Navratri 2025: नवरात्रि का महापर्व मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विशेष अवसर है। हर साल नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना की जाती है। इन दिनों माता के आगमन और प्रस्थान की सवारी का भी खास महत्व होता है। आपने अक्सर सुना होगा कि कभी मां दुर्गा हाथी पर आती हैं, तो कभी घोड़े या नाव पर। आखिर यह तय कैसे होता है? आइए जानते हैं।
नवरात्रि और माता की सवारी का ज्योतिषीय आधार
- मां दुर्गा की सवारी का निर्धारण उस दिन (वार) से होता है, जिस दिन नवरात्रि का आरंभ होता है।
- सोमवार और रविवार – हाथी (गज) पर आगमन → वर्षा, समृद्धि और खुशहाली का संकेत।
- शनिवार और मंगलवार – घोड़ा (तुरंग) पर आगमन → युद्ध, अस्थिरता या आपदा का संकेत।
- गुरुवार और शुक्रवार – पालकी (डोला) पर आगमन → सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक।
- बुधवार – नाव (नौका) पर आगमन → शुभ संकेत, भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति।
माता की वापसी की सवारी
जैसे आगमन की सवारी का महत्व है, वैसे ही विजयादशमी पर माता की विदाई सवारी भी शुभ-अशुभ संकेत देती है।
- रविवार और सोमवार – भैंसा पर वापसी → रोग और कष्ट का संकेत।
- मंगलवार और शनिवार – मुर्गा पर वापसी → संघर्ष और संकट का संकेत।
- बुधवार और शुक्रवार – हाथी पर वापसी → समृद्धि और खुशहाली।
- गुरुवार – नर वाहन (मनुष्य) पर वापसी → कठिनाइयों का संकेत।
इस बार माता की सवारी कौन-सी?
पौराणिक मान्यता
मां दुर्गा का मुख्य वाहन शेर है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। लेकिन नवरात्रि के आरंभ और समापन वार के अनुसार बदलती हुई सवारियां ब्रह्मांडीय ऊर्जा और प्रकृति के चक्र को दर्शाती हैं। यह परंपरा हमें याद दिलाती है कि मां का हर रूप और हर संकेत मानव जीवन और प्रकृति से गहराई से जुड़ा हुआ है।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. media24media इसकी पुष्टि नहीं करता है.