कोरबा. रेत के टीले में बच्चियों की मौत के बाद क्रियाकर्म के लिए मिली सहायता राशि में ढाई-ढाई हजार कमीशन लेने वाले पटवारी दामोदर तिवारी(Patwari Bribe Case) का एक और कारनामा सामने आया है। कमीशनखोर पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि यह घटना प्राकृतिक आपदा नहीं थी। इसी आधार पर सहायता राशि के लिए अपात्र बताते हुए एसडीएम को रिपोर्ट सौंप दी।
बिना इस्तेमाल एंटीजन किट को किया आग के हवाले
बता दें कि प्राकृतिक आपदा से मौत पर सरकार से पीडि़त परिवार को 4 लाख का मुआवजा मिलता है। पटवारी के इस प्रतिवेदन के कारण आज तक दोनों परिवारों को उचित मुआवजा नहीं मिल सका है। अब जब पटवारी के खिलाफ कार्रवाई हुई तो सारी जानकारी अधिकारियों तक पहुंच रही हैं।
रेत माफियाओं को बचाने झूठा प्रकरण बनाया(Patwari Bribe Case)
पटवारी ने प्रतिवेदन में यह स्वीकार किया कि रेत माफियाओं द्वारा खोदे गए टीले में दबकर बच्चियों की मौत हुई थी। वहीं जब यह घटना हुई थी तब प्रशासन और पुलिस ने तर्क दिया था कि यह टीला रेत निकालने के कारण नहीं, बल्कि प्राकृतिक तौर पर पहले से बने हुए थे। इस तरह से रेत माफियाओं को कानूनी कार्रवाई से बचा लिया गया था।
अब अधिकारी कह रहे पटवारी का प्रतिवेदन झूठा
इस मामले के सामने आने पर अधिकारी कह रहे हैं कि पटवारी ने झूठा प्रतिवेदन सौंपा था। दर्दनाक घटना के बाद मिलने वाली सहायता राशि को एक पटवारी के गलत प्रतिवेदन के बाद रोक दिया गया था। यहां तक की पूरे प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अधिकारी के मुताबिक पटवारी का प्रतिवेदन अंतिम नहीं होता है। आरबीसी में प्रावधान है कि सक्षम अधिकारी की रिपोर्ट के बाद तत्काल सहायता राशि स्वीकृत कराई जा सके।
पटवारी ने कहा- मैनें सरकार के बचाए लाखों रुपए
निलंबित होने के बाद दामोदर तिवारी ने पटवारियों के ग्रुप में सुबह एक मैसेज पोस्ट किया। इसमें उसने लिखा है कि मेरे प्रतिवेदन पर सरकार के लाखों रुपए बच गए। इतना अच्छा काम करने के बाद भी मुझे विभाग ने सस्पेंड कर दिया। इस मैसेज के बाद पटवारियों ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
रिश्वत लेने पर कानूनी कार्रवाई की तैयारी
निलंबित पटवारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है। पीडि़त परिवार से रिश्वत लेने के मामले में बहुत जल्द एसडीएम द्वारा प्रतिवेदन पुलिस को सौंपा जाएगा। पूरी रिपार्ट तैयार की जा रही है। कोटवार से एक बार फिर बयान लिया जाएगा।
पटवारी के प्रतिवेदन में जिक्र किया गया था कि यह मौत प्राकृतिक नहीं थी। मुआवजा नहीं दिया जाए। हालांकि पटवारी प्रतिवेदन अंतिम नहीं होता। हम जल्द पीडि़त परिवारों को मुआवजा दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।
- सुनील नायक, एसडीएम, कोरबा
उक्त घटना प्राकृतिक नहीं थी। रेत माफियाओं द्वारा खोदे गए रेत के टीले में दबकर बच्चियों की मौत हुई थी। रेत माफिया मुझे फंसा रहे हैं। मेरे खिलाफ झूठी शिकायतें की जा रही हैं।
- दामोदर तिवारी, निलंबित पटवारी