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अटल बिहारी वाजपेयी की 96वीं जयंती आज, कुछ ऐसे थे छत्तीसगढ़ के निर्माता 'अटल'


देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (Former PM Atal Bihari Vajpayee) की आज 96वीं जयंती है, जिनके जयंती पर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। वह तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे। साल 1996 में वे पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने थे, हालांकि इस दौरान उनका कार्यकाल काफी छोटा यानी 13 दिनों का था। इसके बाद उनका दूसरा कार्यकाल 13 महीने का था और फिर 1999 में जब वह पीएम बने तो उन्होंने 2004 तक पांच साल का अपना कार्यकाल किया। अटल बिहारी वाजपेयी राजनेता बनने से पहले एक पत्रकार थे।






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अटलजी को 'छत्तीसगढ़ का जनक' कहा जाता है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन शुचिता कभी नहीं खोई। उनका व्यवहार इतना सहज और सरल था कि पक्ष ही नहीं विपक्ष भी उनका हमेशा सम्मान करता था। राजनीति उनका कर्म था, तो अटलजी का हृदय कविताओं से भरा था।





कवि भी थे अटल





बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं। टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं। गीत नया गाता हूं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की यह मशहूर कविता आज भी लोगों की जुबां पर रहती है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी न होते, तो शायद छत्तीसगढ़ भी नहीं होता।









अटल जी (Former PM Atal Bihari Vajpayee) देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में से एक थे। उनकी विलक्षण वाकपटुता के लिए आज भी उन्हें याद किया जाता है। अटलजी ने किसी उग्र आंदोलन या प्रदर्शन के बिना ही शांतिपूर्ण ढंग से छत्तीसगढ़ को राज्य का दर्जा दिलवाया। उनकी सोच थी कि छत्तीसगढ़ को देश में अलग पहचान मिले और राज्य विकास के नित नए सोपानों पर चढ़े, खूब तरक्की करे और बुलंदियों को छुए।









अटल बिहारी वाजपेयी ने दिलाया था छत्तीसगढ़ को राज्य का दर्जा





पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को छत्तीसगढ़ को राज्य का दर्जा दिलाने वाले प्रधानमंत्री के तौर पर भी याद किया जाता है। उन्होंने अपने वादे के मुताबिक देश में तीन नए राज्य का गठन कराया, इनमें छत्तीसगढ़ भी शामिल था। वे अक्सर कहा करते थे कि देश के इस भू-भाग से उनका खास लगाव है। उनकी सरकार में छत्तीसगढ़ से तीन सांसद, मंत्री बनाए गए थे। इनमें रमेश बैस, दिलीप सिंह जूदेव और रमन सिंह शामिल थे।









1999 के इस चुनाव में छत्तीसगढ़ में अटल लहर चली थी। जिसमें विद्याचरण शुक्ल और वोरा जैसे कांग्रेस के दिग्गज नेता भी चुनाव हार गए थे। ठीक एक साल बाद अटल सरकार ने अपने वादे को पूरा करते हुए 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ नए राज्य का गठन करा दिया। अटल जी की इस सरकार के बाद केन्द्र में 4 सरकारें बन चुकी हैं। इनमें दो डॉ। मनमोहन सिंह की सरकार और दो बार नरेंद्र मोदी की, लेकिन इसके बाद किसी भी सरकार के मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ को इतना स्थान नहीं मिला। इन सरकारों में छत्तीसगढ़ से एक से ज्यादा सांसद मंत्री नहीं बन सका।









छत्तीसगढ़ राज्य गठन की बात जब-जब निकलेगी, तब-तब अटल बिहारी वाजपेयी का नाम छत्तीसगढ़वासी गर्व से लेंगे। इसके अलावा 20 सितंबर 1998 को बिलासपुर को रेलवे जोन (SECR) का मुख्यालय बनवाने में भी उनका बड़ा योगदान है। बता दें कि उस दौर में ये बड़ा स्थानीय मुद्दा था। इसके अलावा और भी बड़े विकास की नींव अटल जी ने छत्तीसगढ़ में रखी, जिन पर आज पूरा प्रदेश नाज करता है। मसलन जनवरी 2002 में सीपत में 1980 मेगावाट क्षमता के सुपर थर्मल बिजली घर की बुनियाद रखी गई थी।





अटल बिहारी वाजपेयी ने शुरू की थीं कई बड़ी योजनाएं





देश को कई बड़ी योजनाएं अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में दी। देश के लाखों गांवों, करोड़ों गरीबों और मेहनतकश किसानों की बेहतरी के लिए कई योजनाओं की उन्होंने शुरुआत की, जिनमें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना भी शामिल हैं।









2004 में छत्तीसगढ़ आए थे अटल





वाजपेयी भारत के पहले ऐसे पीएम रहे हैं, जिन्होंने साल 1977-79 के दौरान विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में हिन्दी में भाषण देकर हमारी राजभाषा और राष्ट्रभाषा का गौरव बढ़ाया। साल 2004 में राजधानी रायपुर में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्योत्सव में वे मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ आए थे। 'भारत रत्न' अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2000 में छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड का निर्माण कर स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय की रचना की थी।









वहीं राजधानी में एयरपोर्ट के एक्सटेंशन भवन, स्वामी विवेकानंद के रायपुर प्रवास को यादगार बनाए रखने बूढ़ातालाब में स्वामीजी की प्रतिमा का अनावरण भी किया गया था। रायपुर में एम्स बनाने का फैसला भी उनकी सरकार ने ही लिया था। इस तरह कवि हृदय सर्वमान्य अटल बिहारी वाजपेयी की छाप छत्तीसगढ़वासियों के दिल पर 'अटल' है।





अटल जी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में लिया भाग





वाजपेयी जी ने पहली बार राजनीति में 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। वहीं 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले जन संघ के नाम से जाना जाता था। वाजपेयी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा में नौ बार और राज्यसभा में दो बार चुने गए जो कि अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। वाजपेयी 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे।









बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ था। उनके पिता कृष्णबिहारी वाजपेयी हिन्दी और ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। ऐसे में काव्य कला उन्हें विरासत में मिली। उन्होंने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था और राष्‍ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया।





'भारत रत्न' से सम्मानित है अटल जी





आजीवन अविवाहित रहे अटलजी को 2015 में सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। उन्हें भारत के प्रति निस्वार्थ समर्पण और समाज की सेवा के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया। 1994 में उन्हें भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। इनके अलावा भी उन्हें कई पुरस्कार, सम्मान और उपाधियों से नवाजा गया।









अटल जी नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी जी का किडनी में संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया।






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