Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

पितृ पक्ष और चंद्र ग्रहण का दुर्लभ संयोग : 7 सितंबर को क्यों है पितृ पूजन का सबसे शुभ समय? पढ़े पूरी खबर

Document Thumbnail

 Pitru Paksha 2025 : इस साल का पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो रहा है और उसी दिन साल का आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण भी पड़ेगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, दोनों घटनाओं का एक साथ होना बेहद दुर्लभ और शक्तिशाली संयोग माना जा रहा है।


पितृ पक्ष और ग्रहण का महत्व

पितृ पक्ष पूर्वजों को याद करने, तर्पण और श्राद्ध करने का पावन समय है। वहीं, चंद्र ग्रहण आध्यात्मिक साधना और प्रार्थना का सबसे असरदार काल माना जाता है। मान्यता है कि ग्रहण काल में किए गए दान, जप और पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में जब दोनों घटनाएं एक साथ घटित हों, तो इसका महत्व और भी ज्यादा हो जाता है।

क्यों है यह दिन खास?

ज्योतिषीय दृष्टि से यह संयोग इसलिए अद्वितीय है क्योंकि पितृ पक्ष की शुरुआत ही चंद्र ग्रहण के साथ हो रही है। इसका अर्थ है कि 7 सितंबर को किया गया तर्पण, दान या मंत्रजाप सामान्य दिनों से कई गुना फलदायी होगा।

पितरों की शांति और आशीर्वाद के लिए करें ये कार्य

  • जल में काले तिल डालकर पितरों के नाम से तर्पण करें, संभव हो तो पवित्र नदी के किनारे।
  • ग्रहण के समय घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं और मौन साधना करें।
  • 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' जैसे मंत्रों का जाप करें।
  • पितरों के नाम पर दान करें और गाय, कुत्तों, पक्षियों को भोजन-पानी कराएं।

ग्रहण के दौरान क्या न करें

  • ग्रहण लगने के समय भोजन और नींद से बचें।
  • इसके बजाय प्रार्थना, जप या धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।

चंद्र ग्रहण की अवधि

  • प्रारंभ: 7 सितंबर रात 9:57 बजे
  • पीक टाइम: रात 11:42 बजे
  • समापन: 1:26 बजे (8 सितंबर की अर्धरात्रि)

यह चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और ‘ब्लड मून’ के रूप में दिखाई देगा।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.