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रोजगार सृजन के ठोस प्रयासों से छत्तीसगढ़ सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में शामिल : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के देश के सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवा स्थान प्राप्त करने पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा रोजगार सृजन के क्षेत्र में किए गए ठोस प्रयासों का यह सकारात्मक परिणाम है। उन्होंने कहा है कि आज हमने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है। यह सर्वेक्षण भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा किया गया है।

हमारी सरकार ने प्रदेश में युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। खासतौर पर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया है। जिसके कारण हमारा छत्तीसगढ़ अब बड़े राज्यों को भी पीछे छोड़ चुका है, जो कम बेरोजगारी दर के मामले में राज्य की बड़ी सफलता को दर्शाता है। निश्चित ही यह प्रदेश के लिए गौरवान्वित करने वाला पल है। समस्त छत्तीसगढ़वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।


देश में सबसे कम बेरोज़गारी दर वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ ने पाया स्थान, उत्तर प्रदेश को पीछे छोड़ा

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 रायपुर :   छत्तीसगढ़ राज्य ने रोजगार सृजन के मामले में देश भर में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में जारी Periodic Labour Force Survey (PLFS) की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है। राज्य में चल रहे रोजगार सृजन और विकास प्रयासों के कारण छत्तीसगढ़ अब उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को भी पीछे छोड़ चुका है, जो बेरोजगारी दर के मामले में राज्य की बड़ी सफलता को दर्शाता है।


ग़ौरतलब है कि ⁠राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा पीएलएफएस के लिए नमूना सर्वेक्षण और डेटा संग्रह का कार्य किया जाता है। जो कि भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

रोजगार सृजन में छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण प्रगति

    मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में, छत्तीसगढ़ सरकार ने बेरोजगारी को कम करने और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। सरकार ने हाल ही में पुलिस, स्वास्थ्य, पीएचई (सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी) और पंचायत विभागों में 1,068 पदों पर भर्ती को मंजूरी दी है। इन भर्तियों से राज्य में युवाओं को सरकारी नौकरियों में अवसर मिलेंगे, जिससे राज्य की विभिन्न योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने में भी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री साय ने इस बात पर जोर दिया है कि यह पहल राज्य के विकास को गति देने के साथ-साथ युवाओं के सपनों को नई उड़ान देगी।


    छत्तीसगढ़ सरकार ने खासतौर पर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करने पर ध्यान केंद्रित किया है। सरकार ने स्वरोजगार और कौशल विकास को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, ताकि गांव के युवाओं को अपने ही इलाके में काम करने का अवसर मिल सके और उन्हें महानगरों की ओर पलायन न करना पड़े।

PLFS रिपोर्ट में अन्य राज्यों की स्थिति

Periodic Labour Force Survey (PLFS) की रिपोर्ट ने देश भर के विभिन्न राज्यों में बेरोजगारी के आंकड़ों का भी खुलासा किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, केरल में बेरोजगारी दर सबसे अधिक रही, जहां 15-29 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं में बेरोजगारी दर 29.9% दर्ज की गई। केरल में महिलाओं में बेरोजगारी दर 47.1% और पुरुषों में 19.3% रही। इसके अलावा, लक्षद्वीप में बेरोजगारी दर सबसे अधिक 36.2% दर्ज की गई, जिसके बाद अंडमान और निकोबार द्वीप समूहमें यह दर 33.6% रही।

    इसके विपरीत, छत्तीसगढ़ ने देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में पांचवां स्थान प्राप्त किया है, जो राज्य सरकार की रोजगार सृजन नीतियों की सफलता का प्रतीक है।

शिक्षा और कौशल विकास पर जोर

    छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा और कौशल विकास को रोजगार सृजन के महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में माना है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक कौशल प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास करें, जिससे वे नए उद्योगों में काम करने के लिए तैयार हो सकें। राज्य में कई कौशल विकास केंद्र खोले गए हैं, जहां युवाओं को आधुनिक तकनीकों और कौशलों की शिक्षा दी जा रही है, ताकि वे रोजगार के नए अवसरों का लाभ उठा सकें।

