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भारत का बैंकिंग क्षेत्र: संकट से मजबूती और स्थिरता की ओर

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भारत में बैंकिंग गतिविधियाँ पिछले दशक में अभूतपूर्व मजबूती के साथ विकसित हुई हैं। घरेलू जमा राशि और क्रेडिट लगभग तीन गुना बढ़कर क्रमशः ₹88.35 लाख करोड़ से ₹231.90 लाख करोड़ और ₹66.91 लाख करोड़ से ₹181.34 लाख करोड़ हो गई हैं। इसी दौरान सकल गैर-निष्पादित संपत्तियाँ (Gross NPAs) 11.46% (2018) से घटकर 2.31% (2025) तक आ गई हैं।

सार्वजनिक क्षेत्रीय बैंक (PSBs) और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (SCBs) की लाभप्रदता:

  • PSBs का शुद्ध लाभ FY 2022-23 में ₹1.05 लाख करोड़ से बढ़कर FY 2024-25 में ₹1.78 लाख करोड़ हो गया।

  • SCBs का शुद्ध लाभ FY 2024-25 में ₹4.01 लाख करोड़ दर्ज किया गया।

बैंकिंग सुधार और नीतिगत पहलें:

  • Asset Quality Review (AQR) 2015: NPAs की पारदर्शी पहचान।

  • 4R Strategy: Recognition, Resolution, Recapitalisation, Reforms।

  • Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) 2016: कर्ज पुनर्प्राप्ति में क्रांति।

  • SARFAESI Act और ऋण वसूली सुधार: पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया मजबूत।

  • PCA Framework और PSB का संलयन: कमजोर बैंकों को मजबूती।

  • RBI Draft Directions 2025: Expected Credit Loss (ECL) मॉडल से जोखिम-आधारित प्रावधान।

मुख्य उपलब्धियाँ:

  • CRAR 12.94% (2015) से बढ़कर 17.36% (2025), CET-1 9.98% से 14.81%।

  • GNPA 11.18% (2018) से घटकर 2.31% (2025), NNPA 5.94% से 0.52%।

  • RoA -0.22% (FY 17-18) से बढ़कर 1.37% (FY 24-25), RoE -2.74% से 14.09%।

  • डिजिटल भुगतान और UPI के माध्यम से वित्तीय समावेशन बढ़ा।

भविष्य की प्राथमिकताएँ:

  • ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जमा संग्रह और क्रेडिट विस्तार।

  • उत्पादक क्षेत्रों में कॉर्पोरेट लेंडिंग और जोखिम प्रबंधन।

  • हरित ऊर्जा और स्थायी विकास के लिए ऋण बढ़ाना।

  • कृषि ऋण, PM MUDRA, PM Vishwakarma, PM Surya Ghar Muft Bijli, PM Vidyalaxmi, KCC जैसी योजनाओं के माध्यम से वित्तीय समावेशन।

  • अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्रों जैसे GIFT City और India International Bullion Exchange में उपस्थिति।

  • ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और फिजिकल शाखाओं का सुधार।

निष्कर्ष:

भारत का बैंकिंग क्षेत्र अब साफ-सुथरी बैलेंस शीट, मजबूत पूंजी और रिकॉर्ड लाभप्रदता के साथ अधिक सक्षम, लचीला और भविष्य के लिए तैयार है। सुधारों, डिजिटल नवाचार और वित्तीय समावेशन के माध्यम से यह क्षेत्र भारत की विकास आकांक्षाओं को वित्तीय स्थिरता और समर्थन प्रदान कर रहा है। भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ते हुए, अपने बैंकों के माध्यम से अगले दशक के विकास को आगे बढ़ा रहा है।

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