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हरियाली से भरपूर राम वन गमन पथ के भ्रमण से लोग होंगे आनंदित, डेढ़ लाख से ज्यादा फलों और फूलों के पौधे रोपित


छत्तीसगढ़ में पूरे राम वन गमन पथ पर (Ram van gaman path in Chhattisgarh) पौधारोपण (Plantation) से ऐसा वातावरण निर्मित किया जा रहा है, जो अपनी हरियाली से लोगों को सहज ही आकर्षित करने लगेंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) की मंशा के अनुसार राज्य शासन की इस महत्वपूर्ण परियोजना पर वनमंत्री मोहम्मद अकबर (Forest Minister Mohammad Akbar) के मार्गदर्शन में पथ के दोनों ओर कई प्रकार के फूलों और फलों के डेढ़ लाख से ज्यादा पौधों का रोपण किया गया है। इस मार्ग पर पर्यटकों को विभिन्न तरह के वनौषधियां भी दिखाई देंगे।









बता दें कि छत्तीसगढ़ में राम के वनवास काल से संबंधित 75 स्थानों को चिन्हित कर उन्हें नए पर्यटन सर्किट के रुप में आपस में जोड़ा जा रहा है। पहले चरण में उत्तर छत्तीसगढ़ में स्थित कोरिया जिले से लेकर दक्षिण के सुकमा जिले तक 9 स्थानों का सौंदर्यीकरण और विकास किया जा रहा है। ये सभी स्थान पहले ही प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर हैं। पौधारोपण के जरिए अब इन्हें और भी हरा-भरा किया जा रहा है।









वहीं सभी चयनित पर्यटन-तीर्थों पर सुगंधित फूलों वाली सुंदर वाटिकाएं भी तैयार की जाएंगी। राम वन गमन के 528 किलोमीटर मार्ग के दोनों किनारों पर डेढ़ लाख से ज्यादा पौधे का रोपण वन विभाग द्वारा चालू वर्ष के दौरान किया गया है। इस पूरे मार्ग पर पीपल, बरगद, आम, हर्रा, बेहड़ा, जामुन, अर्जुन, खम्हार, आंवला, शिशु, करंज, नीम जैसे पौधों का रोपण शामिल हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी के मुताबिक राम वन गमन पथ के माध्यम से दुनियाभर के सामने जैव विविधता का दर्शन भी होगा।









इन अभ्यारण्यों को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करेगा यह परिपथ





वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि यह परिपथ कोरिया स्थित गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, सूरजपुर स्थित तमोर पिंगला अभ्यारण्य, बलरामपुर के सेमरसोत अभ्यारण्य, जशपुर के बादलखोल अभ्यारण्य, रायगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण्य, मुंगेली के अचानकमार अभ्यारण्य, कवर्धा के भोरमदेव अभ्यारण्य, बलौदाबाजार स्थित बारनवापारा अभ्यारण्य, धमतरी स्थित सीतानदी अभ्यारण्य, गरियाबंद के उदंती अभ्यारण्य, बस्तर जिले में स्थित कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, बीजापुर के इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, पामेड़ और भैरमगढ़ अभ्यारण्यों को भी एक-दूसरे के करीब लाएगा। इनमें से उदंती और सीतानदी अभ्यारण्यों को 2009 से टाइगर रिजर्व घोषित किया जा चुका है।


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