छत्तीसगढ़ का विकास और प्रधानमंत्री मोदी का विज़न

    छत्तीसगढ़ राज्य, जो कि पहले से ही अपने प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, अब रोजगार सृजन और विकास के क्षेत्र में भी देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो रहा है। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को भी साकार कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के जरिए सरकार ने राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जिस प्रकार देश के हर कोने में विकास और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है, छत्तीसगढ़ सरकार उसी दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस दिशा में प्रदेश के प्रत्येक गांव में रोजगार सृजन की योजनाओं का विस्तार करने का संकल्प लिया है, ताकि राज्य का हर युवा आत्मनिर्भर बन सके और राज्य का विकास तेज़ी से हो सके।

आनंद प्रकाश सोलंकी, सहायक संचालक, जनसंपर्क

Nsso 2023 : बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च तिमाही में घटकर 6.8 फीसदी पर

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 नई दिल्ली । देश में बेरोजगारी दर में गिरावट आई है। शहरी क्षेत्रों में 15 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में बेरोजगारी दर इस वर्ष जनवरी-मार्च तिमाही में घटकर 6.8 फीसदी रही। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 8.2 फीसदी थी। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन कार्यालय (एनएसएसओ) ने जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी है।


सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक बयान में बताया कि इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में बेरोजगारी दर घटकर 6.8 फीसदी रही। एक साल पहले इसी तिमाही में यह 8.2 फीसदी थी। एनएसएसओ के मुताबिक बेरोजगारी दर पिछले साल जनवरी-मार्च तिमाही में सबसे ज्यादा रही थी। इसका मुख्य वजह देश में कोरोना संबंधित बाधाएं थी।

एनएसएसओ सर्वेक्षण के मुताबिक बेरोजगारी दर पिछले साल जुलाई-सितंबर और अक्टूबर-दिसंबर में 7.2 फीसदी थी। वहीं अप्रैल-जून, 2022 में यह 7.6 फीसदी थी। निश्चित अवधि पर होने वाले 18वें श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के आंकड़ों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में 15 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में बेरोजगारी दर अप्रैल-जून, 2022 में 7.6 फीसदी थी।

आंकड़ों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में महिलाओं (15 साल और उससे अधिक) में बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च, 2023 में घटकर 9.2 फीसदी पर आ गई है, जो कि एक साल पहले इसी तिमाही में 10.1 फीसदी थी। वहीं, पुरुषों में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर इस साल पहली तिमाही में कम होकर छह फीसदी रही, जो एक साल पहले 2022 की जनवरी-मार्च तिमाही में 7.7 फीसदी थी।

 

CMIE रिपोर्ट: छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 0.6 प्रतिशत पर बरकरार, देश में बढ़कर 7.8 प्रतिशत

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देश में सबसे कम बेरोजगारी दर के मामले में छत्तीसगढ़ शीर्ष से दूसरे स्थान पर है। बीते दिनों सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2022 में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 0.6 फीसदी दर्ज किया गया है, जो राज्य के इतिहास में अब तक के अपने न्यूनतम स्तर पर है। जबकि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर का आंकड़ा 7.8 फीसदी है। राष्ट्रीय आंकड़ों को देखें तो शहरी क्षेत्रों में 9.2 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों का आंकड़ा 7.2 फीसदी है। इधर, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य के लिए बनाई गई नीतियों की वजह से छत्तीसगढ़ ने यह उपलब्धि हासिल की है। यहां राज्य में नवाचार हुए, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हुए और हर हाथ को काम मिला। 

CMIE द्वारा 1 मई 2022 को बेरोजगारी दर के आंकड़े जारी किए गए। इन आंकड़ों के मुताबिक सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में जहां 0.2 फीसदी के साथ हिमाचल प्रदेश शीर्ष पर है। वहीं 0.6 फीसदी के साथ छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर है। असम 1.2 प्रतिशत बेरोजगारी दर के साथ तीसरे स्थान पर है। वहीं ओडिशा में 1.5 प्रतिशत, तो गुजरात और मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 1.6 प्रतिशत है। दूसरी ओर सर्वाधिक बेरोजगारी दर के मामले में हरियाणा शीर्ष पर है, जहां 34.5 फीसदी बेरोजगारी दर दर्ज की गई है। बिहार में 21.1 फीसदी, जम्मू-कश्मीर में 15.6 फीसदी और गोवा में 15.5 फीसदी बेरोजगारी दर बताई गई है। 

