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कोरोना से ठीक हुए 50 प्रतिशत लोगों को आंखों की रोशनी और मौत का खतरा, जानिए क्या हैं कारण


कोरोना ने सभी वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है। वहीं इस वायरस की वजह से कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। जबकि कई लोग इस वायरस को मात देकर ठीक भी हो चुके हैं, लेकिन इसी बीच कोरोना से संबंधित (infection chances after covid recovery) एक डराने वाली खबर सामने आई है।





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दरअसल कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टरों को मरीजों में एक दुर्लभ और गंभीर संक्रमण (infection chances after covid recovery) के मामले दिखाई दे रहे हैं। दिल्ली के एक अस्पताल के ईएनटी सर्जन के मुताबिक 15 दिन के अंदर कोरोना के 12 से ज्यादा मामलों में Mucormycosis fungus पाया है। डॉक्टर के मुताबिक इस बीमारी से आंखों की रोशनी जाने की 50 प्रतिशत संभावना (50 percent people recovering from corona risk of eye light and death) है। इसके साथ ही नाक और जबड़े की हड्डी हट जाती है। जबकि मृत्यु दर 50 प्रतिशत हो जाती है।





यह हैं वायरस का लक्षण





दिल्ली के डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें बीते कुछ दिनों में करीब 10 मरीजों की रिसेक्शन प्रक्रिया करनी पड़ी। इस दौरान 50 प्रतिशत लोगों ने आंखों की रोशनी स्थाई रूप से खो दी। अस्पताल के मुताबिक पांच मरीजों की मौत हो गई। इस बीमारी के कुछ लक्षण हैं- चेहरे का सुन्न होना, नाक में ब्लॉकेज या आंखों में सूजन और दर्द।





कोरोना से ठीक हुए मरीजों पर करता है अटैक





एक्सपर्ट के मुताबिक कोरोना मरीजों में इस संक्रमण के होने की संभावना ज्यादा होती है। उनके मुताबिक यह संक्रमण पौधे, जानवर और हवा में मौजूद है। ये संक्रमण कोरोना से ठीक हुए मरीजों पर हमला कर रहा है, क्योंकि उन्हें स्टेरॉयड दिया गया हैं।





डॉक्टर ने किया दावा





दिल्ली के एक डॉक्टर ने कहा कि 'ये एक वायरस है। ये कमजोर इम्युनिटी सिस्टम वाले लोगों में प्रवेश करता है। यह शरीर के उस हिस्से को नुकसान पहुंचाता है जहां से प्रवेश करता है। कोरोना से ठीक होने वाले लोगों को स्टेरॉयड की एक खुराक दी जाती है ताकि साइटोकिन स्टॉर्म को कम किया जा सके। इससे घातक म्यूकोर्मोसिस को शरीर में प्रवेश करने की अनुमति मिलती है।'





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डॉक्टर ने आगे कहा कि 'यह म्यूकोर्मोसिस को नाक और आंखों से मस्तिष्क तक पहुंचने की अनुमति देता है। अगर इसे डिटेक्ट नहीं किया गया तो कुछ ही दिनों में 50 फीसदी से ज्यादा मामलों में मौत का कारण बन सकता है। इसके अलावा आंखें, जबड़े की हड्डियां को नुकसान पहुंचता है।'


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