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मीडिया की खबर पर लिया संज्ञान, संरक्षित हुई आरंग में मिली पाषाण प्रतिमा


आरंग। "आरंग के तालाब में मिली प्राचीन पाषाण प्रतिमा, यहां भूगर्भ में दफन हैं वैभवशाली इतिहास" media24media में प्रमुखता से प्रकाशित इस खबर पर संज्ञान लिया गया। आरंग में मिली पाषाण प्रतिमा को संरक्षित किया जा रहा है। संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने त्वरित कार्यवाही की है। आरंग (जिला रायपुर ) के झलमला तालाब में सफाई के दौरान प्राचीन मूर्तियों के मिलने की खबर उन्हें मीडिया से मिली। खबर पर संज्ञान लेते हुए विभागीय अधिकारियों को आरंग जाकर स्थल निरीक्षण और आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये।





पुरातत्व विभाग की टीम पहुँची





इस पर महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर के संग्रहाध्यक्ष उप संचालक डॉ. पी.सी. पारख के संयोजन में टीम पहुँची। उन्होंने कार्यालयीन सहयोगियों प्रभात कुमार सिंह और प्रवीन तिर्की के साथ झलमला तालाब, समिया माता मंदिर सहित ऐतिहासिक नगर आरंग के अन्य पुरातत्व स्थलों का अवलोकन भी किया। आरंग के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) विनायक शर्मा और वार्ड पार्षद सूरज लोधी से मूर्तियों और समिया माता मंदिर में रखे प्राचीन खण्डित शिलालेख को महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर में सुरक्षित रखने की कार्यवाही की जानकारी दी। इस अवसर पर नवाचारी शिक्षक महेन्द्र कुमार पटेल और स्थानीय पत्रकार विनोद गुप्ता भी उपस्थित थे।









प्रतिमाओं का हुआ काल निर्धारण





उल्लेखनीय है कि झलमला तालाब में सफाई के दौरान दो खण्डित मूर्तियाँ मिली हैं। पुरावेत्ताओ के अनुसार उपलब्ध प्रतिमा खण्ड देवी चामुण्डा और विष्णु मूर्ति के शीर्षभाग हैं। जो 7वीं 8वीं सदी ईसवी की पाण्डुवंशीकालीन हैं। वहीं संस्कृत भाषा और पूर्व नागरी (कुटिल लिपि) में अंकित शिलालेख भी उसी काल का है। इन मूर्तियों और अभिलेख से विदित होता है कि पाण्डुवंशी काल में भी आरंग एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक नगर था ।आरंग से प्राप्त राजर्षितुल्यकुल वंश के राजा भीमसेन का ताम्रपत्र पहले से ही रायपुर संग्रहालय के अभिलेख दीर्घा में प्रदर्शित है। प्राचीन धरोहरों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से आरंग से प्राप्त उक्त खण्डित मूर्तियों और शिलालेख को महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर के संग्रह में शामिल किया गया है।


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