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सरगुजा संभाग में फिर एक 13 साल की नाबालिग हुई दुष्कर्म की शिकार, 2 लड़कों ने अपहरण कर किया गैंगरेप


सरगुजा संभाग (Surguja Division) में एक बार फिर शर्मनाक घटना सामने आई है। जानकारी के मुताबिक सरगुजा जिले के सीतापुर में एक 13 साल की नाबालिग का किडनैप (Minor's kidnap) कर 2 नाबालिगों आरोपियों ने गैंगरेप की वारदात (Gang rape incident) को अंजाम दिया है।





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वहीं गैंगरेप के बाद दोनों ही आरोपियों ने वीडियो बनाकर पीड़िता को उसे वायरल करने की धमकी भी दी। फिलहाल पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दोनों नाबालिगों को अभिरक्षा में ले लिया है और आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। बता दें कि सरगुजा संभाग महिलाओं और बच्चियों के लिए अब सुरक्षित (Surguja division is no longer safe for women and girls) नहीं रहा। यहां लगातार दुष्कर्म की घटनाएं सामने आ रही हैं।









पुलिस के मुताबिक 13 साल की नाबालिग अपने घर से किराना दुकान सामान खरीदने गई थी। वहां से लौटते समय गांव के ही 2 नाबालिगों ने उसे घेर लिया और उसका अपहरण कर गांव में बने स्कूल परिसर में ले गए। जहां दोनों आरोपियों ने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि दोनों आरोपियों ने उसका वीडियो बनाकर उसे वायरल करने की धमकी भी दी। आरोपियों ने पीड़िता से कहा कि अगर वह किसी को इस बारे में बताती है, तो उसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल कर दिया जाएगा।





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आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू





पीड़िता ने बताया कि उसने किसी तरह वहां से भागकर अपनी जान बचाई और घर पहुंची। पीड़िता ने इसके संबंध में अपने परिजनों को जानकारी दी। परिजनों ने इसकी रिपोर्ट सीतापुर थाने में दर्ज कराई है। रिपोर्ट पर तत्काल कार्रवाई करते हुए सीतापुर पुलिस ने नाबालिग के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम देने वाले दोनों नाबालिग लड़कों को हिरासत में लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है।









पुलिस और कोर्ट तक नहीं पहुंच पाते कई केस





छत्तीसगढ़ में लगातार दुष्कर्म की वारदात बढ़ती जा रही है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक भारत में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा और रेप के मामले बहुत बार पुलिस और कोर्ट तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। कोर्ट में मामला जाने के बाद भी पीड़िताओं को इंसाफ के लिए लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ती है।NCRB के आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 के अंत तक छत्तीसगढ़ में महिलाओं के उत्पीड़न से संबंधित 23 हजार 317 केस लंबित थे।


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