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पशुपालन से बढ़ी अंबुज की आमदनी और पहचान, अपनी मेहनत से बने डेयरी फार्म के संचालक

छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय जैसी योजना एक ओर जहां पशुपालकों और महिला स्व-सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है। वहीं दूसरी ओर इस योजना से युवाओं को पशुपालन करने की प्रेरणा मिलने के साथ उनके आमदनी और रोजगार की संभावनाएं पुनर्जीवित हुई है। युवा पशुपालक अंबुज यादव का परिवार भी सालों से पशुपालन करता आ रहा है, लेकिन पशुपालन से पहले न तो आमदनी बढ़ी थी और न ही वह किसी को रोजगार देने में सक्षम था। समय पर योजनाओं की जानकारी मिलने और उसका लाभ उठाने से अंबुज यादव एक सफल उद्यमी बन चुका है। डेयरी फार्म का संचालक बनने के साथ गांव में शुद्ध दुग्ध की आपूर्ति कर वह गांव में अपनी अलग पहचान बना चुका है। 

बलरामपुर के 49 साल के अंबुज कुमार यादव ने बताया कि गांव में शुद्ध दुग्ध की कमी ने उन्हें डेयरी उद्योग की ओर आकर्षित किया और इसे एक अवसर मानते हुए, उन्होंने दुग्ध उत्पाद इकाइ की स्थापना की। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में पूर्व से ही गौपालन का कार्य किया जा रहा है, लेकिन उन्नत नस्ल न होने के कारण पर्याप्त मात्रा में दुग्ध उत्पादन नहीं होता था। पशुपालन विभाग द्वारा उन्हें राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के बारे में जानकारी दी गई तो विभाग के सहयोग से देशी नस्ल के उन्नत साहीवाल और गिर नस्ल के बारह गाय से गौपालन शुरूआत की। 

1 लीटर और आधा लीटर पैकिंग में विक्रय

अम्बुज आगे बताते हैं कि डेयरी उद्यमिता विकास योजना से प्राप्त राशि से उन्होंने शेड, बोर और पावर पंप की स्थापना कर उन्नत नस्ल के और गाय खरीदे। वर्तमान में उनके पास गायों की संख्या बढ़कर 20 और बछड़ियों की संख्या 4 और बछड़ों की संख्या 7 हो गई है। आस्था डेयरी फार्म प्रतिदिन लगभग 90 से 100 लीटर मिल्क का उत्पादन करता है। जिसे शंकरगढ़ में डोर-टू-डोर 50 रूपये प्रति लीटर के दर से विक्रय किया जाता है। अंबुज लगातार अपने डेयरी फार्म को उन्नत बनाने में जुटे हैं और दुग्ध बेचकर प्राप्त आय से उन्होंने मिल्क कूलर खरीदा, जिससे दुग्ध को 4 डिग्री सेल्सियस में कूलिंग कर 1 लीटर और आधा लीटर पैकिंग में विक्रय किया जा रहा है। 

कृषि उत्पादकता बढ़ी

अंबुज ने बताया कि डेयरी संचालन का मुख्य उद्देश्य लोगों को स्वच्छ व शुद्ध ए2 दुग्ध उपलब्ध कराना है। इससे उसकी आमदनी भी सुनिश्चित हो गई है। वर्तमान में डेयरी में 2 सहयोगी भी कार्यरत हैं, जिन्हें डेयरी के माध्यम से रोजगार मिला है। अंबुज अपनी डेयरी से प्रतिमाह 20 से 25 हजार रुपए की आमदनी अर्जित कर रहे हैं। उनके द्वारा क्षेत्र के लोगों को भी पर्याप्त दुग्ध आपूर्ति की जा रही है। इसके साथ ही गाय से मिलने वाले गोबर का भी समुचित उपयोग करते हुए वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे जैविक खेती से उनकी कृषि उत्पादकता भी बढ़ी है। 

युवाओं से इस दिशा में कार्य करने की अपील 

बेहतर प्रबंधन के साथ ही अंबुज कुशल व्यवसायिक दृष्टिकोण भी रखते हैं और आशान्वित होकर कहते हैं कि डेयरी फार्म को और विस्तार कर लोगों को शुद्ध दुग्ध के साथ-साथ रोजगार भी मुहैया कराएंगे। वे डेयरी उद्यम के क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए युवाओं को इस दिशा में कार्य करने की अपील भी कर रहे हैं।

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