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मनरेगा से बने डबरी बदल रही किसानों की जिंदगी

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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना के तहत हर हाथ को काम प्रदान कर ग्रामीणों की जिंदगी सतत बदल रही है। मनरेगा से जुड़कर ग्रामीणों को जो आर्थिक संसाधन प्राप्त हुए हैं, उनसे  उनकी आर्थिक स्थिति में में काफी वृद्धि हुई हैं। गांव-गांव में मनरेगा से ज्यादा से ज्यादा हितग्राहीमूलक कार्य शुरू किए जा रहे हैं। इससे हितग्राहियों को लंबे समय तक फायदा देने वाले संसाधन के साथ ही स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को सीधे रोजगार मिल रहा है। मनरेगा हितग्राही  के साथ श्रमिकों को भी आर्थिक संबल दे रहा है।

जिले के दूरस्थ अंचल ग्राम पंचायत कासांबेल के निवासी लघु किसान अयोध्या राम और उसका परिवार डबरी निर्माण से नियमित रोजगार पाकर आत्मनिर्भर हो गए। अयोध्या राम जिसका परिवार इस योजना के तहत पंजीकृत है। रोजगार गारंटी योजना में जुड़कर शुरू से काम करती रही है, लेकिन जब उन्होंने यह जाना कि उनकी अपने भूमि पर डबरी का निर्माण हो सकता है तो उनके लिए तरक्की की नई राह खुल गई। मनरेगा योजना के तहत डबरी निर्माण कर वे खेती किसानी के साथ ही मछली पालन और साग-सब्जियों का उत्पादन कर सफलता पूर्वक जीवन यापन कर आमदनी प्राप्त कर रहे हैं।

हितग्राही अयोध्या राम ने बताया कि उनके पास लगभग 4-5 एकड़ कृषि योग्य भूमि थी, जिसमें वे खेती कर अपने 09 सदस्यीय परिवार का जीयन यापन करते थे। उनके जीवन निर्वाह का मुख्य साधन खेती और मजदूरी ही था। सिंचाई साधन न होने के कारण वे धान की खेती के बाद दोहरी फसल या सब्जी का उत्पादन नहीं कर पाते थे। इससे उन्हें अत्याधिक आर्थिक नुकसान होता था। उनके मन में हमेशा कृषि के माध्यम से ही आगे बढ़ने की इच्छा थी। इसके लिए वे गांव के सरपंच सचिव से शासन की योजनाओं के बारे में जानकारी ली। 

साग-सब्जी का भी उत्पादन

उन्होंने अयोध्या को बताया कि मनरेगा योजना के तहत खेत में डबरी निर्माण कर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें मनरेगा योजना के तहत डबरी निर्माण के काम के लिए प्रोत्साहित किया और उनके खेत में डबरी निर्माण के लिए 2 लाख 134 हजार रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई। इसके बाद अयोध्या के खेत में डबरी निर्माण हो जाने से बारिश के पानी को एकत्र कर उन्होंने अपने खेतों के सिंचाई के लिए पानी का उपयोग किया जाने लगा। अब उन्हें सिंचाई के लिए बरसात के पानी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। उन्होंने बताया कि डबरी निर्माण से भू-जल स्तर में भी बढ़ोत्तरी हुई है। साथ ही जल संग्रहण, सिंचाई जैसी अनेक समस्याओं का समाधान हो गया है। अब वे अपने खेत में धान की फसल के बाद मौसमी साग-सब्जी और दाल का भी उत्पादन कर रहे हैं, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हो रहा है। 

3 महीने में सब्जियों के उत्पादन से 25 हजार की आमदनी 

किसान ने बताया कि 3 महीने में सब्जियों के उत्पादन से ही लगभग 25 हजार की आमदनी हुई है। साथ ही उन्होंने अतिरिक्त आमदनी के लिए अपने डबरी में मछली पालन का काम शुरू किया है। उन्होंने अपने डबरी में मत्स्य विभाग से 5 किलो मछली बीज लेकर डाला है, जिससे उन्हें लगभग 60 हजार पालन रूपए का आमदनी होने की संभावना है। इसके अलावा वे डबरी के मेढ़ पर विभिन्न प्रकार के दलहन फसलें अरहर, साग-सब्जी समेत अन्य उत्पादन काम कर रहे हैं। किसान अयोध्या अपने जमीन पर डबरी निर्माण के लिए प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया। इससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार आई है। अब उनका परिवार काफी खुशहाल जीवन यापन व्यतित कर रहा है।

अंबागढ़ के बायोटेक किसान हब परियोजना के किसानों ने सीखा एग्री ड्रोन तकनीक, जानिए क्या है एग्री ड्रोन

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राजनांदगांव जिले के आदिवासी अंचल अंबागढ़ चौकी में डीबीटी बायोटेक किसान हब की स्थापना की गई है, जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान बरौंडा रायपुर द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव के द्वारा संचालित किया जा रहा है। 


किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिये इस योजना के तहत किसानों को उन्नत तकनीकों की जानकारी समय-समय पर दी जा रही है। डीबीटी बायोटेक किसान हब के तहत इन किसानों को हाई टेक खेती के तर्ज पर ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन अम्बागढ़ चौकी विकासखंड के पांच ग्राम सोनसायटोला, मांगाटोला, कौडूटोला, भड्सेना और सेम्हरबन्धा के किसानों के लिए किया गया।

