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बच्चे दो ही अच्छे का फंडा अपना रहे हैं भारतीय, दो ही बच्चे पैदा कर रहे लोग, सर्वे में खुलासा


भारत में बच्चा पैदा करने के लिए कानून हो या न हो, लेकिन भारतीय बच्चे दो ही अच्छे का फंडा अपना रहे है। दरअसल सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि भारत के ग्रामीण और शहरी इलाकों में आधुनिक गर्भनिरोधक (कॉन्ट्रासेप्टिव) के इस्तेमाल को लेकर लोगों की समझ काफी विकसित हुई है। परिवार नियोजन की मांग में सुधार हुआ है और महिलाओं द्वारा पैदा किए बच्चों की औसत संख्या में भी गिरावट (Decline in average number of children) आई है।





जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट





नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक ग्रामीण और शहरी इलाकों में आधुनिक गर्भनिरोधक (कॉन्ट्रासेप्टिव) के इस्तेमाल को लेकर लोगों की समझ काफी विकसित हुई है। परिवार नियोजन की मांग में सुधार हुआ है और महिलाओं द्वारा पैदा किए बच्चों की औसत संख्या में भी गिरावट आई है। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि ये आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि देश में 'जनसंख्या विस्फोट' का डर निराधार है और सिर्फ दो बच्चे पैदा करने की योजना लाने की जरूरत नहीं है।





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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 2019 में अपने स्वतंत्रता दिवस (Independence day) के भाषण में जनसंख्या नियंत्रण को देशभक्ति का एक रूप बताया था। 2020 में भी पीएम मोदी ने महिलाओं के लिए शादी की उम्र में संशोधन पर जोर दिया, जिसे कई लोग अप्रत्यक्ष रूप से जनसंख्या नियंत्रण करने की कोशिश के तौर पर ही देख रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में आए NFHS-5 की रिपोर्ट के पहले पार्ट में 17 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों का रिकॉर्ड डेटा है। इंटरनेशनल नॉन प्रॉफिट पॉपुलेशन (PC) का डेटा एनालिसिस बताता है कि 17 में से 14 राज्यों के 'टोटल फर्टिलिटी रेट' 'Total Fertility Rate' में गिरावट आई है। इन राज्यों में प्रति महिला बच्चों का औसत 2।1 या इससे भी कम है।





रिपोर्ट में हुआ खुलासा





राष्ट्रीय स्तर के एनजीओ पॉपुलेशन फाउंडेशन इंडिया की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पूनम मुटरेजा (Poonam Mutreja, executive director of NGO Population Foundation India) का कहना है कि 'हमें बिना किसी साक्ष्य के फैलाई जा रही बातों से दूर रहने और सोचने-समझने की जरूरत है। यह डेटा दो बच्चे पैदा करने की योजना के मिथक और गलत धारणा को उजागर करता है। रिपोर्ट की मानें तो आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल और बिहार जैसे राज्यों में 2015-16 की तुलना में कॉन्ट्रासेप्टिव का इस्तेमाल काफी बढ़ा है।





निरंजन सागुर्ती ने दी जानकारी





PC के कंट्री डायरेक्टर निरंजन सागुर्ती (Country Director Niranjan Sagurti) ने इन आंकड़ों के आधार पर कहा कि 2005 से 2016 के बीच NFHS-3 और NFHS-4 कंडक्ट किए गए थे। उस दौरान 22 में से 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कॉन्ट्रासेप्टिव के आधुनिक तरीकों (ओरल पिल, कॉन्डम, इंट्रा-यूट्रिन डिवाइस) के इस्तेमाल में बड़ी गिरावट देखी गई थी। लेकिन NFHS-5 में 12 में से 11 राज्यों में इनका इस्तेमाल पहले की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ा है।


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