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छत्तीसगढ़ : नक्सलियों की मांद में बिछ रहा 700 किमी सड़कों का जाल

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नई दिल्ली। पहले जहां बस्तर के नक्सल प्रभावित पहुँचविहीन क्षेत्रों में पैदल चलना मुश्किल था, अब वहां सड़क है, बिजली है, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं हैं। लेकिन कुछ साल पहले तक यह सब बुनियादी सुविधाएं यहां के लोगों के लिए सपना था। इस सपने को हकीकत में बदलने का प्रयास किया है प्रशासन ने।





विकास कार्यों को गति देने के लिए बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पिछले दो सालों में 28 सुरक्षा बलों के कैम्प स्थापित किये गए हैं। इन कैम्पों के स्थापना से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों में तेजी आ पाई है।









दिसंबर 2018 से अब तक नक्सल प्रभावित संवेदनशील क्षेत्रों में 21 सड़क बनाये गए हैं। बीजापुर-आवापल्ली-जगरगुंडा रोड, नारायणपुर-पल्ली-बारसूर रोड, अंतागढ़- बेड़मा रोड, चिन्तानपल्ली-नयापारा रोड, चिंतल नार-मड़ाई गुड़ा रोड, कोंटा-गोल्ला पल्ली रोड आदि पर लगभग 700 किमी सड़कों का जाल बिछा कर दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ा जा रहा है।





वहीं, कोरोना काल के लॉकडाउन के दौरान बस्तर के धुर नक्सल इलाकों में 450 किमी सड़कों का काम पूरा किया गया है। 132 पुल-पुलिया का भी निर्माण कराया गया है। यह सड़कें ऐसे इलाकों में बनी हैं जो नक्सलियों के कब्जे में रहे थे। छोटे पुलों के साथ ही इंद्रावती नदी पर निर्माणाधीन चार बड़े पुलों में से एक छिंदनार के पुल का काम लगभग पूरा हो चुका है। यह पुल जून के आखिरी सप्ताह तक आम जनता के लिए खुल जाएगा। इसके बनने से दंतेवाड़ा की ओर से अबूझमाड़ के जंगलों का रास्ता खुल जाएगा। नदी के उस पार सड़क का काम चल रहा है। इस सड़क के बनने से करका, हांदावाड़ा समेत एक दर्जन गांव जुड़ जाएंगे।





बस्तर में नक्सलवाद पर अंकुश लगाने के लिए सुरक्षा-बलों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में कैंप स्थापित किए जाने की जो रणनीति अपनाई गई है, उसने अब नक्सलवादियों को अब एक छोटे से दायरे में समेट कर रखा दिया है। इनमें से ज्यादातर कैंप ऐसे दुर्गम इलाकों में स्थापित किए गए हैं, जहां नक्सलवादियों के खौफ के कारण विकास नहीं पहुंच पा रहा था। अब इन क्षेत्रों में भी सड़कों का निर्माण तेजी से हो रहा है, यातायात सुगम हो रहा है, शासन की योजनाएं प्रभावी तरीके से ग्रामीणों तक पहुंच रही हैं, अंदरुनी इलाकों का परिदृश्य भी अब बदल रहा है।









आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नए कैम्पों के स्थापना से आदिवासियों के जीवन में बदलाव आया है। इंद्रावती नदी पर चार पुल बनाये जा रहे हैं। आजादी के बाद से अब तक इंद्रावती नदी पर 200 किमी में सिर्फ 3 पुल थे, जो कि अगले साल तक सात हो जाएंगे।
इसी तरह पिछले 30 सालों से बंद पड़ी पल्ली-बारसूर रोड, बासागुड़ा-जगरगुंडा रोड, उसूर-पामेड़ रोड सरकार ने सुरक्षा बलों के कैम्प लगा कर खुलवाए हैं।


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