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भारत में फर्जी समाचार से निपटने हेतु IT नियम और फैक्ट-चेक यूनिट की जानकारी: राज्यसभा में मंत्री डॉ. एल. मुरुगन द्वारा दी जानकारी

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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 19(1) के अंतर्गत संरक्षित है। भारत सरकार डिजिटल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर फर्जी, गलत और भ्रामक सूचनाओं की बढ़ती घटनाओं से भी अवगत है।

इस संदर्भ में, सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत 25 फरवरी, 2021 को अधिसूचित किया है।

इन नियमों के भाग-III में समाचार और वर्तमान मामलों के प्रकाशकों द्वारा पालन किए जाने वाले आचार संहिता (Code of Ethics) का उल्लेख है। इसमें केबल टेलीविज़न नेटवर्क अधिनियम, 1995 के अंतर्गत निर्धारित कार्यक्रम संहिता तथा प्रेस काउंसिल अधिनियम, 1978 के तहत निर्धारित पत्रकारिता आचार संहिता का पालन शामिल है।

आचार संहिता के अनुपालन के लिए तीन-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र भी इन नियमों में प्रदान किया गया है।

इसके अलावा, भाग-II के अंतर्गत YouTube और Facebook जैसे मध्यस्थों पर यह दायित्व डाला गया है कि वे ऐसी सूचनाओं के प्रसार को रोकें जो स्पष्ट रूप से गलत, असत्य या भ्रामक हों।

फैक्ट चेक यूनिट (FCU) का गठन प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत नवंबर 2019 में किया गया था, ताकि केंद्र सरकार से संबंधित फर्जी खबरों की जांच की जा सके।

संबंधित मंत्रालयों/विभागों से सूचना की सत्यता की पुष्टि के बाद, FCU अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर सही जानकारी साझा करता है।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत, सरकार भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा तथा सार्वजनिक व्यवस्था के हित में आवश्यक वेबसाइटों, सोशल मीडिया हैंडल और पोस्ट को ब्लॉक करने के आदेश जारी करती है।

सूचना एवं प्रसारण और संसदीय कार्य राज्य मंत्री, डॉ. एल. मुरुगन ने आज राज्यसभा में डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी प्रदान की।

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