छत्तीसगढ़ में कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। 15 दिन के अंदर इस फंगस ने 5 लोगों की जान ले ली है। वहीं शुक्रवार को फिर ब्लैक फंगस से रायपुर एम्स में इलाज करा रही एक 70 वर्षीय महिला की मौत हो गई। वहीं भिलाई की एक महिला ने रायपुर के ही एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया है। करीब 56 साल की इस महिला को कोरोना के बाद सांस संबंधी दिक्कतों की वजह से रायपुर में भर्ती कराया गया था।
दुर्ग में ब्लैक फंगस से तीसरी मौत, प्रदेश में अब तक हो चुकी है 4 लोगों की मौत
बता दें कि छत्तीसगढ़ में शुक्रवार शाम तक ब्लैक फंगस के 102 मरीजों का इलाज जारी था। इनमें से 78 मरीजों का इलाज रायपुर एम्स में चल रहा है। रायपुर और दुर्ग जिले को सबसे अधिक प्रभावित बताया जा रहा है। प्रदेश में ब्लैक फंगस से मौत का पहला मामला भी दुर्ग के भिलाई में ही आया था।
फंगस को महामारी की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू
बता दें कि ब्लैक फंगस को महामारी की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया चल रही है। इसपर विधि विभाग का अभिमत मांगा गया था। वह मिलते ही अधिसूचना जारी हो जाएगी। वहीं केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर ब्लैक फंगस के लिए अलर्ट किया है। वहीं राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु इस ब्लैक फंगस को पहले ही महामारी घोषित कर चुके हैं। दिल्ली में भी इसके मरीजों के इलाज के लिए अलग से सेंटर्स बनाए जा रहे हैं
सभी राज्य सरकारों को अलर्ट जारी
स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने राज्यों से कहा है कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन के केस बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं और इससे कोरोना मरीजों की मौतों की संख्या भी बढ़ रही है। हमारे सामने यह एक नई चुनौती है। कई राज्यों के कोरोना मरीजों में म्यूकर माइकोसिस नाम का फंगल इन्फेक्शन सामने आया है। ये खास तौर से उन मरीजों में दिखाई दे रहा है, जिन्हें स्टेरॉयड थेरेपी दी गई है और जिनका शुगर लेवल अनियंत्रित है।
छत्तीसगढ़ में कोरोना के 4,943 नए केस, 96 मरीजों की मौत
इस बीमारी का इलाज कई मोर्चों पर करना होता है। इसमें आई सर्जन, ENT स्पेशलिस्ट, जनरल सर्जन, न्यूरोसर्जन और डेंटल मैक्सीलो सर्जन भी शामिल हैं। इसके इलाज में एम्फ्टोथेरेसिन-B इंजेक्शन को इलाज के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है, जो कि एक एंटीफंगल मेडिसिन है।
गंभीर बीमारी घोषित करने के निर्देश
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से कहा है कि वे ब्लैक फंगस को महामारी एक्ट 1897 के तहत गंभीर बीमारी घोषित करें। इसके तहत सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर ब्लैक फंगस की निगरानी, पहचान, इलाज और इसके मैनेजमेंट पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और ICMR द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन किया जाए। ब्लैक फंगस के सभी मामलों की रिपोर्ट जिला स्तर के चीफ मेडिकल ऑफिसर को की जाए। इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम सर्विलांस सिस्टम में भी इसकी जानकारी दी जाए।