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किम्बर्ली प्रक्रिया की अध्यक्षता के लिए भारत का चयन, 1 जनवरी 2026 से संभालेगा नेतृत्व

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नई दिल्ली- किम्बर्ली प्रक्रिया (KP) की आम सभा ने भारत को 1 जनवरी 2026 से किम्बर्ली प्रक्रिया की अध्यक्षता संभालने के लिए चुना है। किम्बर्ली प्रक्रिया एक त्रिपक्षीय पहल है जिसमें सरकारें, अंतरराष्ट्रीय हीरे का उद्योग और नागरिक समाज शामिल हैं। इसका उद्देश्य “संघर्ष हीरों” (Conflict Diamonds) के व्यापार को रोकना है—ये वे हीरे हैं जिनका उपयोग विद्रोही समूह या उनके सहयोगी संघर्षों को वित्तपोषित करने के लिए करते हैं, जो वैध सरकारों को कमजोर करते हैं, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों में परिभाषित है।

भारत 25 दिसंबर 2025 से KP के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण करेगा, इसके बाद नए साल में अध्यक्षता संभालेगा। यह तीसरी बार है जब भारत को किम्बर्ली प्रक्रिया की अध्यक्षता के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि भारत का चयन मोदी सरकार की अंतरराष्ट्रीय व्यापार में ईमानदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता पर वैश्विक विश्वास को दर्शाता है।

किम्बर्ली प्रक्रिया प्रमाणन योजना (KPCS), जिसे एक संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत स्थापित किया गया था, 1 जनवरी 2003 से प्रभावी है और तब से यह संघर्ष हीरों के व्यापार को रोकने का एक प्रभावी तंत्र बन चुकी है। वर्तमान में किम्बर्ली प्रक्रिया के 60 प्रतिभागी हैं, जिसमें यूरोपीय संघ और उसके सदस्य राज्य को एक ही प्रतिभागी के रूप में गिना जाता है। KP प्रतिभागी विश्व के लगभग 99 प्रतिशत कच्चे हीरों के व्यापार को नियंत्रित करते हैं, जिससे यह इस क्षेत्र का सबसे व्यापक अंतरराष्ट्रीय तंत्र बन गया है।

हीरे के निर्माण और व्यापार में एक प्रमुख वैश्विक केंद्र होने के नाते, भारत की अध्यक्षता ऐसे समय में आ रही है जब भू-राजनीति बदल रही है और सतत और जिम्मेदार स्रोतों से हीरों की आपूर्ति पर अधिक जोर दिया जा रहा है। भारत अपने कार्यकाल के दौरान संचालन और अनुपालन को मजबूत करने, डिजिटल प्रमाणन और ट्रेसबिलिटी को बढ़ावा देने, डेटा-आधारित निगरानी के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाने, और संघर्ष-रहित हीरों में उपभोक्ता विश्वास मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

2025 में उपाध्यक्ष और 2026 में अध्यक्ष के रूप में, भारत सभी प्रतिभागियों और पर्यवेक्षकों के साथ मिलकर किम्बर्ली प्रक्रिया में विश्वास को मजबूत करने, नियम-आधारित अनुपालन सुनिश्चित करने और इसकी विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए काम करेगा। इसके साथ ही भारत KP को एक अधिक समावेशी और प्रभावी बहुपक्षीय तंत्र बनाने की दिशा में भी प्रयास करेगा।

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