मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,समाज सुधारक और प्रसिद्ध साहित्यकार पंडित सुंदरलाल शर्मा की जयंती (Jayanti of writer Pandit Sundarlal Sharma) पर छत्तीसगढ़ के लिए उनके अमूल्य योगदान को याद करते हुए उन्हें नमन किया है। सीएम बघेल ने कहा है कि पंडित सुंदरलाल शर्मा ने सामाजिक चेतना की आवाज हर घर तक पहुंचाने का अविस्मरणीय काम किया।
पंडित सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में फैले अंधविश्वास,छुआ-छूत,रूढ़िवादिता जैसी कुरीतियों को दूर करने के लिए अथक प्रयास किया। वे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई राष्ट्रीय आंदोलनों से जुड़े और छत्तीसगढ़ में स्वाधीनता आंदोलनों की मजबूती और जनजागरण के लिए भरसक प्रयत्न किया। वे किसानों के अधिकारों की लड़ाई के रूप में प्रसिद्ध कंडेल सत्याग्रह के प्रमुख सूत्रधार थे। सीएम बघेल ने कहा कि पंडित सुदरलाल शर्मा के जीवन मूल्य सदा प्रेरणा देते रहेंगे।
राज्यपाल ने भी पंडित सुंदरलाल शर्मा (Governor Anusuiya Uike) को किया नमन
राज्यपाल अनुसुइया उइके (Governor Anusuiya Uike) ने भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदरलाल शर्मा (Pandit Sundarlal Sharma) की जयंती पर उन्हें नमन किया है। राज्यपाल ने कहा है कि पंडित सुंदर लाल शर्मा ने देश की आजादी के लिए राष्ट्रीय आंदोलन में भागीदारी निभाई। उन्होंने समाज में छुआछुत की भावना दूर करने और अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। इसके साथ ही पं। सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ी में महत्वपूर्ण साहित्य की रचना कर छत्तीसगढ़ी भाषा की अभिवृद्धि में भी अमूल्य योगदान दिया है।
1881 को चन्दसूर में हुआ था उनका जन्म
पंडित सुंदरलाल शर्मा का जन्म 21 दिसंबर 1881 को राजिम के पास महानदी के तट पर स्थित गांव चन्द्रसूर में हुआ था। धमतरी जिले के मगरलोड क्षेत्र अंतर्गत चन्द्रसूर से आने वाले पंडित शर्मा जनजागरण और सामाजिक क्रांति के अग्रदूत माने जाते हैं। आजादी की लड़ाई के लिए किए गए उनके प्रयास पर आज भी लोगों को गर्व है, लेकिन लोगों को मलाल इस बात का है कि छत्तीसगढ़ के इस माटी पुत्र का गांव आज भी विकास की दौड़ में पिछड़ा हुआ है।
1920 में धमतरी किया था आंदोलन
बता दें कि गांधी जी की राह पर चलने वाले पंडित सुंदरलाल शर्मा को छत्तीसगढ़ का गांधी भी कहा जाता है। 1920 में धमतरी इलाके के किसानों ने अंग्रेजों की ओर से वसूले जा रहे लगान के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ किसानों के इस हल्लाबोल की जानकारी देने पंडित सुंदरलाल शर्मा कोलकाता गए। उन्होंने महात्मा गांधी से मुलाकात कर किसानों के आंदोलन की जानकारी दी और आग्रह किया कि वे भी इस आंदोलन में पहुंचकर अपना समर्थन दें।
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गांधीजी पंडित सुंदरलाल शर्मा के आग्रह पर पहली बार छत्तीसगढ़ पहुंचे। इधर गांधी जी के आगमन की खबर सुनते ही अंग्रेजी प्रशासन ने लगान वाला फैसला वापस ले लिया। इसके बाद गांधीजी ने कंडेल पहुंचकर इस आंदोलन को समाप्त कराया था। इस आंदोलन के बाद से ही पंडित सुंदरलाल शर्मा और गांधीजी और करीब आए। बापू के बताए मार्ग पर चलते हुए उन्होंने कई सामाजिक कार्य की अगुवाई की। इनमें छुआछूत के खिलाफ चलाए जा रहा उनका अभियान प्रमुख है।
सुंदरलाल शर्मा को गांधी ने गुरु कहकर दिया था सम्मान
सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ में छुआछूत के खिलाफ जनजागरण छेड़ रखा था। समाज में अछूत माने जाने वाले लोगों को मंदिर में प्रवेश कराने जैसे कई आयोजन उस दौर में उन्होंने रायपुर और राजिम के आसपास किए थे। 1933 में जब गांधी जी दोबारा छत्तीसगढ़ आए तो उन्होंने पंडित सुंदरलाल शर्मा की ओर किए काम की तारीफ करते हुए छुआछूत के खिलाफ उनके काम को खुद के लिए भी प्रेरणा बताकर उन्हें अपना गुरु कहकर संबोधित किया था।