छत्तीसगढ़ में कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। बीते 3 दिनों में इस फंगस ने 2 लोगों की जान ले ली है। दुर्ग में हुई पहली मौत के बाद आज दूसरी मौत महासमुंद में हुई है। महासमुंद के निजी अस्पताल में ब्लैक फंगस के 6 मरीजों को भर्ती कराया गया था, जिसमें से एक मरीज की आज मौत हो गई है।
सावधान: मुंबई में ब्लैक फंगस से 10 लोगों की मौत, 2000 मरीज एक्टिव
जानकारी के मुताबिक महासमुंद के जैन नर्सिंग होम में 2 दिन पहले ही ब्लैक फंगस के 6 मरीज मरीज भर्ती कराए गए थे। कोरोना संक्रमण से उबरे इन मरीजों में इलाज के दौरान एक मरीज की मौत हो गई। जबकि एक मरीज की स्थिति गंभीर है, जिसे रायपुर के एम्स में रेफर किया गया है। वहीं 4 मरीजों का इलाज महासमुंद में ही चल रहा है।
एम्स में ब्लैक फंगस के कई मरीज भर्ती
इन चारों मरीज की स्थिति अभी बेहतर है। बता दें कि छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में ब्लैक फंगस के करीब 50 से ज्यादा मरीज मिले हैं, जिनका इलाज चल रहा है। रायपुर के एम्स में भी बीते दिनों कई मरीजों को भर्ती कराया गया है।
ब्लैक फंगस को लेकर सतर्क रहने की अपील
बिलासपुर जिला प्रशासन ने कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस की बीमारी को लेकर सावधानी बरतने की अपील की है। कलेक्टर ने होम आइसोलशन में रहकर ऑक्सीजन सिंलेडर, वेंटिलेटर का उपयोग करने वाले मरीजों को इसका ध्यान रखते हुए किसी भी प्रकार की समस्या होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में तत्काल संपर्क करने की अपील की है। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में इसके इलाज की व्यवस्था की गई है।
इस जिले में मिले ब्लैक फंगस के 270 केस, इलाज के लिए दिशा-निर्देश जारी
स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल जारी
प्रदेश के कुछ जिलों में यह बीमारी देखी जा रही है जो काफी लंबे समय से ऑक्सीजन सिंलेडर उपयोग करते हैं। जिले के कोविड केयर सेंटर और होम आइसोलेशन में रहने वाले ऐसे कोरोना संक्रमित मरीज जिनके द्वारा ऑक्सीजन सिंलेडर, वेंटिलेटर का उपयोग किया जा रहा है उनके लिए पानी की मात्रा का नियमित निगरानी करते हुए प्रतिदिन पानी बदलना आवश्यक है। स्वास्थ्य विभाग ने पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए राज्य के तकनीकी समिति के विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को जारी किया है।
क्या है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जो दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित है और दवाइयां ले रहे हैं। इससे उनकी प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रभावित होती है। अगर व्यक्ति के शरीर में यह फंगस सूक्ष्म रूप में शरीर के अंदर चला जाता है तो उसके साइनस या फेफड़े प्रभावित होंगे, जिससे गंभीर बीमारी हो सकती है। अगर इस बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया गया तो यह घातक हो सकती है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
बीमारी कोविड-19 मरीजों में जो डायबीटिक मरीज हैं या अनियंत्रित डायबीटिज वाले व्यक्ति को, स्टेरोईड दवाइयां ले रहे व्यक्ति को या ICU में ज्यादा समय तक भर्ती रहने से यह बीमारी हो सकती है। बीमारी के लक्षणों में आंख, नाक में दर्द और आंख के चारों ओर लालिमा, नाक का बंद होना, नाक से काला या तरल द्रव्य निकलना, जबड़े की हड्डी में दर्द होना ब्लैक फंगस का लक्षण है।
ब्लैक फंगस से बचने के उपाय
इसी तरह चेहरे में एक तरफ सूजन होना, नाकध्तालु काले रंग का होना, दांत में दर्द, दांतों का ढ़िला होना, धुंधला दिखाई देना, शरीर में दर्द होना, त्वचा में चकते आना, छाती में दर्द, बुखार आना, सांस की तकलीफ होना, खून की उल्टी, मानसिक स्थिति में परिवर्तन आना भी लक्षण है। धूल भरे स्थानों में मास्क पहनकर, शरीर को पूरे वस्त्रों से ढंक कर, बागवानी करते समय हाथों में दस्ताने पहन कर और व्यक्तिगत साफ-सफाई रख कर ब्लैक फंगस से बचा जा सकता है।