आचार्य चाणक्य जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है । जिनका जन्म ईशा से 350 वर्ष पूर्व हुआ था, जिन्होंने अर्थशास्त्र और नीतिशाश्त्र (Economics and Ethics) की रचना की थी। जिसे “चाणक्य नीति” (Chanakya Niti) भी कहा जाता है। भले ही चाणक्य द्वारा लिखी गयी बाते बहुत पुरानी हो। लेकिन उनके द्वारा कहे गये कथन आज भी उतने सटीक और सही साबित होती है ।
आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें, लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार उस व्यक्ति पर आधारित है जो अपनी गलतियों से खुद ही लड़ता है।
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गलतियों का अहसास जिसे खुद हो (Chanakya Niti)
आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) के इस कथन का अर्थ है कि जो व्यक्ति अपनी गलतियों से खुद ही सीख जाता है उसे कोई दूसरा कभी हरा नहीं सकता। कई बार ऐसा होता है हम लोग अंजाने में या फिर जानबूझकर गलती कर देते हैं। जिन लोगों को अपनी गलतियों का अहसास खुद हो जाता है उसका कोई भी फायदा नहीं उठा सकता। ये कहे कि उस व्यक्ति के मने में कोई भी दूसरा किसी भी तरह की शंका पैदा या उसे किसी के खिलाफ नहीं कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे अपनी गलती का अहसास खुद ही हुआ है।
जो गलतियों को मान ले वही मजबूत (Chanakya Niti)
ऐसा व्यक्ति मन का बहुत मजबूत होता है और अपनी गलतियों को मानने और उसका सामना करने की उसमें हिम्मत होती है। ऐसा व्यक्ति किसी भी तरह की मुसीबत का सामना करने और किसी की बातों में नहीं आने वाला होता है।
अभिमानी को समझाना मुश्किल
वहीं दूसरी ओर जिन व्यक्तियों को अपनी गलतियों का एहसास नहीं होता, उन्हें समझा पाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ अपनी धुन में ही चलता है। उसे किसी की बात सुनना या समझना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। ऐसा व्यक्ति सिर्फ ऊपरी तौर पर मजबूत होता है और मन का बहुत ही कच्चा। यहां तक कि वो किसी के भी बहकावे में आसानी से आ जाता है। कई बार तो इतनी बड़ी गलतियां भी कर देता है उसका साथ देने के लिए कोई भी उसका अपना तक नहीं होता। ऐसे व्यक्ति को कोई भी आसानी से हरा सकता है। वहीं दूसरी ओर जो व्यक्ति अपनी गलती का एहसास खुद करता है उसे हरा पाना किसी के बस की बात नहीं है।