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चाणक्य नीति : चाणक्य के मुताबिक इन बातों को जानने से कभी किसी से खराब नहीं होंगे रिश्ते


आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, आचार्य चाणक्य का जन्म ईशा से 350 वर्ष पूर्व हुआ था, जिन्होंने अर्थशास्त्र और नीतिशाश्त्र (Economics and Ethics) की रचना की थी। जिसे ‘चाणक्य नीति’ (Chanakya Niti ) भी कहा जाता है। भले ही चाणक्य द्वारा लिखी गई बाते बहुत पुरानी हो, लेकिन उनके द्वारा कहे गये कथन आज भी उतने सटीक और सही साबित (Chanakya Niti For Successful Life) होती है।





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आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे, लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें, लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार आदतों से संबंधित है।





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आचार्य चाणक्य महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। आचार्य का भारत की दो प्रमुख शिक्षा संस्थाओं तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में महत्वपूर्ण योगदान है। आचार्य ने पश्चिमी सीमाई राज्यों को आक्रांताओं के आक्रमण और अधिग्रहण से बाहर निकलने में सहायता की। मगध जनपद को धननंद के आतंक से मुक्त कराया।





चाणक्य नीति





चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि जो व्यक्ति सभी के हृदय में रहता है, वह व्यक्ति जीवन में अपार सफलता प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति के पास लक्ष्मी जी का आर्शीवाद सदैव बना रहता है। ज्ञान की देवी सरस्वती भी ऐसे लोगों पर अपनी कृपा बनाएं रखती हैं। इसीलिए हर व्यक्ति के मन में सभी का प्रिय होने की कामना बनी रहती है।





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चाणक्य के अनुसार यह कार्य आसान नहीं है। सभी का प्रिय होने के लिए व्यक्ति में कुछ अच्छी आदतों का होना भी बहुत जरूरी है। क्योंकि छल कपाट से अर्जित किए गए प्रेम की परत एक न एक दिन खुल ही जाती है। जब सामने वाले को सच्चाई का पता चलता है तो अपयश का भी सामना करना पड़ता है। इसलिए लोगो के दिलों में यदि जगह बनानी है तो छल कपट और झूठ से दूर रहें और चाणक्य की इन बातों को हमेशा याद रखें।





सामने वाले व्यक्ति को कभी न समझें कमजोर





चाणक्य के मुताबिक व्यक्ति अहंकार में कभी कभी स्वयं को इतना विशाल और सक्षम समझने लगता है कि वह समाने वाले व्यक्ति को कभी कभी कमतर आंकने की भूल कर जाता है। यही भूल आगे चलकर भारी भी पड़ जाती है। जो व्यक्ति अहंकार से दूर रहकर सभी का आदर सम्मान करता है, वह सभी का प्रिय होता है। बुरा वक्त आने पर ऐसे व्यक्ति के साथ सहयोग करने वालों की भारी भीड़ जमा रहती है।





विनम्रता अपनाएं





चाणक्य नीति कहती है कि यदि लोगों के हृदय में स्थान बनाना है तो विनम्रता और मधुर वाणी को अपनाएं। विनम्रता सभी को आकर्षित करती है। विनम्र व्यक्ति ज्ञान और शक्ति से पूर्ण होता है। जब ऐसे व्यक्ति मानव कल्याण के बारे में जब चिंतन करते हैं तो समाज ऐसे व्यक्ति को आदर सम्मान प्रदान करता है।





किसी को न दें धोखा





चाणक्य के मुताबिक दूसरों को धोखा देने वाला व्यक्ति लोगों की नजर में यश की प्राप्ति नहीं करता है। धोखा देने वाले से लोग दूरी बनाकर चलते हैं। लोग जब एक बार इनके स्वभाव को जान जाते हैं तो इनसे दूर रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं।





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चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है। चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ साथ समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र और सैन्य शास्त्र के भी ज्ञाता थे। आचार्य चाणक्य का संबंध विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्व विद्यालय से भी था। चाणक्य ने तक्षशिला विश्व विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी और बाद में वे इसी विद्यालय में आचार्य हुए। चाणक्य ने हर उस रिश्ते के बारे में भी जानने और समझने की कोशिश की जो मनुष्य को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं।


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