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भारत नवाचार और आत्मनिर्भरता की राह पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है: वाणिज्य मंत्री

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केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, पीयूष गोयल ने कहा कि भारत ने ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, मॉरीशस, यूनाइटेड किंगडम और चार देशों वाले EFTA समूह के साथ संतुलित और न्यायसंगत व्यापार समझौते संपन्न किए हैं। इसके साथ ही भारत वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, जीसीसी देशों, न्यूज़ीलैंड, इज़रायल, यूरेशिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और मर्सकोर समूह सहित लगभग 50 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 14 देशों या समूहों के साथ व्यापार वार्ताओं में लगा हुआ है।

पीयूष गोयल ने यह बात आज नई दिल्ली में फिक्की की 98वीं वार्षिक आमसभा को संबोधित करते हुए कही।

मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता का विचार भारत की सभ्यतागत सोच का मूल है, जिसका उल्लेख भगवद्गीता और महात्मा गांधी के स्वदेशी सिद्धांत में मिलता है। यह विचार सदियों से भारत की प्रगति का मार्गदर्शन करता रहा है और आज भी राष्ट्रीय आर्थिक रणनीति का महत्वपूर्ण आधार बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आत्मनिर्भर भारत के संकल्प ने इस दृष्टिकोण को और मजबूत किया है।

हाल में हुए EFTA समझौते का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस समूह ने भारत में नवाचार और प्रिसिशन मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर निवेश का वादा किया है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान एवं नवाचार के क्षेत्र में भारत की लागत अन्य देशों की तुलना में काफी कम है, जिससे उच्च गुणवत्ता वाला नवाचार भारत में अत्यंत कम खर्च में संभव है। उन्होंने भारतीय उद्योगों से पुरानी सोच छोड़कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा की दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया।

मंत्री ने कहा कि भारत नवाचार और तकनीक के क्षेत्र में मजबूत क्षमताएँ रखता है—यहाँ युवा जनसंख्या, तेज़ी से बढ़ती डिजिटल पहुँच और विशाल प्रतिभा-स्रोत मौजूद है। बड़ी संख्या में STEM स्नातक, इंटरनेट का व्यापक विस्तार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ऑटोमेशन, रोबोटिक्स तथा डीप-टेक क्षेत्रों में उभरते अवसर भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 12 बिलियन डॉलर का RDI (Research, Development and Innovation) फंड और स्टार्टअप व डीप-टेक उद्योगों को दिया जा रहा सहयोग भारत के इनोवेशन इकोसिस्टम को गति देगा।

उन्होंने युवाओं को भविष्य के अवसरों के लिए सक्षम बनाने हेतु स्किलिंग को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कई विकसित देशों में जनसंख्या वृद्ध हो रही है, जबकि भारत के युवा नई तकनीकों को तेजी से अपनाने में सक्षम हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म का व्यापक उपयोग कर रहे हैं। यह क्षमता भारत को वैश्विक तकनीकी क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाने में मदद करेगी।

वैश्विक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि हाल के भू-राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तनों ने विश्वसनीय साझेदारों और मजबूत सप्लाई चेन की आवश्यकता को उजागर किया है। भारत के बढ़ते FTA और आर्थिक साझेदारी नेटवर्क का उद्देश्य निष्पक्षता, पारदर्शिता और पारस्परिक सहयोग पर आधारित दीर्घकालिक साझेदारी बनाना है।

पीयूष गोयल ने भारत की ताकतों को PESTLE फ्रेमवर्क के माध्यम से समझाया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की सोच को आगे बढ़ाया है—

  • राजनीतिक तौर पर, स्थिर और पारदर्शी सरकार ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है।

  • आर्थिक स्तर पर, राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन और ₹25,000 करोड़ के निर्यात प्रोत्साहन मिशन जैसी पहलें भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में ले जा रही हैं।

  • सामाजिक क्षेत्र में, चार नए श्रम संहिता बेहतर वेतन और सुरक्षा प्रदान करते हैं, जबकि अंत्योदय दृष्टिकोण ने आधारभूत जरूरतों की पूर्ति में सहायता की है।

तकनीकी क्षेत्र में उन्होंने सेमीकंडक्टर मिशन (₹76,000 करोड़) और परमानेंट मैग्नेट उत्पादन कार्यक्रम (₹7,000 करोड़) का उल्लेख किया, जो घरेलू विनिर्माण और सप्लाई चेन सुरक्षा को मजबूत करते हैं।
कानूनी सुधारों में उन्होंने जन विश्वास 3.0 और परमाणु ऊर्जा विधेयक 2025 का उल्लेख किया, जो ऊर्जा संप्रभुता को बढ़ाने के उद्देश्य से परमाणु क्षेत्र को खोलेगा।

अंत में, मंत्री ने फिक्की से आग्रह किया कि वे नवाचार, अनुसंधान, उद्योग-अकादमिक सहयोग और विकसित भारत 2047 की दिशा में मिशन-उन्मुख कार्य अपनाएँ। उन्होंने कहा कि उद्योग, सरकार और जनता के संयुक्त प्रयास भारत को एक सशक्त, प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने में निर्णायक होंगे।


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