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छत्तीसगढ़ी लघु फिल्म 'गवन के बछिया' की शूटिंग, गौ रक्षा और संस्कृति संरक्षण पर जोर

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 आरंग। स्वयंसेवी सामाजिक संगठन पीपला वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा गौ रक्षा और संस्कृति संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ी लघु फिल्म बनाया जा रहा है। 'गवन के बछिया' टाईटिल से बन रही संदेशपरक इस फिल्म की शूटिंग महासमुंद जिले के कौंदकेरा गांव में हुई है। फिल्म की शूटिंग ग्रामीणों और बच्चों के बीच आकर्षण का केंद्र रहा। बड़ी संख्या में ग्रामीण फिल्म की शूटिंग देखने पहुंचे।


विलुप्त होती छत्तीसगढ़ी संस्कृति और गो वंश को बचाने की दिशा में यह लघु फिल्म मील का पत्थर साबित होगा। फिल्म का निर्देशन ग्राम लाफिनकला के नवाचारी शिक्षक महेन्द्र कुमार पटेल कर रहे हैं। सह-निर्देशन के रूप में योगेश्वर चंद्राकर, मार्गदर्शक हायर सेकंडरी स्कूल तुमगांव के प्राचार्य सुरेंद्र मानिकपुरी व शिक्षक गोवर्धन साहू की अहम भूमिका है। पटकथा वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी आनंदराम पत्रकारश्री ने लिखी है। टाइटल सॉन्ग दुर्ग भिलाई निवासी अंतर्राष्ट्रीय रचनाकार डॉ. कृष्ण कुमार पाटिल का है।


लघु फिल्म में नया रायपुर के यूट्यूबर कलाकार भोज धीवर,मनेश्वर पटेल, महेन्द्र कुमार पटेल, दूजेराम धीवर, सुधा देवदास, नीलम साहू, कोमल लाखोटी, संजय मेश्राम, डिलेश्वर प्रसाद साहू, शिक्षिका द्रौपदी साहू, रंगमंच कलाकार परमानंद साहू, पुरानिक साहू, कुलेश्वर मानिकपुरी आदि विभिन्न रोल में नजर आएंगे। फिल्मांकन की जिम्मेदारी प्रतीक टोंड्रे,टिंकु चेलक व ढालेंद्र बाग संभाल रहे हैं।


यह छत्तीसगढ़ी में गौ सेवा पर संभवतः पहली लघु फिल्म है। इसमें गौ माता की सेवा-सुरक्षा के संदेश के साथ प्राचीन विवाह परंपरा में 'गवन के बछिया' की महत्ता को रेखांकित किया गया है। फिल्म में हास्य विनोद का भरपूर समावेश किया गया है। इसके साथ ही विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुके बैलगाड़ी, ढेरा,झांपी, चन्नी ,बेलन, कंडील, खुमरी, खड़पडी,नोई जैसी ग्रामीण परिवेश से संबंधित सामग्री और भौरा, बांटी, बिल्लस, गिल्ली डंडा आदि परंपरा गत खेल विधाओं को सहेजने पर जोर दिया गया है। फिल्म दर्शकों को ग्रामीण संस्कृति की यादें तरोताजा कराने के साथ ही अपनी संस्कृति को सहेजकर रखने का संदेश देने वाला है।


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