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उपराष्ट्रपति ने NACIN में सिविल सेवा प्रशिक्षुओं को संबोधित किया, राष्ट्र निर्माण में जिम्मेदारी और तकनीकी दक्षता पर दिया जोर

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भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने आज आंध्र प्रदेश के पलसमुद्रम स्थित नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, इंडायरेक्ट टैक्सेस एंड नारकोटिक्स (NACIN) में विभिन्न सिविल सेवाओं के अधिकारी प्रशिक्षुओं को संबोधित किया।

उपराष्ट्रपति ने 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पलसमुद्रम में निर्मित नए NACIN परिसर के उद्घाटन को याद करते हुए कहा कि NACIN अब भारत के कस्टम्स और GST प्रशासन के क्षमता-विकास का प्रमुख केंद्र बन चुका है।

अधिकारी प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने इस वर्ष के विशेष महत्व का उल्लेख किया, क्योंकि राष्ट्र सरदार वल्लभभाई पटेल — ऑल इंडिया सर्विसेज के जनक — की 150वीं जयंती मना रहा है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल की दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता ने औपनिवेशिक भारत को एक मजबूत, विकसित और आत्मनिर्भर भारत में बदलने की नींव रखी।

उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की भी सराहना की, जो 2026 में अपनी शताब्दी मनाएगा, और इसे “मेधा, सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता का संरक्षक” बताया।

उपराष्ट्रपति ने समावेशी विकास की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि संपत्ति सृजन और संपत्ति वितरण दोनों ही राष्ट्रीय प्रगति के लिए समान रूप से आवश्यक हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र निर्माण के लिए दोनों पर विशेष ध्यान दिया है।

GST को उन्होंने देश की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल और सुव्यवस्थित करने वाला एक ऐतिहासिक सुधार बताया। उन्होंने कहा कि कर चोरों को रोकना और दंडित करना आवश्यक है, क्योंकि कानून समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए बनाए जाते हैं। कानून का पालन सुनिश्चित करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है।

विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण को लेकर उन्होंने कहा कि देश की विकास यात्रा अंतिम छोर तक सेवा पहुंचाने और समावेशी वृद्धि पर केंद्रित रही है।

उपराष्ट्रपति ने अधिकारी प्रशिक्षुओं को सलाह दी कि वे व्यक्तिगत उत्कृष्टता से अधिक टीम उत्कृष्टता पर ध्यान दें, क्योंकि संस्थान और राष्ट्र सामूहिक प्रयासों से ही निर्मित होते हैं।

उन्होंने कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है और तकनीक हर दिन विकसित हो रही है, इसलिए अधिकारियों को नई आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल बढ़ाने चाहिए। उन्होंने प्रशिक्षुओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन जैसी उभरती तकनीकों को अपनाने की सलाह दी, जिससे पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा मिल सकता है। उन्होंने IGOT कर्मयोगी को क्षमता-विकास का “उत्कृष्ट मंच” बताया।

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने प्रशिक्षुओं की कड़ी मेहनत की सराहना की और कहा कि लगभग 12 लाख अभ्यर्थियों में से केवल 1,000 ही चयनित होते हैं। 140 करोड़ की आबादी में से उन्हें समाज में सार्थक बदलाव लाने का दुर्लभ अवसर मिला है। उन्होंने कहा — “अधिक अधिकार के साथ अधिक जिम्मेदारी आती है,” और प्रशिक्षुओं से इस अवसर का राष्ट्र सेवा में उपयोग करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर आंध्र प्रदेश सरकार के HRD, IT, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन मंत्री नारा लोकेश, उपराष्ट्रपति के सचिव अमित खरे, NACIN के महानिदेशक डॉ. सुब्रमण्यम और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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