इसलिए छत्तीसगढ़ में रोजगार 

अधिकारियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ काम करना शुरू किया। महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के साथ गांवों की आर्थिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में नवाचार किए गए। इसमें सुराजी गांव योजना के अंतर्गत नरवा-गरूवा-घुरवा-बाड़ी कार्यक्रम ने महती भूमिका निभाई तो दूसरी ओर गोधन न्याय योजना के साथ गौठानों को रुरल इंडस्ट्रियल पार्क के तौर पर विकसित किया गया, जिससे गोबर बेचने से लेकर गोबर के उत्पाद बनाकर ग्रामीणों को रोजगार मिला। 

लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी

रोजगार के नए अवसर सृजित हुए। 7 से बढ़ाकर 65 प्रकार के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इन लघु वनोपजों के प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन किया गया। इससे वनांचल में भी लोगों को रोजगार मिला। राजीव गांधी किसान न्याय योजना से किसानों की आर्थिक समृद्धि की दिशा में प्रयास हुए तो वहीं इस योजना के बाद उत्साहित किसानों की दिलचस्पी कृषि की ओर बढ़ी। राज्य में खेती का रकबा और उत्पादन बढ़ा। 

विभिन्न क्षेत्रों में सब्सिडी के प्रावधान

राजीव गांधी ग्रामीण कृषि भूमिहीन मजदूर योजना के तहत पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े लोगों को आर्थिक सहायता मिली। राज्य में नई उद्योग नीति लागू की गई, जिसमें अनेक वर्गों और विभिन्न क्षेत्रों में सब्सिडी के प्रावधान किए गए। इससे उद्मिता विकास को गति मिली। 

कोरोना की लहर में भी लोगों को मिला काम 

गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना के संकट काल में पूरी दुनिया आर्थिक मंदी से प्रभावित हुई। देश में भी अर्थव्यवस्था ढह गई, लेकिन कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान भी आर्थिक मंदी से छत्तीसगढ़ अछूता रहा। छत्तीसगढ़ में कोरोना के दौरान में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम जारी रहा, जिससे लोगों को नियमित तौर पर काम मिलता रहा। महामारी अधिनियम के निर्धारित मापदंडों के साथ औद्योगिक इकाई में भी काम चलता रहा। सभी सावधानियों के साथ आवश्यकतानुसार बाजार भी खुले। 

रोजगार मिशन से नई उम्मीद 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ में रोजगार मिशन की शुरुआत की गई है। इसके तहत अगले पांच साल में राज्य में 12 से 15 लाख नए रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा गया है। रोजगार मिशन राज्य के युवाओं के लिए नई उम्मीद के तौर पर है। साथ ही यह भी उम्मीद है कि रोजगार मिशन छत्तीसगढ़ के विकास की नई इबारत लिखेगा। 

CMIE रिपोर्ट: छत्तीसगढ़ में अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर पर बेरोजगारी दर

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छत्तीसगढ़ में उद्यम, रोजगार और अर्थव्यवस्था की स्थिति अब और ज्यादा बेहतर होने लगी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी CMIE की ओर से जारी किए गए बेरोजगारी के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक मार्च महीने में छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर 0.6 प्रतिशत पर पहुंच गई। ये देशभर में सबसे कम बेरोजगारी दर है। इसका ये मतलब है कि छत्तीसगढ़ में काम करने की उम्र वाले 100 लोगों में से 99.4 लोगों के पास कोई न कोई रोजगार मौजूद है। जबकि मार्च में ही देश में बेरोजगारी दर 7.5 प्रतिशत रही।

सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ देश में अव्वल है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में एक बार फिर विकास के छत्तीसगढ़ मॉडल ने पूरे देश में अपनी सफलता का परचम बुलंद कर दिया है। आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ 0.6 प्रतिशत के साथ देश में सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में अव्वल है। राज्य सरकार के नीतिगत फैसले और बेहतर कार्यप्रबंधन से लगातार युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं, जिससे राज्य की बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट आ रही है। 

