कोरोना संकट काल के दौरान भी कारोबार, व्यवसाय और उद्योग धंधे प्रभावित न हो, इसको लेकर राज्य सरकार द्वारा त्वरित निर्णय और प्रभावी कदम उठाए गए। संक्रमण काल में भी लोगों को निरंतर काम मिलता रहे, इसको लेकर भी राज्य सरकार ने हर संभव प्रबंध किए। गांवों में भी रोजगार मूलक कार्य नियमित रूप संचालित किए गए। वनांचल के इलाकों में लघु वनोपज का संग्रहण, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के काम को भी अनवरत रूप से एहतियात के साथ जारी रखा गया। इससे लोगों को न सिर्फ रोजगार मिला, बल्कि उनकी आमदनी भी प्रभावित नहीं हुई।
CMI की रिपोर्ट में खुलासा
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर 3.8 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो राष्ट्रीय दर 7.6 प्रतिशत से आधी है। CMI की आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारी दर आंध्र प्रदेश में 6.5 प्रतिशत, बिहार में 13.6, राजस्थान में 26.7, तामिलनाडू में 6.3, उत्तर प्रदेश में 7, उत्तराखंड में 6.2, दिल्ली में 11.6, गोवा में 12.6, असम में 6.7, हरियाणा में 35.7, जम्मू कश्मीर में 13.6, केरल में 7.8, पंजाब में 6, झारखंड में 16 और पश्चिम बंगाल में 7.4 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ राज्य की स्थिति इन राज्यों से कई गुना बेहतर है। यह राज्य सरकार की कुशल प्रबंधन का परिणाम है।
कोरोना काल में भी प्रभावित नहीं हुआ काम
बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य कृषि प्रधान राज्य है। राज्य की 74 फीसद आबादी गांवों में निवास करती है और उसके जीवनयापन का आधार कृषि और वनोपज है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लगातार प्रयास के चलते गांवों की अर्थव्यवस्था को गति मिली है। गांवों में रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। कोरोना संक्रमण काल के दौरान मनरेगा के कामों को बेहतर तरीके से संचालित करने के साथ ही धान खरीदी, लघु वनोपज के संग्रहण, खरीदी और प्रोसेसिंग की व्यवस्था को भी चालू रखा गया।
इन योजनाओं की है अहम भूमिका
इससे गांवों में लोगों को निरंतर रोजगार सुलभ हुआ है। छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना ने भी ग्रामीण अंचल में अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने में मदद की है। सरकार की इन योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों, किसानों, पशुपालकों, मनरेगा के श्रमिकों, वनोपज संग्राहकों को सीधे मदद मुहैया लगभग कराई गई। इसका परिणाम यह रहा कि मार्केट में पैसे का फ्लो और रौनक कायम रही। इससे राज्य में बेरोजगारी दर को नियंत्रित करने में मदद मिली है।