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सुदुर वनांचल में मछली पालन से लाखों की कमाई, मछली पालन को कृषि का दर्जा मिलने से उत्साहित हैं मत्स्यपालक किसान

छत्तीसगढ़ में मछली पालन को कृषि का दर्जा मिलने से वनांचल के किसानों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। बीजापुर जिले में कई आदिवासी परिवारों ने इसे आय का अतिरिक्त आमदनी का जरिया बना लिया है। भोपालपट्टनम के वेंकट रमन का कहना है कि मछली पालन बहुत ही लाभदायक है। मछली पालन में जहां लागत कम है। वहीं आमदनी ज्यादा है। मछली पालन से उन्हें सात से आठ लाख रूपए की आमदनी मिल रही है। इसके अलावा उन्होंने मछली पालन से होने वाली आमदनी से अपने दस एकड़ खेत में सिंचाई के लिए दो नलकूप का खनन भी कराया है। 


मत्स्य पालक वेंकट रमन ने बताया कि मछली पालन को कृषि का दर्जा मिलने से मत्स्य पालक किसान खुश हैं। इन किसानों को मछली पालन के लिए जहां सस्ते दर पर ऋण मिलने लगा है वहीं उन्हें अन्य सुविधाएं भी मिलने लगी हैं। उन्होंने बताया कि पहले वे खेती किसानी करते थे, लेकिन मछली पालन में होने वाली आमदनी को देखते हुए उन्होंने सवा एकड़ खेत में मछली पालन के लिए ढाई लाख रूपए की लागत से तालाब निर्माण कराया है। आधुनिक तौर तरीके से मछली पालन के लिए उन्हें मछली पालन विभाग से प्रशिक्षण भी मिला है। उन्होंने बताया कि अपने सवा एकड़ तालाब में जहां पहले खेती की जाती थी। अब पूरी तरह से मछली पालन किया जाता है। 

मत्स्य पालक ने दी जानकारी

उन्होंने बताया कि मछली पालन के लिए हर सीजन में वे लगभग 5 हजार मछली बीज डालते हैं। परिवार के लोग भी उन्हें इस कार्य के लिए मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि मछली बीज की बढ़वार के लिए गांव में ही उपलब्ध गोबर का उपयोग किया जाता है इसके अलावा मछली पालन विभाग द्वारा भी मत्स्य आहार उपलब्ध कराया जाता है। मछली उत्पादन का काम वे पिछले तीन वर्ष से कर रहे हैं। तालाब से निकलने वाली मछली की अच्छी खपत आस-पास के गांवों में हो जाती है। मछली पालक वेंकट रमन ने बताया कि मछली पालन से हो रही आमदनी को देखते हुए वे एक एकड़ में और तालाब बनवा रहे है। वर्तमान में वह अपने परिवार के साथ खुशहल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उनके परिवार में मछली पालन से होने वाली आमदनी से उन्हें तरक्की की नई राह मिल गई है।

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