देश में दूसरे गंभीर अपराधों के साथ ही साइबर अपराध (Cyber crime in india) के मामले भी रोजाना बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने साइबर फ्रॉड से जुड़ी शिकायतों के निपटारे के लिए एक केंद्रीयकृत हेल्पलाइन नंबर 155260 जारी किया है। इस नंबर पर किसी भी तरह के इंटरनेट बैंकिंग समेत ऑनलाइन फाइनेंस से संबंधित धोखाधड़ी की शिकायत की जा सकेगी। इस हेल्पलाइन नंबर 155260 का संचालन संबंधित राज्य की पुलिस द्वारा किया जाता है। शिकायत के बाद संबंधित एजेंसियां उस पैसे को ढूंढकर वापस कराने का काम करेंगी।
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गृह मंत्रालय ने इस हेल्पलाइन की कार्यप्रणाली की जानकारी देते हुए कहा कि यह एक केंद्रीयकृत प्रणाली है, जिसके तहत ठगी से संबंधित सभी एजेंसियों को एक साथ जोड़ा जाता है। ठगी की शिकायत मिलने के तत्काल बाद शिकायत नंबर के साथ विस्तृत जानकारी उस बैंक या ई-वॉलेट के पास भेज दी जाती है, जिस बैंक में ठगी का पैसा गया होता है। बैंक के सिस्टम में यह जानकारी फ्लैश करने लगती है। अगर पैसे संबंधित बैंक या वालेट के पास ही हैं, तो वह उसे तत्काल फ्रीज कर देगा। अगर पैसा किसी और बैंक या वालेट में चला गया हो तो वह उसे संबंधित बैंक या वालेट को भेज देगा।
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यह प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी, जब तक उस पैसे की पहचान कर उसे फ्रीज नहीं कर दिया जाता। वहीं दूसरी ओर शिकायतकर्ता को SMS से शिकायत दर्ज किए जाने की सूचना और इसका एक नंबर दिया जाएगा। साथ ही 24 घंटे के अंदर नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर ठगी की विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया जाएगा। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि साइबर ठगी के शिकार लोगों को उनकी रकम वापस कराने में यह हेल्पलाइन नंबर काफी सफल साबित हुआ है।
1 करोड़ ज्यादा रकम को लौटाया गया वापस
दरअसल, मंत्रालय ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर लांच करने के पहले एक अप्रैल को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में सॉफ्ट लॉन्च किया गया था। दो महीने के अंतराल में हेल्पलाइन की मदद से ठगी के 1.85 करोड़ रुपये वापस दिलाने में सफलता मिली है। इनमें दिल्ली में 58 लाख और राजस्थान में 52 लाख रुपये वापस कराए गए। खास बात यह है कि राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर होते हुए सभी राज्यों में स्थानीय पुलिस ही इसका संचालन करेगी। इससे संबंधित राज्यों में स्थानीय भाषाओं में लोग आसानी से ठगी की शिकायत कर सकेंगे। गृह मंत्रालय के मुताबिक लगभग सभी राज्य इस हेल्पलाइन नंबर को चालू करने के लिए तैयार हो गए हैं और जल्द ही यह काम करना शुरू कर देगा।
पुलिस करेगी तत्काल कार्रवाई
हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने के बाद संबंधित पुलिस ऑपरेटर ठगी के शिकार हुए व्यक्ति के लेनदेन का ब्यौरा और डिटेल्स लिखता है। इस जानकारी को नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली पर एक टिकट के रूप में दर्ज किया जाता है। फिर यह टिकट संबंधित बैंक, वॉलेट्स, मर्चेंट्स तक तेजी से पहुंचाया जाता है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे इस पीड़ित के बैंक हैं या फिर वे बैंक-वॉलेट हैं, जिनमें धोखाधड़ी का पैसा गया है।
पैसा वापस लौटाने के लिए की जाएगी हर संभव कोशिश
फिर पीड़ित को एक SMS भेजा जाता है, जिसमें उसकी शिकायत की पावती संख्या होती है और साथ ही निर्देश होते हैं कि इस पावती संख्या का इस्तेमाल करके 24 घंटे के अंदर धोखाधड़ी का पूरा विवरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime।gov।in/) पर जमा करें। अब संबंधित बैंक, जो अपने रिपोर्टिंग पोर्टल के डैशबोर्ड पर इस टिकट को देख सकता है, वह अपने आंतरिक सिस्टम में इस विवरण की जांच करता है। अगर धोखाधड़ी का पैसा अभी भी मौजूद है तो बैंक उसे रोक देता है, यानी जालसाज उस पैसे को निकलवा नहीं सकता है। अगर वह धोखाधड़ी का पैसा दूसरे बैंक में चला गया है तो वह टिकट उस अगले बैंक को पहुंचाया जाता है, जहां पैसा चला गया है। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता है जब तक कि पैसा जालसाजों के हाथों में पहुंचने से बचा नहीं लिया जाता।