 CMIE ने जारी किए आंकड़े

भारतीय अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले थिंक टैंक CMIE ने मार्च की मासिक रिपोर्ट 2 अप्रैल को जारी की है। इसके मुताबिक देश में बेरोजगारी दर 7.5% रही है। नया सूचकांक बताता है कि गांवों की अपेक्षा शहरों में बेरोजगारी अधिक है। मार्च महीने में देश की शहरी बेरोजगारी दर 8.5% रही। वहीं ग्रामीण बेरोजगारी दर 7.1% आंकी गई। नए आंकड़ों ने छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर को 0.6% बताया है।

हरियाणा में सबसे ज्यादा बेरोजगारी

CMIE के आंकड़ों के मुताबिक सर्वाधिक बेरोजगारी दर हरियाणा में 26.7 प्रतिशत, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में 25-25 प्रतिशत, झारखंड में 14.5 प्रतिशत, बिहार में 14.4 प्रतिशत, त्रिपुरा में 14.1प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 12.1 प्रतिशत रही। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने मार्च के दूसरे सप्ताह में बेरोजगारी के जो अपडेट आंकड़े जारी किए थे, जिसमें छत्तीसगढ़ की बेरोजगारी दर 1.7% बताया था। यानी प्रदेश के प्रत्येक 100 लोगों में से बमुश्किल दो लोग ही बेरोजगार थे। मार्च माह के अंतिम आंकड़ों में यह दर और भी गिर गई है।  

ताजा आंकड़ों को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि 'अब छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर सबसे कम है। 0.6% बेरोजगारी दर के साथ छत्तीसगढ़ देश में सबसे कम बेरोजगारी दल वाला राज्य बन गया है। वहीं राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 7.6% है। हमारे हर प्रयास में हमारी जनता भागीदार है, सबको बधाई।'

सरकार चला रही ये योजनाएं

अधिकारियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ ने समावेशी विकास का लक्ष्य निर्धारित करते हुए तीन साल पहले महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के अनुरूप नया मॉडल अपनाया था, जिसके तहत गांवों और शहरों के बीच आर्थिक परस्परता बढ़ाने पर जोर दिया गया है। इसी मॉडल के अंतर्गत गांवों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सुराजी गांव योजना, नरवा-गरवा-घुरवा-बारी कार्यक्रम, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना, रूरल इंडस्ट्रीयल पार्कों की स्थापना, लघु वनोपजों के संग्रहण  और वैल्यू एडीशन, उद्यमिता विकास जैसी योजनाओं और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन किया जा रहा है। 

इन योजनाओं की है अहम भूमिका

प्रदेश सरकार के द्वारा चलाई जा रही इन योजनाओं से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए-नए अवसर सृजित हो रहे हैं। इन योजनाओं से राज्य के विकास को गति मिल रही है, जिससे प्रदेश में बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट आ रही है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान भी देशव्यापी आर्थिक मंदी से छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था अछूती रही। तब भी छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर पूरी तरह नियंत्रित रही। नए आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ 0.6 प्रतिशत के साथ सबसे कम बेरोजगारी वाले राज्यों में पहले स्थान पर है। छत्तीसगढ़ में आने वाले 05 सालों में 12 से 15 लाख रोजगार के नए अवसरों का निर्माण करने के लिए रोजगार मिशन का संचालन किया जा रहा है। नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार देश में बेरोजगारी दर 7.5 प्रतिशत है। शहरी बेरोजगारी दर 8.5 प्रतिशत और ग्रामीण बेरोजगारी 7.1 प्रतिशत है।

राज्य में पहले स्थान पर जिला कोषालय  

बलौदाबाजार कलेक्टर डोमन सिंह के निर्देश और मार्गदर्शन में वित्तीय वर्ष 2021-22 के मार्च का लेखा महालेखाकार कार्यालय में छत्तीसगढ़ राज्य में सर्वप्रथम प्रस्तुत हुआ है। ये उपलब्धि जिलें को लगातार दूसरी बार प्राप्त हुई है। इस संबंध में कोषालय अधिकारी के के दुबे ने बताया कि जिले में लेखा संकलन और प्रस्तुत करने में जिला कोषालय समेत उपकोषालयों के समस्त अधिकारीयों, कर्मचारियों का महत्वपूर्ण सहयोग और योगदान रहा है। 

