। आवेदिका पत्नी ने बताया कि साल 1980 में मेरा विवाह अनावेदक से हुई थी। ग्रामीण परिवेश में विवाह हुआ है और 5 साल तक अपने ससुराल में रही है। इस प्रकरण अध्यक्ष  नायक ने आगामी सुनवाई शिकायत के आधार पर जारी रखे जाने के पूर्व आवेदिका की बेटी और अनावेदक का DNA टेस्ट कर रिपार्ट प्रस्तुत करने को कहा है। इस स्तर पर डॉक्टर्स से चर्चा के बाद थाना प्रभारी सिविल लाइन के माध्यम से सुपरिटेंडेंट मेडिकल कॉलेज को DNA टेस्ट के लिए भेजा गया है। 

कोर्ट में चल रहा मामला

DNA टेस्ट लेते तक आवेदिकागण को सखी सेंटर में सुरक्षित रखा गया है। इस प्रकरण की समस्त जानकारी के लिए आयोग के समक्ष शासकीय कार्यावधि समय में जानकारी को थाना प्रभारी SI के माध्यम से आयोग को अवगत कराने को कहा गया है। एक अन्य प्रकरण में जिला-जांजगीर से SI के माध्यम से अनावेदक को उपस्थित कराया गया। अनावेदक पिछले दिसंबर महीने की सुनवाई में उपस्थित हुआ था, तब भी दुधमुंही बच्ची को लेकर नहीं आया था और  सुनवाई में भी बच्ची को लेकर उपस्थित नहीं हुआ और आयोग के समक्ष उपस्थित होकर उच्चतम न्यायालय में लगाए पिटीशन को कॉपी दिखाकर कहता है कि मामला कोर्ट में चल रहा है।

अनावेदक के खिलाफ FIR दर्ज 

वहीं आयोग की अधिकारिता को मानने से इनकार कर रहा है। ऐसे में अनावेदक का रवैया बार-बार बच्ची को लेकर ताला बंद कर घर के सदस्यों सहित फरार हो जाने का है। आज भी उसकी नियत बच्ची को देने की नहीं है। ऐसी स्तिथि में आवेदिका आयोग से सीधा सिविल लाइन थाना भेजा गया। थाना सिविल लाइन ने अनावेदक के खिलाफ FIR दर्ज भी कर लिया है।

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