गुरुवार को पंजाब में मोगा के पास देर रात भारतीय वायु सेना (IAF) का मिग-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है, जिसमें पायलट अभिनव चौधरी शहीद हो गए है। भारतीय वायुसेना ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। IAF के अफसरों ने बताया, 'यह MiG-21 लड़ाकू विमान था, जो कि क्रैश हुआ था। जिस वक्त हादसा हुआ, तब विमान रूटीन ट्रेनिंग पर था। दुर्घटना के वक्त विमान नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था। इस हादसे में स्क्वाड्रन लीडर अभिनव चौधरी की मौत हो गई। भारतीय वायुसेना ने शोक व्यक्त किया है और विमान की दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक मिग 21 ने राजस्थान के सूरतगढ़ से उड़न भरी थी और मोगा के लंगियाना खुर्द गांव के पास ये हादसा हुआ। बता दें कि पंजाब के मोगा में देर रात एक बजे के करीब फाइटर जेट मिग 21 क्रैश हो गया। मिली जानकारी के मुताबिक ट्रेनिंग के चलते पायलट अभिनव ने मिग 21 से उड़ान राजस्थान के सूरतगढ़ के लिए भरी थी, जिसके बाद ये विमान क्रैश हो गया। इंडियन एयरफोर्स के अफसरों का कहना है कि मोगा के कस्बा बाघापुराना के गांव लंगियाना खुर्द के पास देर रात एक बजे फाइटर जेट मिग 21 क्रैश हो गया।
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बता दें कि किसी जमाने में फाइटर जेट मिग-21 विमान भारतीय वायुसेना की रीढ़ माने जाते थे। अब इसके चार स्क्वॉड्रन बचे हुए हैं। इनकी देखभाल और अपग्रेड भले ही किया गया हो, लेकिन ये विमान न तो जंग के लिए और न ही उड़ान के लिए फिट हैं। बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद मिग-21 बाइसन विमान ने पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों के छक्के छुड़ा दिए थे। हालांकि, लगातार दुर्घटनाग्रस्त हो रहे मिग-21 विमानों के कारण कई पायलट्स जान भी गंवा चुके हैं, अब इन विमानों जल्द से जल्द हटाने का वक्त आ गया है।
5 जनवरी को भी हुआ था मिग-21 विमान क्रैश
वायुसेना 1960 से मिग-21 विमानों का इस्तेमाल कर रही है। वायुसेना लगातार कहती रही है कि उसने इन विमानों को जंग के लिए तैयार रखने में कोई समझौता नहीं किया है, भले ही ये कितने ही पुराने हों। बता दें 5 जनवरी को भी राजस्थान के श्रीगंगानगर स्थित सूरतगढ़ में मिग-21 बाइसन एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया था। सेना के अनुसार MIG-21 बायसन एयरक्राफ्ट में तकनीकी खराबी आने के चलते रात 8:15 पर क्रैश हो गया था। यह क्रैश सूरतगढ़ के एयरबेस के आसपास हुआ था, हालांकि इसमें पायलट सुरक्षित था।
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मिग-21 लड़ाकू विमान मिग कई घातक एयरक्राफ्ट शॉर्ट रेंज और मीडियम रेंज एयरक्राफ्ट मिसाइलों से हमला करने में सक्षम है। इस लड़ाकू विमान की स्पीड 2229 किलोमीटर प्रति घंटा की है, जो उस समय सबसे तेज उड़ान भरने वाला लड़ाकू विमान था। कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने अहम भूमिका निभाई थी। साल 1964 में मिग-21 लड़ाकू विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के रूप में इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था।
कारगिल युद्ध में थी मिग-21 की अहम भूमिका
शुरुआत में ये जेट रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेम्बल करने का अधिकार और तकनीक भी हासिल कर ली थी, जिसके बाद हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 1967 से लाइसेंस के तहत मिग-21 लड़ाकू विमान का प्रोडक्शन शुरू कर दिया था। रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल करता रहा है। पाकिस्तान के साथ हुए 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी मिग-21 ने अहम भूमिका निभाई थी।
लगातार हादसे का शिकार हो रहे मिग-21 विमान
मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान मिग-21 का एक अपग्रेडेड वर्जन है, जिससे अगले 3 से 4 साल तक इसका उपयोग किया जा सकता है। इस वर्जन का इस्तेमाल केवल भारतीय वायुसेना ही करती है। बाकी दूसरे देश इसके अलग-अलग वैरियंट का प्रयोग करते हैं। सितंबर, 2018 तक वायु सेना के पास तकरीबन 120 मिग-21 विमान थे। हालांकि भारतीय वायुसेना के मिग-21 विमान बड़ी संख्या में हादसों का शिकार हो चुके हैं।