कलेक्टर ने दी बधाई

कलेक्टर डोमन सिंह ने इस उपलब्धि पर जिला कोषालय के अधिकारियों-कर्मचारियों समेत पूरी टीम को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस तरह की उपलब्धि  हमेशा मिलजुल कार्य करने से ही प्राप्त होता है। इस तरह की उपलब्धि से हमेशा कार्य कुशलता में दक्षता प्राप्त होती है। इस मौके पर जिला कोषालय अधिकारी केके दुबे, सहायक कोषालय अधिकारी बंजारे, वैष्णव समेत सभी कर्मचारी उपस्थित रहे।

CMI रिपोर्ट: छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी राष्ट्रीय दर से आधी, कई बड़े राज्यों को छोड़ा पीछे

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छत्तीसगढ़ में उद्यम, रोजगार और अर्थव्यवस्था की स्थिति अब और अधिक बेहतर होने लगी है। कोरोना संक्रमण काल के दौरान राज्य सरकार द्वारा किए गए बेहतर प्रबंधन से बाजारों में रौनक और व्यवसाय में तेजी बनी रही। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ राज्य में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय दर की तुलना में मात्र आधी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMI) की जारी रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर 3.8 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ राज्य की स्थिति देश के कई बड़े और विकसित राज्यों से बेहतर है। 


कोरोना संकट काल के दौरान भी कारोबार, व्यवसाय और उद्योग धंधे प्रभावित न हो, इसको लेकर राज्य सरकार द्वारा त्वरित निर्णय और प्रभावी कदम उठाए गए। संक्रमण काल में भी लोगों को निरंतर काम मिलता रहे, इसको लेकर भी राज्य सरकार ने हर संभव प्रबंध किए। गांवों में भी रोजगार मूलक कार्य नियमित रूप संचालित किए गए। वनांचल के इलाकों में लघु वनोपज का संग्रहण, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के काम को भी अनवरत रूप से एहतियात के साथ जारी रखा गया। इससे लोगों को न सिर्फ रोजगार मिला, बल्कि उनकी आमदनी भी प्रभावित नहीं हुई।  

CMI की रिपोर्ट  में खुलासा

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर 3.8 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय दर 7.6 प्रतिशत से आधी है। CMI की आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारी दर आंध्र प्रदेश में 6.5 प्रतिशत, बिहार में 13.6, राजस्थान में 26.7, तामिलनाडू में 6.3, उत्तर प्रदेश में 7, उत्तराखंड में 6.2, दिल्ली में 11.6, गोवा में 12.6, असम में 6.7, हरियाणा में 35.7, जम्मू कश्मीर में 13.6, केरल में 7.8, पंजाब में 6, झारखंड में 16 और पश्चिम बंगाल में 7.4  प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ राज्य की स्थिति इन राज्यों से कई गुना बेहतर है। यह राज्य सरकार की कुशल प्रबंधन का परिणाम है।

कोरोना काल में भी प्रभावित नहीं हुआ काम   

बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य कृषि प्रधान राज्य है। राज्य की 74 फीसद आबादी गांवों में निवास करती है और उसके जीवनयापन का आधार कृषि और वनोपज है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लगातार प्रयास के चलते गांवों की अर्थव्यवस्था को गति मिली है। गांवों में रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। कोरोना संक्रमण काल के दौरान मनरेगा के कामों को बेहतर तरीके से संचालित करने के साथ ही धान खरीदी, लघु वनोपज के संग्रहण, खरीदी और प्रोसेसिंग की व्यवस्था को भी चालू रखा गया।

इन योजनाओं की है अहम भूमिका

इससे गांवों में लोगों को निरंतर रोजगार सुलभ हुआ है। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने भी ग्रामीण अंचल में अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने में मदद की है। सरकार की इन योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों, किसानों, पशुपालकों, मनरेगा के श्रमिकों, वनोपज संग्राहकों को सीधे मदद मुहैया लगभग कराई गई। इसका परिणाम यह रहा कि मार्केट में पैसे का फ्लो और रौनक कायम रही। इससे राज्य में बेरोजगारी दर को नियंत्रित करने में मदद मिली है।

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