20 मिनट में 1 एकड़ क्षेत्र में छिड़काव 

गौरतलब है कि बीते दिनों राजनांदगांव के सुरगी कृषि विज्ञान केंद्र में एग्री ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया के छिड़काव तकनीक का प्रदर्शन किया गया। राजनांदगांव कृषि विज्ञान केंद्र  के वरिष्ठ वैज्ञानिक बीएस राजपूत और इस परियोजना की प्रभारी  गुंजन झा विषय वस्तु विशेषज्ञ उद्यानिकी ने बताया कि तमिलनाडु की कंपनी गरूड़ा ऐरो स्पेस द्वारा विकसित एग्री ड्रोन तकनीकी के माध्यम से 1 एकड़ क्षेत्र में 20 लीटर पानी का उपयोग कर 20 मिनट में 1 एकड़ क्षेत्र में छिड़काव किया गया। जबकि हस्त चलित स्प्रे पंप से छिड़काव करने पर 1 एकड़ के लिए 400 से 500 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है।

रसायनों का छिड़काव

2 श्रमिक 1 एकड़ क्षेत्र को 1 दिन में छिड़काव करते हैं। एग्री ड्रोन तकनीक द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र के प्रक्षेत्र में लगे धान फसल में नैनो यूरिया के छिड़काव का प्रदर्शन किया गया। यह एग्री ड्रोन बैट्री चलित है इसकी बैटरी बिजली से चार्ज होती है। बैटरी का चार्ज करने में 20 मिनट का समय लगता है। इस ड्रोन की कीमत 6 लाख 50 हजार रूपए है। इस एग्री ड्रोन के द्वारा सभी प्रकार के उर्वरक, कीटनाशक, फफूंद नाशक और रसायनों का छिड़काव किया जा सकता है। 

जिले के 65 किसानों ने लिया भाग 

एग्री ड्रोन का कंपनी द्वारा प्रति एकड़ 400 रूपए किराया निर्धारित किया है। इस एग्री ड्रोन तकनीकी की जिले के कृषकों द्वारा प्रशंसा की गई और भविष्य में इस तकनीक को अपनाने की इच्छा प्रकट की। इस एग्री ड्रोन तकनीकी प्रदर्शन के अवसर पर उप संचालक कृषि जीएस धु्रर्वे, सहायक संचालक उद्यानिकी राजेश शर्मा, कृषि महाविद्यालय राजनांदगांव के वैज्ञानिक डॉ. अविनाश गुप्ता, डॉ. एलके रामटेके,  द्विवेदी प्रसाद चौधरी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर आत्मा राजू साहू सहित जिले के 65 किसानों ने भाग लिया।

बीते साल समर्थन मूल्य में धान बेचने वाले किसानों को नहीं करना पड़ेगा दोबारा पंजीयन

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छत्तीसगढ़ शासन ने खरीफ 2021 में राजीव गांधी किसान न्याय योजना के संबंध में किसानों के पंजीयन में संशोधन निर्देश जारी किया गया है। जिसके मुताबिक बीते साल खरीफ में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले पंजीकृत किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना में पंजीयन नहीं कराना पड़ेगा। इन किसानों की पूर्व में पंजीकृत जानकारी के आधार पर योजना में शामिल किए जाएंगे। बीते साल  1 लाख 95 हजार 714 किसानों ने 256815.8 हेक्टेयर में धान बेचने के लिए पंजीयन कराया था, जिसमें धान बेचने वाले सभी किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत प्रोत्साहन राशि का लाभ प्राप्त हुआ है। इसके अलावा इस साल सोयाबीन, अरहर, मक्का, कोदो, कुटकी और गन्ना उत्पादन लेने वाले किसानों को पंजीयन कराना होगा। 




तभी योजना के तहत 9 हजार रूपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का फायदा मिलेगा। किसान  ने बीते साल जिस खसरे में धान बेचा था, अगर उस खसरे में धान के बदले फसल परिवर्तन करते हैं, तो उसे अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि का फायदा मिलेगा। पंजीयन कराने पर फसल परिवर्तन के तहत सुगंधित धान, जिंक धान, दलहन, तिलहन, कोदो- कुटकी, मक्का, केला, पपीता लेने पर किसान को पंजीयन के बाद  10 हजार रूपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। पौधारोपण करने वाले किसानों को लगातार 3 सालों तक 10 हजार प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि मिलेगी। इसके अलावा संयुक्त खातेदार कृषक का पंजीयन नंबरदार के नाम से किया जाना है। जिसके लिए किसान को स्वघोषणा पत्र दिया जाना अनिवार्य है।

प्रदेश के किसान अब 31 जुलाई 2021 तक करा सकते हैं खरीफ फसलों का बीमा


पात्र किसान

 

सभी श्रेणी के भू-स्वामी और वन पट्टाधारी कृषक योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। संस्थागत भू-धारक, रेगहा, बटाइदार, कृषक अपात्र होंगे।


आवश्यक दस्तावेज 


योजनांतर्गत पंजीयन कराने के लिए ऋण पुस्तिका, बी-1, आधार कार्ड, बैंक पासबुक की फोटोकॉपी के साथ आवेदन प्रपत्र आवश्यक है। आवेदन प्रपत्र संबंधित क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही आवेदन प्रपत्र और अन्य जानकारी वेबसाइट से प्राप्त की जा सकती है।


पंजीयन


किसान 30 सितंबर 2021 तक पंजीयन करा सकते हैं। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से खसरा और फसल का सत्यापन कराने के बाद संबंधित सेवा सहकारी समितियों से समयावधि में पंजीयन कराना होगा। अपंजीकृत किसान की पात्रता नहीं होगी। राजीव गांधी किसान न्याय योजना में चयनित फसलों का उत्पादन लेने वाले किसान नियत तिथि 30 सितंबर से पूर्व पंजीयन कराकर योजनांतर्गत आदान सहायता राशि का लाभ ले सकते हैं। योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।

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