अफगानिस्तान में काबुल एयरपोर्ट के पास एक के बाद एक दो धमाके हुए, जिसमें अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। एक के बाद एक हुए हमलों में 13 अमेरिकी सैनिकों की जान चली गई है। जबकि 80 से ज्यादा अफगानी नागरिकों की मौत हुई है। काबुल प्रशासन के मुताबिक हमले में 150 से ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हुए हैं, हमले की जिम्मेदारी ISIS खोरासान ने ली है। ISIS खोरासान के आतंकियों ने दावा किया है कि उन्होंने ही अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाया है। काबुल में अमेरिका बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है। एयरपोर्ट के बाहर हजारों लोगों की भीड़ इकठ्ठा है और इसी भीड़ का फायदा उठाकर ISIS खोरासान के आतंकियों ने आत्मघाटी हमला कर दिया।
आतंकी आगे भी ऐसे किसी भी हमले को अंजाम न दे सकें इसलिए अमेरिका ने एयरपोर्ट के आस-पास अपने जंगी बेड़े को मजबूत कर दिया है। अत्याधुनिक लड़ाकू विमान F-15 और अपाचे हेलिकॉप्टर को सुरक्षा मिशन पर लगाया गया है। साथ ही आतंकियों की उनकी मांद से ढूंढ निकालने के लिए रीपर ड्रोन को डिप्लॉय किया गया है। क्योंकि पेंटागन को आशंका है कि ISIS खोरासान फिर से हमले की फिराक में है।
कमांडर जनरल ने दी जानकारी
सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल केनेथ मैकेनजी ने कहा 'हमें लगता है कि आतंकी फिर से हमले कर सकते हैं इसीलिए हम हर वो कोशिश कर रहे हैं जिससे ऐसे हमलों से निपटा जा सके। इसमें तालिबान से संपर्क भी शामिल है जो वास्तव में हवाई क्षेत्र के चारों ओर बाहरी सुरक्षा घेरा प्रदान कर रहे हैं।' तालिबान और पाकिस्तान ने भी धमाके में हुए लोगों की मौत की घटना पर दुख जताते हुए आतंकी हमले की निंदा की है। हालांकि इस धमाके के बाद ब्लेम गेम भी शुरू हो गया है। रेडियो पाकिस्तान से बात करते हुए तालिबान प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने एयरपोर्ट पर उस जगह धमाके का दावा किया है, जिसकी सुरक्षा अमेरिकी सैनिकों के पास है।
अमेरिकी रक्षा विभाग का दावा
अमेरिकी रक्षा विभाग ने दावा किया है कि आतंकी संगठन IS कार बम से हमला कर सकता है जिसका खतरा काफी ज्यादा है। आतंकी हमारे विमान को भी निशाना बनाने की फिराक में हैं। इटली ने तो और डराने वाला दावा किया है। इटली के रक्षा सूत्रों का दावा है कि काबुल एयरपोर्ट से उड़ान के बाद इटली के सैनिक विमान पर फायरिंग भी की गई। आने वाले कुछ घंटे इसलिए भी खतरनाक हैं क्योंकि क्योंकि दो दिन पहले ही ब्रिटेन ने जी-7 की बैठक में अमेरिका को हमले के खतरे से आगाह किया था। गुरुवार को भी ब्रिटेन की तरफ से हमले का खतरा बढ़ने की आशंका से पहले ही आगाह किया गया। काबुल एयरपोर्ट के गेट के बाहर हमले का अलर्ट है इसलिए अमेरिकी नागरिक एयरपोर्ट की तरफ नहीं आने की सलाह है। सरकार की तरफ से अगले आदेश तक एयरपोर्ट की तरफ ना आएं। अलर्ट के बावजूद हमले को नहीं टाला जा सका और 100 से ज्यादा बेगुनाह लोग आतंक की भेंट चढ़ गए।
जानिए क्या है खोरासान गुट
ईरान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान की सीमा पर खोरासान नाम के इलाके में 2012 में लड़ाकों ने एक गुट बनाया था। 2014 में इस गुट का ISIS के प्रति झुकाव हुआ और वो इस्लामिक स्टेट की मुहिम में शामिल हो गए। ISIS के करीब 20 मॉड्यूल हैं, जिसमें सबसे खतरनाक ISIS-K यानी खोरासान गुट है। दक्षिण एशिया में खोरासान का नेटवर्क सबसे मजबूत है। ISIS का खोरासान मॉड्यूल इस वक्त सबसे ज्यादा सक्रिय है। ये संगठन तालिबान छोड़ने वाले लड़ाकों की भर्ती करता है। तालिबान छोड़कर आए लड़ाकों को कमांडर बनाता है। उज्बेक, ताजिक, वीगर और चेचेन्या से युवाओं की भर्ती करता है। खोरासान गुट अफगानिस्तान में नया ठिकाना बनाने की कोशिश में है। ISIS-K गुट का अल कायदा से गठजोड़ है, इस गुट में अल कायदा से ट्रेनिंग ले चुके लड़ाके भी शामिल हैं।