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महासमुंद की बेटियों ने जयपुर में किया कमाल, शोधकर्ताओं को मिला कॉपीराइट प्रमाणपत्र

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जयपुर/ महासमुंद । अपराध जांच और फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में  महासमुंद की बेटियों ने राजस्थान में शोधकर्ताओं के रूप में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कॉपीराइट ऑफिस, भारत सरकार ने “Corchorus Olitorius Powder for Development of Latent Fingerprint” शीर्षक वाले शोध कार्य को आधिकारिक कॉपीराइट प्रदान किया है। इस शोध के जरिए जूट से बने पाउडर से अपराध स्थल पर छिपे हुए फिंगरप्रिंट (Latent Fingerprints) को विकसित करना आसान होगा। कॉपीराइट प्रमाणपत्र (संख्या: LD-2025071122) के अनुसार यह पंजीकरण 12 अगस्त 2025 को जारी हुआ। आवेदन संख्या LD-21987/2025-CO है। शोध कार्य को कॉपीराइट अधिनियम, 1957 और नियम 70 के तहत मान्यता प्रदान की गई है।

 किसने किया शोध? 

इस महत्वपूर्ण शोध के लेखक के रूप में ओजल भारद्वाज, और मृणाल विदानी पिता रविन्द्र विदानी (दोनों ही महासमुंद की हैं) और प्रो. डॉ. उमेमा़ अहमद के नाम दर्ज किए गए हैं। जबकि स्वामी (Owners) के तौर पर ओजल भारद्वाज और मृणाल विदानी को मान्यता मिली है। 

क्या है शोध का महत्व? 

शोधकर्ताओं ने बताया कि यह पाउडर जूट (Corchorus Olitorius) से तैयार किया गया है, जो प्राकृतिक, पर्यावरण-अनुकूल और कम लागत वाला है। पारंपरिक केमिकल पाउडर की तुलना में यह ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी है। फॉरेंसिक जांच एजेंसियां इसका उपयोग अपराध स्थल से छिपे फिंगरप्रिंट विकसित करने में कर सकेंगी। इससे न केवल जांच प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि खर्च भी कम आएगा।

 फॉरेंसिक क्षेत्र में नई दिशा 

जूट से बने पाउडर से अब फिंगरप्रिंट मिलेंगे अब आसानी से 

विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज भविष्य में देशभर की पुलिस, सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों के लिए उपयोगी साबित होगी। यह पद्धति भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फॉरेंसिक जांच में एक नई दिशा दे सकती है।

मृणाल की माता वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती उत्तरा विदानी ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया है कि महासमुंद जिला मुख्यालय निवास से विवेकानंद ग्लोबल युनिवर्सिटी जयपुर में फोरेंसिक विषय की पढाई कर रहीं मृणाल विदानी और ओजल चंद्राकर को चेंच भाजी से फोरेंसिक पाउडर निर्माण के लिए भारत सरकार से कापीराइट मिली है। कालेज के प्रोफेसर उमैमा अहमद ने वाट्सअप पर यह सूचना देते हुए दोनों के परिवार को शुभकामनायें दी हैं. मृणाल विदानी इस वक्त डीएनए और अन्य कठिन विषयों के साथ मास्टर्स अंतिम वर्ष की पढाई कर रही हैं. वहीं ओजल चंद्राकर इस वर्ष बैचलर तृतीय वर्ष की छात्रा हैं. मृणाल विदानी को दो साल पहले कोसे के धागे से फोरेंसिक ब्रश बनाने के लिए भारत सरकार से पहला कापीराइट मिला था.

मृणाल और ओजल दोनों की  इस उपलब्धि पर स्टेट वेयर हाउस कार्पोरेशन के अध्यक्ष व पूर्व सांसद चंदू लाल साहू, पूर्व सांसद चुन्नी लाल साहू, सांसद रूप कुमारी चौधरी, विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा, पूर्व विधायक डा. विमल चोपडा, प्रेस क्लब रायपुर व महासमुंद परिवार सहित शुभचिंतकों  ने शुभकामनायें दी हैं।


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