बालोद जिला प्रशासन (Balod District Administration) और महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) की सतर्कता और संयुक्त प्रयास से नाबालिग लड़के की शादी रोकने में कामयाबी मिली है। दरअसल बालोद जिले के सुरेगांव थाना क्षेत्र के एक गांव में शहनाई बजने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। हल्दी लगाने मेहमान भी पहुंच गए थे, लेकिन शादी उस समय रोक दी गई जब दूल्हा नाबालिग निकला। जानकारी मिलते ही प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और शादी रुकवा दी।
यह भी पढ़ें:- बिलाईगढ़ में नाबालिग की शादी रोकने में प्रशासन कामयाब : परिजन को दी समझाइश
महिला एवं बाल विकास विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने यह कार्रवाई की। इसके साथ ही परिजनों को समझाया कि जब बेटा बालिग हो जाए तो उसकी शादी करे।
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची टीम
महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि जिले के सुरेगांव थाना अंतर्गत एक गांव में नाबालिग लड़के के विवाह की सूचना मिली। सूचना मिलते ही एकीकृत बाल विकास परियोजना अधिकारी (बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी) गुंडरदेही, तहसीलदार अर्जुन्दा, थाना प्रभारी सुरेगांव, बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड लाइन बालोद, सेक्टर सुपरवाइजर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, ग्राम पंचायत के पंच की संयुक्त रेस्क्यू दल ने नाबालिग के घर पहुंचा। टीम ने नाबालिग के उम्र संबंधी दस्तावेज का सत्यापन किया। सत्यापन में बालक की उम्र 19 साल 3 माह पाई गई।
बाल विवाह की जानकारी
नाबालिग के परिवार को बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के बारे में विस्तार से बताया गया। विवाह के समय वर की आयु 21 साल से ज्यादा और वधु की आयु 18 साल या उससे ज्यादा होने की जानकारी दी गई। बाल विवाह से संबंधित पंचनामा कर परिजनों से घोषणा पत्र लिया गया। उन्होंने बताया कि परिवारजनों द्वारा बालक के बालिग होने के बाद ही शादी किए जाने की सहमति दी गई।