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उपराष्ट्रपति ने "AI Evolution – The Mahakumbh of AI" राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया; भारत में एआई शिक्षा और नवाचार पर जोर

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भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज नई दिल्ली में डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित “AI Evolution – The Mahakumbh of AI” पर आयोजित प्रमुख राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और आउटलुक मैगज़ीन के सहयोग से आयोजित किया गया था।

सम्मेलन में संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) अब केवल भविष्य की अवधारणा नहीं बल्कि वर्तमान की वास्तविकता है। यह स्वास्थ्य निदान, जलवायु मॉडलिंग, शासन, शिक्षा, वित्त और राष्ट्रीय सुरक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है और समाज और व्यक्तियों के जीवन और कार्य करने के तरीके को बदल रही है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी विकास को लेकर निराशावादी होने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कंप्यूटर के आगमन का उदाहरण दिया, जो शुरू में विरोध का सामना कर रहा था, लेकिन बाद में दुनिया को बदल दिया। उन्होंने कहा कि हर तकनीकी उन्नति में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू होते हैं और जिम्मेदारी यह है कि तकनीक का सकारात्मक और रचनात्मक उपयोग कैसे किया जाए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में अग्रणी देशों में उभरा है। उन्होंने चेतावनी दी कि दुनिया तेजी से बदल रही है और भारत को इस दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्होंने इस अवसर पर AI पाठ्यक्रम के शुभारंभ पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता को स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि AI के प्रारंभिक अनुभव से छात्रों को महत्वपूर्ण सोच, समस्या-समाधान कौशल और भविष्य के लिए आवश्यक दक्षताएं विकसित होंगी।


उपराष्ट्रपति ने भारत की जनसांख्यिकीय लाभ को भी उजागर किया और कहा कि लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम उम्र की है। यदि इस जनसांख्यिकीय लाभ का सही उपयोग किया जाए, तो भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता में विश्व का नेतृत्व कर सकता है।

उन्होंने कहा कि Artificial Intelligence भारत की आत्मनिर्भर और विकसित भारत @ 2047 की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने जिम्मेदार और नैतिक AI के महत्व पर जोर दिया और कहा कि कोई भी वैज्ञानिक उन्नति मानवता को नुकसान नहीं पहुंचानी चाहिए। तकनीक को लोगों के जीवन को अधिक खुशहाल, समृद्ध और गरिमापूर्ण बनाने में मदद करनी चाहिए। AI मानव बुद्धि को बढ़ावा दे और सामाजिक कल्याण और सार्वजनिक भलाई को ध्यान में रखते हुए नैतिक सिद्धांतों के अनुसार संचालित हो।

अपने संबोधन के समापन में उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत अपनी प्रतिभा, दृष्टि और मूल्यों के साथ न केवल AI को जिम्मेदारीपूर्वक अपनाएगा बल्कि विश्व को इसकी भविष्यवाणी और दिशा देने में भी मार्गदर्शन करेगा।

सम्मेलन में दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) महेश वर्मा, AICTE के प्रो. टी. जी. सीतारामन, आउटलुक मैगज़ीन के संदीप घोष, साथ ही वैज्ञानिक, शोधकर्ता, शिक्षाविद और छात्र उपस्थित थे।


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